बजट में किसानों के लिए क्या कुछ दे रही सरकार - भाकियु का सवाल ddnewsportal.com
बजट में किसानों के लिए क्या कुछ दे रही सरकार
भाकियु हिमाचल ने पूछा सवाल, सरकार की गंभीरता पर सभी की निगाहें, दिये ये सुझाव भी...
हिमाचल प्रदेश की सरकार इस बार के बजट में किसानों के लिए क्या तोहफा दे रही है। यह सवाल भारतीय किसान युनियन की हिमाचल प्रदेश इकाई ने सरकार से पूछा है। पांवटा साहिब से जारी प्रेस बयान में युनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिन्द्र सिंह नौटी सहित मास्टर प्रीतम सिंह, चरणजीत जैलदार, जसविंदर बिलिंग, गुरजीत नंबरदार, रघुवीर सिंह, महबूब अली, परमजीत बंगा, जुल्फकार अली, हरबंस सिंह सैनी, अर्जुन बनवैत, हरीश चौधरी, गुरनाम गामा, कमल चौधरी, जतिंदर राजा, बूटा सिंह, किशोरी लाल, अरशद अली आदि ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन हिमाचल प्रदेश इकाई प्रदेश सरकार से जानना चाहती है कि क्या इस बार के बजट में किसानों के लिए भी कुछ दिया जा रहा है। समय की मांग अनुसार इस बार के बजट में किसानों के लिए कुछ जरूरी प्रावधान किए जाएं। सरकार किसानों के प्रति कितनी गंभीर
है इस पर सभी के निगाहें लगी हुई हैं। नौटी ने कहा कि हिमाचल में कुल आबादी का 80% किसान और उस से जुड़े मजदूर वर्ग के लोग हैं और सबसे अधिक रोजगार भी यही क्षेत्र पैदा कर रहा है। हिमाचल में कुल घरेलू सकल उत्पाद में 45% हिस्सा कृषि, बागवानी का है जबकि भाजपा नीत जयराम ठाकुर सरकार इस से अनभिज्ञ सी लगती है तभी पिछले चार वर्ष से किसानों बागवानों के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। ऐसे में सरकार को याद करवाना बीकेयू बार बार जारी रखेगी।
2022 के बजट में पूरे भारतीय किसान यूनियन एक लंबे शोध और चर्चा के बाद हिमाचल सरकार से यह मांग करती है की किसानों बागवानों के लिए कुछ प्रावधानों को बजट में शामिल किया जाना नितांत आवश्यक है, जो इस प्रकार से हैं-
1- केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना हिमाचल प्रदेश के किसानों को लाभ पहुंचाने में पूर्णत विफल रही है इसलिए स्थानीय परिस्थितियों और मौसम को देखते हुए राज्य सरकार अपने स्तर पर फसल बीमा योजना लाए ताकि हिमाचल के किसानों को इसका असली लाभ मिल सके।
2- हिमाचल प्रदेश के किसानों-बागवानों, खासतौर पर ऊपरी क्षेत्र के बागवानों हेतु यूटिलिटी तथा पिकअप जैसे वाहन जो अभी तक व्यवसायिक श्रेणी में रखे गए हैं उनको प्राइवेट रजिस्ट्रेशन के दायरे में लाया जाए तथा इस पर भी ट्रैक्टर की तर्ज पर सरकार सब्सिडी दे क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र में ट्रैक्टर से अधिक इन वाहन की जरूरत पड़ती है तथा खेती में उपयोग होने वाली वस्तुओं से लेकर अपनी फसल की ढुलाई के लिए इन वाहनों की सारा साल जरूरत पड़ती है। निजी उपयोग के बावजूद व्यवसायिक श्रेणी में होने के कारण किसानों को रोड टैक्स, पासिंग और इंश्योरेंस के रूप में भारी-भरकम पैसा सरकार को भरना पड़ता है।
