सुख की सरकार के प्रयास....... अब बेसहारा पशुओं को आश्रय ddnewsportal.com

सुख की सरकार के प्रयास.......   अब बेसहारा पशुओं को आश्रय  ddnewsportal.com
फाइल फोटो: सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश।

सुख की सरकार के प्रयास.......

■ अब बेसहारा पशुओं को आश्रय
■ इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार का ध्यान

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग हिमाचल प्रदेश बुलेटिन 

● हिमाचल: सुख की सरकार बनी असहायों का सहारा।

हिमाचल प्रदेश की लोकप्रिय सुख की सरकार असहायों को सहारा प्रदान करने के ध्येय के साथ विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रही है। वर्तमान राज्य सरकार समाज के कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान करने के साथ-साथ बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान करने में विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। इस दिशा में प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 का समुचित उपयोग कर बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान करना सुनिश्चित कर रही है। 

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया है कि बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान करना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। मुख्यमंत्री ने पशु पालन विभाग को विशेष निर्देश देते हुए कहा कि बेसहारा पशुओं से जुड़े खतरों को रोकने के लिए 1100-हेल्पलाइन में विशेष प्रणाली विकसित की जाए। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में खेती के प्रति किसानों का रुझान कम होने और सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण बेसहारा पशु भी हैं। बेसहारा पशुओं को आश्रय की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने से इन दोनों समस्याओं का समाधान सुनिश्चित होगा और किसान खेतों की ओर रुख करेंगे जिससे उनकी आर्थिकी में बढ़ोतरी होगी।
1100-हेल्पलाइन की नई पहल के अंतर्गत शिकायत दर्ज करने पर यह जानकारी विभाग के संबंधित खंड के पशु अधिकारियों के साथ साझा की जाएगी जो बेसहारा पशुओं को आश्रय और चारे का प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार होंगे। पशु पालन विभाग, वन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर वर्तमान गोशाला और गो-अभयारण्यों के लिए चरागाह चिन्हित करेंगे जिससे इन पशुओं के लिए चारे और पानी की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध होगी। 
ठाकुर सुख्विंदर सिंह सुक्खू सरकार ने सर्वप्रथम विभिन्न आश्रय स्थलों में रहने वाले निराश्रित और बच्चों के कल्याण के लिए रोडमैप तैयार किया है और अब बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान करने के लिए भी सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। 

शिमला: इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग हरित आवरण को बचाने का कारगर विकल्प।

पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत बहुत से देशों ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवीएस) अपनाने पर बल दिया है। परिचालन व्यय को कम करने के लिए ईवीएस उत्कृष्ट माध्यम सिद्ध हुआ है। डीजल और गैस से चलने वाले वाहनों के स्थान पर ईवीएस का उपयोग हरित आवरण को बचाए रखने में कारगर विकल्प है। इनके उपयोग से वाहनों द्वारा ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन में आशातीत कमी होगी। 
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह स्पष्ट किया है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग सुनिश्चित करेगी। इसके लिए राज्य सरकार ने नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति को नवाचार सुझावों के साथ प्रदेश में क्रियान्वित करने का निर्णय लिया है। यह परिवहन क्षेत्र के विपरीत प्रभावों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण के हित में एक क्रांतिकारी कदम होगा। इस नीति के तहत सर्वप्रथम प्रदेश सचिवालय में इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचालन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके उपरांत, सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के लिए भी लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के प्रति प्रोत्साहित किया जाएगा। लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में उचित मापदण्डों के साथ

इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। शुरुआती चरण में राज्य के विभिन्न सरकारी संस्थानों, जिनमें प्रदेश सचिवालय, हिमाचल भवन और राज्य के बाहर अन्य महत्वपूर्ण भवनों में यह सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। राज्य सरकार हिमाचल पथ परिवहन निगम के शून्य बुक वैल्यू वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने के लिए योजना तैयार कर रही है। इस नीति के अंतर्गत निगम की बसों के बेड़े में भी इलेक्ट्रिक बसें शामिल की जाएंगी। यह नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी लाभान्वित होंगी।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग हिमाचल प्रदेश बुलेटिन।