हिमाचल की दिव्यांग बेटी को चंडीगढ़ की सड़क पर बितानी पड़ी सर्द रात ddnewsportal.com
हिमाचल की दिव्यांग बेटी को चंडीगढ़ की सड़क पर बितानी पड़ी सर्द रात
जानिये, जानी मानी शख्सियत व लेखिका शिखा के साथ क्यों हुआ ऐसा वर्ताव, अब है ये स्थिति...
हिमाचल की एक दिव्यांग बेटी को सर्द रात चंडीगढ़ की सड़क पर बितानी पड़ी। क्योंकि उसे एक पुनर्वास केंद्र से निकाल दिया गया। हालांकि बाद मे जानने वालों ने उसे दूसरे पुनर्वास केंद्र मे भर्ती करवा दिया है। लेकिन मामले ने अब तूल पकड़ना शुरु कर दिया है। जानकारी के मुताबिक रीढ़ की हड्डी की गंभीर बीमारी के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हिमाचल प्रदेश के विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर की शिखा शर्मा को चंडीगढ़ में सड़क किनारे रात बितानी पड़ी। गुरुवार को उन्हें चंडीगढ़ के एक पुनर्वास केंद्र से निकाल दिया
गया। वीडियो वायरल होने के बाद सहेलियों ने शिखा को दूसरे पुनर्वास केंद्र में भर्ती करवाया। रीढ़ की हड्डी की बीमारी के कारण शिखा कई सालों से घर में बिस्तर में पड़ी रहीं। इससे उनकी पीठ में घाव बन गए। इलाज करवाने के लिए उनके पिता जोगराज शर्मा ने अक्तूबर में बेटी को चंडीगढ़ में दाखिल करवाया। इसी साल मई में उनका अकस्मात देहांत हो गया। शिखा की माता का भी वर्ष 2018 में निधन हो चुका है। सालों से बिस्तर में पड़ी शिखा को अभी तक सरकार से कोई मदद नहीं मिली है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक बार शिखा को इलाज के लिए अपनी तरफ से 25 हजार की आर्थिक मदद दी है। विधायक राजेंद्र राणा ने भी आश्वासन दिया था कि वह अपनी देखभाल के लिए किसी महिला की सेवाएं ले सकती हैं। महिला को प्रतिमाह अपनी जेब से खर्च देंगे। शिखा एक साल से चंडीगढ़ में इलाज करवा रही हैं। एक साल तक जिस पुनर्वास केंद्र में भर्ती रहीं, उनके संचालकों
ने वीरवार को उन्हें निकाल दिया। शिखा के इलाज पर करीब दो से तीन लाख की राशि खर्च होनी है। वीरवार की रात शिखा ने चंडीगढ़ में सड़क किनारे बिताई। वीडियो वायरल होने पर सहेलियों ने अब शिखा को चंडीगढ़ के सेक्टर 28 में स्थित पुनर्वास केंद्र में भर्ती करवाया है।
गोर हो कि दिव्यांग होने के बावजूद भी जिंदादिली की मिसाल शिखा के लेख देशभर की विभिन्न मैगजीन और समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं। सिरमौर की एक संस्था स्टिंगबाज मीडिया शिखा शर्मा को हिमाचल आइकॉन अवार्ड से सम्मानित कर चुकी है। शिखा ने बताया कि गुरुवार को उन्हें पुनर्वास केंद्र ने निकाल दिया। यहां वह एक साल से इलाज करवा रही थीं। सड़क किनारे रात बिताने के बाद उनके जानने वाले ने उन्हें सेक्टर 28 में स्थित पुनर्वास केंद्र में भर्ती करवाया है।