3- कृषि उपज मंडी समिति की आय का खर्च भी किसानों के लिए होना चाहिए और किसी अन्य मद में इसका पैसा खर्च ना हो। एपीएमसी की आय का एक हिस्सा कोल्ड स्टोर बनाने और खेती में रिसर्च हेतु रखा जाए। हिमाचल प्रदेश में हर ब्लॉक स्तर पर एक नई मंडी बनाई जाए तथा पहले से मौजूद मंडियों की क्षमता और सुविधा बढ़ाई जाए। टमाटर, अदरक, लहसुन,सेब, स्टोन फ्रूट पर आधारित पल्प प्लांट्स को लगाया और बढ़ावा दिया जाए फल सब्जी साथ मटर आदि के कैनिंग यूनिट भी कृषि मंडी में लगाए जाएं।
4- पहाड़ी क्षेत्रों में जहां सड़क नहीं है वहां फसलों को सड़क तक लाने हेतु छोटे रोपवे पर भी सरकार 80% तक सब्सिडी का प्रावधान करें इससे सुदूर पहाड़ों पर बगीचों में नए होमस्टे भी खुलेंगे तथा किसान पर्यटन के द्वारा भी अपनी आर्थिकी को मजबूत कर पाएंगे।
5- गेहूं के साथ मक्की हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक बोई जाने वाली फसल है, इसलिए सरकार 2022 वर्ष से मक्की की फसल की भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद सुनिश्चित करे तथा हिमाचल प्रदेश की मक्की का आटा पूरे भारत में सबसे अधिक पौष्टिक तथा गुणवत्ता वाला है इसलिए सरकारी डिपो में गेहूं के साथ-साथ मक्की का आटा भी उपलब्ध करवाया जाए ताकि हिमाचल प्रदेश में खरीदी गई मक्की का आटा हिमाचल प्रदेश में ही रसोई घरों तक पहुंचे।
6- हिमाचल प्रदेश में किसानों की सुविधा तथा फसलों के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोर चेन के लिए उचित बजट का प्रावधान हो तथा हिमाचल प्रदेश में कोल्ड स्टोर कॉरपोरेशन की स्थापना करके अलग से विभाग बनाया जाए।
7- भांग व अफीम के औषधीय और औद्योगिक उपयोग के लिए सरकार इसकी खेती को कानूनी दर्जा जल्द से जल्द प्रदान करें।
8- इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में धान की खरीद में किसानों को बहुत दिक्कत आई जिसका मुख्य कारण किसी प्रादेशिक एजेंसी का मध्यस्थ ना होना रहा है अतः सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन व कृषि उपज मंडी समिति को खरीद में मध्यस्थ नियुक्त किया जाए तथा टोकन की व्यवस्था को और सरल किया जाए।
9- जिला सिरमौर स्थित धौलाकुआं में कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर की स्थापना हो ताकि किसानों के बच्चे कृषि के विषय में पढ़ाई कर सकें।इसके अतिरिक्त स्कूली पाठ्यक्रम में भी कृषि बागवानी को दसवीं तक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
10- बड़े शहरों में किसान हाट हेतु जगह उपलब्ध करवाई जाए जहां किसान अपने उत्पाद सीधे बेच पाए और उपभोक्ता को भी ताजे फल सब्जी सीधे सस्ते मिलें।
11- दिल्ली चंडीगढ़ देहरादून जैसे शहरों हिमाचल के फलों और सब्जी के अपने आउटलेट हों और हिमाचली ब्रांड के तहत सीधे किसानों से खरीद कर कृषि विभाग वहां फल सब्जी बेचे।
किसानों से बेरुखी के नतीजे सरकार उपचुनाव में देख ही चुकी है इसलिए अभी भी आम चुनाव में समय शेष है और किसानों के हित में सरकार स्पेशल पैकेज की घोषणा करे। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा तो फुस्स साबित हुआ है और केंद्रीय बजट में भी किसानों को बुरी तरह निराश किया है। अब सबकी नजर हिमाचल सरकार के बजट पर हैं। सरकार कर्मचारियों के विरोध से जितना डरती है अब उतना ही किसानों से भी डरना शुरू करें क्योंकि अब किसान भी 13 महीने की ट्रेनिंग दिल्ली मोर्चे से लेकर आया है और आगे भी किसानों की मांगों को भारतीय किसान यूनियन पुरजोर तरीके से बुलंद करती रहेगी।