स्पेशल स्टोरी: किताबों के लिए 25 किलो कद्दू उठाकर बेचने गये पांच किलोमीटर पैदल ddnewsportal.com

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फाइल फोटो: रिटायर्ड एक्सईएन के एल चौधरी की जवानी की फोटो।

स्पेशल स्टोरी: किताबों के लिए 25 किलो कद्दू उठाकर बेचने गये पांच किलोमीटर पैदल

मजदूरी भी की, भंगानी से पैदल पंहुचते थे पाँवटा कार्यालय, पढ़ें लोनिवि में अधिशाषी अभियंता पद से रिटायर्ड हुए केएल चौधरी के संघर्ष का सफरनामा...

आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से एक ऐसी शख्सियत के सफरनामे के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होने जहां किताबें खरीदने के लिए 25 किलोग्राम कद्दू तक उठाकर पांच किलोमीटर दूर पैदल चलकर उन्हे बाजार में बेचा, नौकरी लगने पर महिनों भंगानी से पांवटा साहिब नौकरी करने पैदल पंहुचे, दैनिक मजदूरी भी की और न जाने कितना संघर्ष किया। लेकिन हार नही मानी, जिसका नतीजा आज लोकनिर्माण विभाग में अधिशाषी अभियंता के सम्मानित पद से सेवानिवृत हुए। बात केएल चौधरी की हो रही है जो मंगलवार 31 जनवरी को लगभग 39 वर्ष से अधिक सेवा देकर एक्सईएन के पद से रिटायर हुए हैं। 

इनका जन्म जिला सिरमौर के पाँवटा साहिब क्षेत्र के ग्राम भंगानी में 02 जनवरी 1965 को निम्न मध्यम परिवार में पिता स्वर्गीय गुरदास राम चौधरी एवं माता गुलजारो देवी के गर्भ से दूसरे सुपुत्र के रूप में हुआ। सयुंक्त परिवार में से तीन बच्चों ने पढाई शुरू की तथा सभी ने अपने अपने भाग्य के अनुसार उच्च शिक्षा ग्रहण करके प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने के बाद सेवानिर्वित हुए है। उन तीनो में से इनको बहुत ही अलग एवं चुनौतिपूर्ण मार्ग से गुजरना पड़ा लेकिन ईश्वर की चमत्कारिक शक्तियों के आशिर्वाद से बड़ी सहजता एवं कठिन परिश्रम के साथ सफलतापूर्वक तय हो गया। कुशाग्रबुद्धि, परिश्रमी, महत्वकांक्षी, मृदुभाषी, जल्दी से स्थिति को भाँप लेने वाले व व्यवहारिक मामलों की अच्छी समझ रखने वाले प्रतिभाशाली व्यक्ति केएल चौधरी जब आठवीं कक्षा में अध्ययन कर रहे थे तो उस समय के एक मार्मिक वृत्तांत ने उनके जीवन में चुनौतियों का सामना कैसे किया जाता है, उस बारे में अनुभूति करवाई। आठवीं कक्षा में पढ़ते समय इनके विज्ञान के अध्यापक

ने कुछ पाठन सामग्री मंगवाई जिसके लिए दादा जी से बात की गई। लेकिन दादा जी ने असमर्थता जताई व कहा कि कुछ कद्दू घर पर पड़े है इनको बेचकर सामान खरीद लेना। अगले दिन लगभग 20-25 किलो कद्दू उठाकर पांच किलोमीटर दूर विकासनगर बाज़ार में कद्दू बेच कर कुछ सामान खरीदा। रास्ते में जाते वक्त मन में सोचता रहा कि आज खूब सारे पैसे मिलेंगे जिससे मिठाई, समौसे व अन्य मनपसंद की चीजें खाऊंगा परन्तु ज्यादा पैसे न मिलने के कारण मायूस होकर घर पहुंचे। लेकिन हिम्मत नहीं हारी। आठवीं कक्षा सन 1978 में पास की फिर स्कूल छोड़ने की चुनौती आई लेकिन ईश्वर की कृपा से भंगानी स्कूल हाई स्कूल बन गया। दसवीं की परीक्षा देने के बाद घर के बुजुर्गों ने कहा कि बड़ा भाई उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहा है इसलिए आपको दैनिक मजदूरी के लिए कोशिश करनी चाहिए। इन्हें फिर से अपना भविष्य अन्धकार में दिखने लगा परन्तु इन्होने हिम्मत नहीं हारी। दसवीं का परीक्षा परिणाम आने से पहले सिंचाई विभाग के कनिष्ठ अभियंता के अधीन दो महीने की दैनिक मजदूरी की। जून 1980 में दसवीं परीक्षा पास करने के बाद बुजुर्गो एवं बड़े मामा के आश्वासन पर आई० टी० आई० चम्बा से जुलाई 1980 से जून 1982 तक नक्शा नविश का डिप्लोमा प्राप्त किया। एक बार फिर दैनिक भोगी सेवा करने की चुनौती सामने आई। वरिष्ठ कर्मचारी राहुल सेवल एवं प्रितु राम ठाकुर (CHD Ret) के माध्यम से दैनिक भोगी नक्शा नविश का कार्य सिंचाई विभाग में शुरू किया। घर से 10 किलोमीटर दूर कार्यालय पाँवटा साहिब तक आने जाने की फिर से चुनौती आई। उसको भी धैर्यपूर्वक एवं ईश्वर में आस्था रखते हुए पैदल ही भंगानी से आना शुरू किया। दो महीने का दैनिक वेतन मिलने पर रिश्तेदार की एक पुरानी साईकिल की मुरम्मत करवाकर जीवन का अगला सफर शुरू किया। स्थानीय चुनौतियों का सामना करते हुए लगभग दो साल बाद कुछ

