Himachal High Court Decision: हिमाचल हाईकोर्ट का कर्मचारी की पेंशन को लेकर अहम फैसला ddnewsportal.com
Himachal High Court Decision: हिमाचल हाईकोर्ट का कर्मचारी की पेंशन को लेकर अहम फैसला
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कर्मचारी की पेंशन को लेकर आज एक अहम निर्णय दिया है। अदालत ने कहा कि किसी कर्मचारी के लिए पेंशन का लाभ एक सांविधानिक अधिकार है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने कहा कि पेंशन प्राप्त करने का अधिकार संपत्ति के अधिकार के समान है। कानून के अधिकार के बिना किसी व्यक्ति को उसकी पेंशन से वंचित नहीं किया जा
सकता है। अदालत ने कर्मचारी पत्नी की मृत्यु के बाद पति को पारिवारिक पेंशन देने के आदेश दिए हैं। अदालत ने अपने आदेशों में कहा कि याचिकाकर्ता रंजन कुमार को तीन हफ्ते के भीतर पारिवारिक पेंशन बकाया राशि के साथ अदा की जाए।
दरअसल, याचिकाकर्ता की पत्नी 1 जनवरी 1993 को लोक निर्माण विभाग के खंड मंडी में बेलदार के पद पर बतौर दैनिक भोगी तैनात हुई थी। दैनिक भोगी 10 वर्ष पूरे करने के बाद 1 जनवरी 2003 से नियमित होने की हकदार थी, लेकिन विभाग ने
उसकी सेवाओं को नियमित नहीं किया। 17 फरवरी 2004 को उसकी मृत्यु हो गई और उसके बाद याचिकाकर्ता ने विभाग से 10 वर्ष पूरे होने पर नियमितिकरण का लाभ देने की गुहार लगाई। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद विभाग ने वर्ष 2018 में मृत्क कर्मचारी की सेवाएं 1 जनवरी 2003 से नियमित करने का फैसला लिया।
4 मई 2022 को विभाग ने याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेंशन देने का निर्णय लिया, लेकिन याचिकाकर्ता को यह लाभ उसकी पत्नी की मृत्यु की तिथि से नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता को उसकी पत्नी की मृत्यु की तिथि से पेंशन का लाभ न दिए जाने का निर्णय संविधान और पेंशन नियमों के विपरीत है। अदालत ने याचिकाकर्ता को 17 फरवरी 2004 से पेंशन सहित सभी वित्तीय लाभ अदा करने के आदेश दिए।