खास खबर- कोरोना कंट्रोल मे सिरमौर का रिकार्ड बेहतरीन- ddnewsportal.com
खास खबर- कोरोना कंट्रोल मे सिरमौर का रिकार्ड बेहतरीन
प्रदेश के सीमावर्ती चार जिलों मे से डेथ रेट भी बहुत कम, सरकार को जानना चाहिए आखिर क्या है बूटी.....
भले ही कोरोना वायरस का प्रकोप फिर से तेजी से बढ़ रहा है लेकिन तीन राज्यों की सीमा से सटे सिरमौर जिले का वायरस और डेथ कंट्रोल का यदि रिकार्ड देखा जाएं तो अन्य जिलों के मुकाबले काफी बेहतरीन है। या कह सकते हैं कि जिन चार सीमावर्ती जिलों मे सरकार ने बार्डर पर रात्रि कर्फ्यू लगाया हैं उनमे से सिरमौर जिला कोरोना कंट्रोल मे सर्वश्रेष्ठ है। यह हम नही
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बता रहे है। वैसे तो सबसे कम डेथ मे किन्नौर और लाहुल स्पिति के बाद सिरमौर जिले का नंबर आता हैं लेकिन यदि चार सीमावर्ती जिलों की बात की जाएं तो सिरमौर के आंकड़े काफी सुखद है।दरअसल, प्रदेश सरकार ने 27 अप्रैल यानि मंगलवार रात से राज्य के सीमावर्ती चार जिलों कांगड़ा, ऊना, सोलन और सिरमौर मे नाईट कर्फ्यू का निर्णय लिया है। निश्चित तौर पर यह निर्णय इसलिए भी अनुकूल है क्योंकि कोरोना सीमाओं से ही राज्य मे केरियर का काम करता है। इस निर्णय से राज्य मे कोरोना की रफ्तार मे कमी की उम्मीद भी की जा रही है। लेकिन यदि
सोमवार दोपहर 2 बजे तक के आंकड़े देखें तो सीमा से सटे चार जिलों मे सिरमौर का रिकार्ड बहुत बढ़िया है। कांगड़ा की बात करें तो यहां कुल 14961 मामले कोरोना के कंफर्म हो चुके हैं। जिसमे से 318 लोगों ने दम तौड़ा है। यहां डेथ रेट 2.12% है। जो चिंता बढ़ा रहा है। हालांकि यह जिला भी बड़ा है और आबादी भी अधिक हैं। इसी प्रकार सोलन मे कुल 11489 मामले आ चुके हैं। जिसमे 92 लोग संक्रमण के कारण मौत का शिकार हुए हैं। यहां का डेथ रेट 0.80% है। अब यदि ऊना जिला की बात करें तो यहां पर कुल मामले अभी तक 6163 आ चुके हैं। लेकिन यहां पर मौत का आंकड़ा 100 पंहुच चुका है। यहां डेथ रेट 1.62% है। जबकि सिरमौर जिला मे भी लगभग ऊना के बराबर यानि 6111 लोग अभी तक कोरोना संक्रमण की चपैट मे आए हैं। जबकि 54 लोगों की जान गई हैं। सिरमौर का डेथ रेट 0.88% है। ऊना और सिरमौर मे कोरोना वायरस के लगभग बराबर मामले हैं जबकि सिरमौर डेथ रेट मे ऊना से लगभग आधे पर हैं। हालांकि चार जिलों मे सबसे कम डेथ रेट सोलन का है और उसके बाद सिरमौर का नंबर है। लेकिन कोरोना के चार जिलों मे सबसे कम मामले सिरमौर मे हैं।
ऐसे मे आंकड़े स्पष्ट बता रहे हैं कि सोलन और सिरमौर ने डेथ रेट पर काफी कंट्रोल किया है। सरकार को इसके कारणों के बारे मे जानकारी जरूर लेनी चाहिए। क्योंकि स्वास्थ सेवाएं तो हर जिले मे एक सी है और प्रोटोकॉल भी एक जैसा फोलो हो रहा है।
वहीं, सिरमौर मे भी स्वास्थ्य विभाग ने बेहतरीन काम किया है। लेकिन अन्य जिलों से बेहतरीन आंकड़ों के पीछे ऐसे अन्य कारण भी रहे होंगे जो न केवल लोगों को कोरोना से बचा रहा है बल्कि मौत की आगोश मे जाने से भी रोक रहे है।
पांवटा साहिब के कईं लोग सिरमौर के इन बेहतरीन आंकड़ों मे स्वास्थ्य विभाग की मेहनत के साथ साथ होम्योपैथी की इम्यूनिटी बूस्टर दवा की भागीदारी भी मानते हैं। और सोशल प्लेटफार्म पर भी खुले तौर पर यहां के होम्योपैथी चिकित्सक (एमडी) डाॅ रोहताश नांगिया द्वारा ईजाद इम्यूनिटी बूस्टर दवा से ठीक होने का भी दावा कर रहे हैं। साथ ही सरकार से इस मामले पर ध्यान देने की भी मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि उक्त होम्योपैथी इम्यूनिटी बूस्टर दवा से हजारों लोग ठीक हुए हैं जिसमे प्रदेश के मंत्री और बड़े अधिकारी तक शामिल है। यदि यह बूस्टर असरदार न होता तो पांवटा साहिब जैसे तीन राज्यो के सीमांत नगर मे बाहरी लोगों की इतनी आवाजाही है कि अकैले पांवटा मे ही कोरोना के हजारों कैस होते।
बहरहाल, कारण चाहे जो भी रहे हो लेकिन इस समय मानवता को बचाने के लिए सरकार को उस हर तरीके को अपनाना चाहिए जिससे इस बीमारी से छुटकारा मिल सके। और सबसे अहम है कि डेथ पर कंट्रोल किया जा सके।
अहम बात यह है कि प्रदेश के अन्य सीमावर्ती जिलों मे ओसतन एक राज्य की सीमा आती है। जबकि सिरमौर मे तीन राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा से लोगों का आवागमन लगा रहता है। बावजूद इसके आंकड़े इतने सुखद आने के पीछे की अन्य बजह को भी सरकार को जरूर जानना चाहिए।
सीएमओ सिरमौर डाॅ केके पराशर ने बताया कि हालांकि पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामले और डेथ बढ़ी है लेकिन फिर भी सिरमौर मे डेथ रेट 0.88 प्रतिशत है। जो अन्य जिलों के मुकाबले काफी बेहतर है। यहां पर विभाग के चिकित्सक और पैरा मैडिकल स्टाफ पुलिस और प्रशासन के साथ मिलकर बेहतरीन कार्य कर रहा है।