कर्मचारी समाचार- अब आउटसोर्स कर्मचारियों ने बोला हल्ला ddnewsportal.com

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कर्मचारी समाचार- अब आउटसोर्स कर्मचारियों ने बोला हल्ला 

राजधानी में निकाली विशाल रोश रैली, स्थायी पाॅलिसी की कर रहे मांग।

हिमाचल प्रदेश में यह वर्ष रैलियों और धरनों का रहने वाला है ये तो संभावना पहले ही जताई जा रही थी लेकिन इसकी शुरूआत कर्मचारियों के प्रदर्शन से होगी ऐसा शायद ही किसी ने सोंचा होगा। अक्सर चुनावी वर्ष मे राजनैतिक रैलियां और धरने होते रहते हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार के गले की फांस कर्मचारी बन गये हैं। आए दिन कोई न कोई कर्मचारी संगठन शिमला

पंहुचकर रोश रैली निकाल प्रदर्शन कर रहे हैं। एनपीएस कर्मचारी महासंघ के प्रदर्शन के बाद अब आउटसोर्स कर्मचारियों की भी राजधानी मे दहाड सुनाई दी है। हिमाचल प्रदेश के करीब 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारी स्थायी नीति बनाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर गए हैं। बजट से मायूसी हाथ लगने के बाद बुधवार सुबह आउटसोर्स कर्मचारियों ने शिमला पंचायत भवन से चौड़ा मैदान तक रैली निकाली। अब कर्मचारी विधानसभा के समीप प्रदर्शन

कर रहे हैं। विधानसभा घेराव की भी योजना है, लेकिन पुलिस बैरिकेड्स लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रयास कर रही है। प्रदर्शनकारी बैरिकेड हटाने का भी प्रयास कर रहे हैं।  प्रदर्शन के लिए सैकड़ों कर्मचारी शिमला पहुंचे हैं। आउटसोर्स कर्मियों की हड़ताल को मजदूर संगठन सीटू ने समर्थन दिया है। बीते साल जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी का गठन भी किया गया और आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर रिपोर्ट देने को बोला गया, लेकिन कर्मचारियों के हाथ निराशा ही लगी। आउटसोर्स कर्मचारी संघ के मुताबिक कैबिनेट सब कमेटी ने बीते फरवरी महीने में ही अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को सौंपी थी। इसके बाद

कयास लगाए जा रहे थे कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट भाषण में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए पॉलिसी का एलान करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बजट में केवल यह कहा गया कि सभी कर्मचारियों को सैलरी स्लिप दी जाएगी। साथ ही न्यूनतम वेतन 10500 करने की घोषणा की गई।  बिजली बोर्ड, लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग और स्वास्थ्य विभाग में सबसे ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा और महासचिव अवधेश सरोच ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए ठोस नीति बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अभी तक सरकार ने इस दिशा में कोई फैसला नहीं लिया है।