रेखांकन नक्शा नविशों के पदों के लिए साक्षात्कार हुए व प्रथम नियमित नियुक्ति 09 जनवरी 1984 को जुब्बल के सिंचाई विभाग में ग्रहण की। शुरुआत तीन अंको के वेतन से हुई जैसे ही वेतन चार अंको में मिलना शुरू हुआ तो बहुत आनंद की अनुभूति हुई। सितम्बर 1984 में स्थानान्तरण जुब्बल से शिमला के लिए हो गया जो कि बहुत ही सौभाग्यशाली रहा, शिमला में ही नौकरी करते समय कनिष्ठ नक्शा नविश के पद से वरिष्ठ नक्शा नविश के पद पर पदोन्नत हुए। इसी बीच शिमला रहते हुए 05 मार्च 1991 को इनका विवाह किरन कुमारी जिला ऊना से हो गया। जिनका सहयोग उन्हे अपने उज्ज्वल भविष्य को सफल बनाने के लिए निरतंर मिलता रहा, जो की उन्हे जीवनपर्यन्त अविस्मरणीय रहेगा। पिता बनने का सोभाग्य 15 अप्रैल 1993 को प्राप्त हुआ जब घर पर पहले सुपुत्र भूपेश चौधरी का जन्म हुआ। अपने उज्वल भविष्य की कामना को जारी रखते हुए नौकरी के साथ साथ AMIE डिग्री करने की चुनौती ली व पुनः कठिन परिश्रम, समय का सदुपयोग एवं सफलतापूर्वक सामाजिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए, पत्नी, बड़े भाई एवं मनसा राम भाटिया के सहयोग से दिसम्बर 1996 में AMIE की डिग्री उत्तीर्ण की। 17 सितम्बर 1997 को घर में दूसरे सुपुत्र ने जन्म लिया जिसका नाम देवाशीष चौधरी है। एक बार फिर महत्वकांक्षी मेहनत के कारण उनका चयन हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता के पद पर हो गया जिसे 14 मार्च 2000 को मीनस (रोहनाट) में ग्रहण किया। बाद में उसी पद पर धौलाकुंआ, नाहन तथा शिलाई में भी अपनी सेवाएँ दी। ऐसा सिंचाई एवं लोक निर्माण विभाग में पहली बार हुआ की किसी नक्शा नविश ने अपनी सेवाकाल के दौरान उच्च शिक्षा प्राप्त करके लोक सेवा आयोग के माध्यम से प्रथम श्रेणी का पद ग्रहण किया हो। जून 2006 में स्नातकोतर (MBA-HRM) की डिग्री प्राप्त की तथा 08 मई 2015 को प्रतिष्ठित अधिशाषी अभियंता के पद पर पदोन्नत हो गए। इस दौरान संगडाह, राजगढ़ एवं नाहन के कार्यालयों में अपनी सेवाएँ दी, वर्तमान में लोक निर्माण विभाग मंडल पाँवटा साहिब से 31 जनवरी 2023 को सेवानिर्वित हुए। हिमाचल सरकार व जनता को 39 वर्ष एवं 23 दिन का सेवाकाल दिया, वह अविस्मरणीय रहेगा।