सरकार कब देगी किसानों-बागवानों को फसल नुकसान का मुआवजा- नौटी- ddnewsportal.com

सरकार कब देगी किसानों-बागवानों को फसल नुकसान का मुआवजा- नौटी- ddnewsportal.com

सरकार कब देगी किसानों-बागवानों को फसल नुकसान का मुआवजा 

भारतीय किसान यूनियन हिमाचल ने मुख्यमंत्री को याद दिलाई फसलों और फलों की तबाही, यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिन्द्र सिंह नौटी ने फिर लिखा सीएम को पत्र।

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष अनिन्द्र सिंह नौटी ने कहा है कि इस बार किसानों और बागवानों को हुए फसल और फलों के भारी नुकसान के बारे सबसे पहले प्रदेश सरकार के सामने इस मुद्दे को उठाया था। यूनियन के राष्ट्रीय नेता राकेश टिकैत ने भी एक वीडियो संदेश जारी किया था जिसके बाद तुरंत हरकत में आई सरकार ने आनन-फानन में संबंधित जिलाधीशों को नुकसान की रिपोर्ट तैयार करके भेजने को कहा था। लेकिन अभी तक कोई सही कार्यवाही इस दिशा में नहीं हो पाई है ना ही कोई मुआवजा किसानों को मिला है। जिसके बाद अब प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को दोबारा इस पत्र के माध्यम से कुछ किसानों की मांगों और पीड़ा को उनके समक्ष रखा है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को लिखे पत्र में यूनियन ने कहा है कि जैसा कि विदित है कि इस वर्ष खराब मौसम, बेमौसमी बर्फबारी व ओलावृष्टि के कई दौर, तूफान तथा सर्दियों में सूखे के कारण हिमाचल प्रदेश के सेब व अन्य बागवानों को भारी नुकसान हुआ था। जिस पर अप्रैल माह में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय नेता चौधरी राकेश टिकैत ने भी सरकार से आग्रह किया था कि इस नुकसान का विस्तृत ब्यौरा तैयार करके पैकेज की

घोषणा की जाए। आपके द्वारा भी अपने सरकारी आवास पर एक बैठक में सभी जिलाधीश को नुकसान का तत्काल आकलन करके रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया था ताकि कि इसको केंद्र सरकार को भेजा जा सके तथा प्रदेश सरकार अपने स्तर पर भी मुआवजे दे सके। आज इस बात को लगभग 45 दिन का समय बीत चुका है परंतु अभी तक कोई भी मुआवजा या लिखित जवाब किसानों को नहीं मिला है। यूनियन की इस विषय में कुछ केंद्र बिंदु विचार हेतु आपको प्रस्तुत हैं।
प्रथम दृष्टया यह नुकसान कम से कम 2000 करोड का पाया गया था क्योंकि इस बार केवल फसलों को ही नहीं फलदार पेड़ों तक को भारी नुकसान पहुंचा था। परंतु फील्ड अधिकारियों द्वारा किए गए नुकसान को 383 करोड रुपए का माना गया है जो वास्तविक नुकसान से बहुत कम है। जिला सिरमौर में नुकसान मात्र 4.5 करोड़ के लगभग आंका गया जबकि इससे कहीं अधिक नुकसान नुकसान मात्र एक ब्लाक राजगढ़ में ही हुआ है। इस वर्ष लॉकडाउन की भी दोहरी मार किसानों को पहुंची है क्योंकि गुठलीदार फलों जैसे प्लम, आड़ू, खुमानी के किसानों को मंडियों में सही दाम नहीं मिल रहे। कोविड ड्यूटी के बहाने राजस्व विभाग ने अभी तक उद्यान विभाग के साथ मिलकर अधिकतर जगह मौका ही नहीं किया है व दफ्तरों के बंद कमरों में बैठकर रिपोर्ट को तैयार किया है। इसलिए भारतीय किसान यूनियन हिमाचल प्रदेश यह मांग करती है कि नुकसान का आकलन सही से किया जाए एवं जिन अधिकारियों ने फील्ड का दौरा तक नहीं किया है उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। भारतीय किसान यूनियन मांग करती है कि मुआवजे की घोषणा और भुगतान अति शीघ्र किया जाए और इस वर्ष खेती की दवाइयों सहित अन्य उपकरणों पर उपदान अधिक दिया जाए। विदेशों से आयातित पौधे 80% उपदान पर किसानों को दिए जाएं ताकि जिन के पौधे टूट गए हैं वह नया वृक्षारोपण कर सकें। आगे से पेड़ ना टूटे इसके लिए स्पोर्ट ट्रेन सिस्टम पर भी और अधिक उपदान की व्यवस्था की जाए। नौटी ने कहा है कि उम्मीद है सरकार जल्दी ही कोई कार्रवाई करेगी अन्यथा भारतीय किसान यूनियन सरकार का खुला विरोध सड़कों पर आकर करने को मजबूर होगी।