Local News: आशा वर्कर्स की टूट रही आशाएं ddnewsportal.com

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Local News: आशा वर्कर्स की टूट रही आशाएं

4 माह से मानदेय न मिलने पर पतली हो गई है हालत, जानिये दास्तान...

कहते है कि उम्मीद यानि आशा टूट जाए तो हताशा होने लगती है, इसलिए उम्मीद बरकरार रहनी चाहिए। लेकिन जो कुछ पिछले चार माह में आशा वर्कर्स के साथ घटित हुआ है उससे आशा वर्कर्स की आशाएं टूटने लगी है। यह सरकार के लिए भी अच्छे

संकेत नही है। समाज को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आशा वर्कर्स महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम कर रही है। चाहे कोरोना महामारी का समय हो या आम आदमी के स्वास्थ्य की बात हो। ये वर्कर्स, रात-दिन फील्ड में हमेशा डटी रहती है। लेकिन पिछले चार माह से यही आशा वर्कर्स अपने ही विभाग से शोषित हो रही हैं।
जानकारी के मुताबिक पाँवटा साहिब अर्बन एरिया की आशा वर्कर्स को पिछले 4 महीनों से मानदेय नहीं मिला है। जिस कारण उनके परिवार और बच्चों के खर्चे चलाने मुश्किल होते जा रहे हैं। इन आशा वर्कर्स ने कोरोना टाइम पर अपने जीवन को दांव पर लगाकर रात दिन सेवाएं कर कोरोना वरियर्स का सम्मान भी पाया। लेकिन बिना मानदेय के सम्मान किस काम का। सम्मान से घर नही चलता यह विभाग और सरकार को भी सोंचना चाहिए। 

अब मजबूर होकर आशा वर्कर्स ने अपने मानदेय को लेकर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर केएल भगत को लिखित पत्र सौंपा है। इस पत्र में उन्होंने पिछले 4 महीनों से यानी दिसंबर से लेकर मार्च माह तक सैलरी नहीं दिए जाने की बात कही है। आशा वर्कर्स अनीता, वर्षा, जसविंदर, मिलन, पूनम, सोनिया, रीना, ज्योति, सोनू, रुबीना ने

बताया कि पिछले 4 महीनों से उन्हें मानदेय नहीं मिला है। सिर्फ इतना ही नहीं 2 वर्षों से उन्हें TB मरीजों की देखभाल करने दवाई खिलाने के बाद जो इंसेंटिव मिलता है वह भी नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि पिछली कई ट्रेनिंग का इंसेंटिव भी उन्हें नहीं दिया गया है जबकि आशा वर्कर्स आज भी जमीनी स्तर पर काम करने से मना नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अब स्थिति यह है कि चार चार महीने से मानदेय नहीं मिल रहा और कई कई साल का इंसेंटिव पेंडिंग पड़ा है।
उधर, इस बारे में बीएमओ केएल भगत ने कहा कि जल्द ही आशा वर्कर्स का मानदेय दिया जाएगा।