Sirmour: हाटियों का आधी सदी का ऐतिहासिक शांतिपूर्ण संघर्ष पंहुचा अंजाम तक ddnewsportal.com

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Sirmour: हाटियों का आधी सदी का ऐतिहासिक शांतिपूर्ण संघर्ष पंहुचा अंजाम तक

सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र को हाटी जनजातीय घोषित विधेयक पर लगी महामहिम की मुहर, ट्रांसगिरि में जश्न 

जिला सिरमौर के दुर्गम ट्रांसगिरि क्षेत्र के हाटी समुदाय का आधी सदी से जनजातीय घोषित करने की मांग को लेकर चल रहा शांतिपूर्ण संघर्ष आखिरकार अपने अंजाम तक पंहुच गया। लगभग 55 वर्ष की ऐतिहासिक लंबी लड़ाई के बाद लोकसभा के दोनो सदनों से पारित हाटी जनजातीय संशोधन विधेयक पर देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वर्णिम हस्ताक्षर कर क्षेत्र के लाखों लोंगों को बड़ा तोहफा दिया है। इस खबर के साथ ही गिरिपार क्षेत्र में जश्न का माहौल शुरू हो गया है। लोग एक दूसरे को बधाईयाँ दे रहे हैं। 80 और 90 की उम्र के पड़ाव में पंहुच चुके बुजुर्ग इतने खुश है कि कह रहे हैं कि वह सौभाग्यशाली है कि जीते जी यह शुभ समाचार उन्हे मिल गया। 


दरअसल, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के गिरिपार को लोकसभा व राज्यसभा में जनजाति का दर्जा मिलने की बड़ी बाधा पहले ही पार हो गई थी। इसके बाद अब हाटी सम्बन्धी संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति के स्वर्णिम हस्ताक्षर। गिरिपार के लोगों ने सिरमौर से लेकर शिमला तक जश्न का माहौल बना हुआ हैं।
केंद्रीय हाटी समिति अध्यक्ष डाॅ. अमीचंद कमल और महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री ने बताया कि यह गिरिपार क्षेत्र के सभी लोगों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। आज, हाटी समुदाय को उसका जनजाति अधिकार मिला है। इसमें तीन पीढ़ियों ने इसमें योगदान दिया है। इसके चलते सफलता मिली है। 

बता दें कि जिला सिरमौर के चार विधानसभा क्षेत्रों की 154 पंचायतों के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। इसमें शिलाई विस क्षेत्र की 35 पंचायतों सहित पच्छाद विस के विकास खंड राजगढ़ की 33 पंचायतें और एक नगर पंचायत समेत 34 पंचायतें,  रेणुकाजी विस क्षेत्र के संगड़ाह विकास खंड की 44, पांवटा विस क्षेत्र की 18 और शिलाई विस के तिलोरधार खंड की 23 पंचायतें शामिल हैं।

ये लाभ मिलेंगे- 

हाटी समुदाय के करीब पौने दो लाख लोगों को जनजाति के लोगों को मिलने वाले सभी लाभ मिलने शुरू होंगे। विधेयक के कानून बनने के बाद हिमाचल प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की संशोधित सूची में नए सूचीबद्ध समुदाय के सदस्य भी सरकार की मौजूदा योजनाओं के तहत अनुसूचित जनजातियों का लाभ ले सकेंगे। सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके अलावा पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय फेलोशिप, उच्च श्रेणी की शिक्षा, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम से रियायती ऋण, अनुसूचित जनजाति के लड़कों और लड़कियों के लिए छात्रावास आदि का भी लाभ मिलेगा। इसके साथ ही अन्य कई फायदे आने वाले समय में सामने आयेंगे। 

इनका भी है खास योगदान-

बता दें कि इस संघर्ष में गिरिपार क्षेत्र के तो हाटी समिति सहित प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सभी लोगों के प्रयास रहे हैं लेकिन कुछ शख्सियतें ऐसी भी है जो क्षेत्र के मूल निवासी न होने के बावजूद भी संघर्ष से जुड़े और इस मुहिम को सिरे चढ़ाने में अपना अहम योगदान दिया। इसमे समाजसेवी व संस्कृति संरक्षण के प्रेमी व हितैषी राजेन्द्र तिवारी जिनके मार्गदर्शन में इनके पुत्र विवेक तिवारी ने हाटी समुदाय पर एक डाक्यूमेंट्री "हाटी वी एग्जिस्ट" शार्ट मूवी बनाकर देश विदेश तक हाटी की धरोहर को विख्यात किया। श्री तिवारी के मार्गदर्शन में क्षेत्र की प्रसिद्ध हस्ती व लोक गायक स्वर्गीय मंगल सिंह तोमर हारूल की किताब का प्रकाशन कर पाए, जिसमे पहाड़ी भाषा सहित हारूल गाथा का हिंदी अनुवाद भी किया गया है। 
साथ ही हाटी समुदाय पर एक किताब लिखने वाले प्रसिद्ध लेखक पवन बख्शी की भूमिका को भी भुलाया नही जा सकता।