Shimla: हाटी एसटी अधिनियम पर हाटी विकास मंच शिमला ने कहा, राज्य सरकार देर आई दुरुस्त आई... ddnewsportal.com
Shimla: हाटी एसटी अधिनियम पर हाटी विकास मंच शिमला ने कहा, राज्य सरकार देर आई दुरुस्त आई...
हिमाचल प्रदेश का हाटी समुदाय औपचारिक रूप से अनुसूचित जनजाति में शामिल हो गया है। अभी तक राज्य में 10 समुदाय एसटी घोषित थे। अब 11वां हाटी हो गया है। केंद्र से आए ताजा जवाब और केंद्रीय कानून के मुताबिक अनुसूचित जाति (SC) अनुसूचित जनजाति (ST) के दायरे से बाहर रखी गई है। इस संबंध में हाटी विकास मंच शिमला के पदाधिकारीयों ने प्रेस क्लब शिमला में पत्रकार वार्ता आयोजित की। इसमें हाटी विकास मंच के मुख्य प्रवक्ता डॉक्टर रमेश सिंगटा, अध्यक्ष प्रदीप सिंगटा, कानूनी सलाहकार श्याम चौहान, महासचिव अतर तोमर ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि 5 महीने तक राज्य सरकार केंद्रीय कानून पर कुंडली मारकर बैठी रही। कानून को लटकाने, भटकाने और अटकाने का काम किया गया लेकिन राज्य सरकार देर आई दुरुस्त आई। उन्होंने अधिसूचना जारी करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी पूरी टीम का आभार जताया। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति को अनुसूचित जनजाति के दायरे से बाहर रखा गया है ऐसा उनकी यानि SC की मांग पर किया गया। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सिरमौर के सतोन में दिए गए उस बयान को दोहराया। उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपनी कलम से लिख दिया है कि अनुसूचित जाति के हित पूरी तरह से सुरक्षित हैं और अब ऐसा साबित हो गया है।
डॉ. रमेश सिंगटा और प्रदीप सिंगटा ने कहा कि यह जनता के आंदोलन और केंद्र की मोदी सरकार की मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति की जीत है। यह हाटी की जीत है, यह माटी की जीत है। इस मौके पर मंच के पदाधिकारी मदन तोमर, कपिल चौहान, बीएन भारद्वाज,गोपाल ठाकुर, सुरेश सिंगटा, रमेश राणा, आशु चौहान, प्रताप ठुंडू, अनुज शर्मा, गोविन्द राणा, दीपक चौहान, दलीप सिंगटा, खजान ठाकुर, सहित आदि मौजूद रहे।
बॉक्स: राष्ट्रपति भवन तक सुनाई दी थी गूंज-
हाटी मामले की गूंज राष्ट्रपति भवन तक सुनाई दी थी। मंच के पदाधिकारी ने इसकी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिमला में राष्ट्रपति निवास रिट्रीट में अप्रैल महीने में मुलाकात की थी। इसी मुलाकात का असर हुआ कि जैसे ही पिछले वर्ष 26 जुलाई को राज्यसभा से बिल पारित हुआ, राष्ट्रपति ने 4 अगस्त को इस पर अपनी सहमति दी थी और इसके बाद ही उसी दिन गजट अधिसूचना जारी हुई थी।
बॉक्स: काम आया तीन पीढियां का संघर्ष
इस मुद्दे पर तीन पीढ़ियों का संघर्ष काम आया। मंच के पदाधिकारी ने कहा कि यह संयोग ही है कि 2 वर्ष पूर्व पहली जनवरी को रोनहाट में महाखुमली की शुरुआत हुई थी। तब आंदोलन का आगाज हुआ था और 2 वर्ष बाद नए साल के पहले दिन यह मुद्दा तार्किक अंत तक पहुंचा। इसके लिए उन्होंने केंद्रीय हाटी समिति के शीर्ष नेतृत्व से लेकर राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठकर हाटी के मुद्दे पर एकता के पक्षधर के सभी लोगों का आभार जताया