Himachal News: प्रसिद्ध संगीतविद् प्रो. रामस्वरूप शांडिल्य को प्रेरणा स्रोत सम्मान–2025, पढ़ें उपलब्धियाँ... ddnewsportal.com

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Himachal News: प्रसिद्ध संगीतविद् प्रो. रामस्वरूप शांडिल्य को प्रेरणा स्रोत सम्मान–2025, पढ़ें उपलब्धियाँ...

हिमाचल प्रदेश के सुप्रसिद्ध संगीतविद् प्रो. रामस्वरूप शांडिल्य को हिमाचल सरकार द्वारा ‘प्रेरणा स्रोत सम्मान–2025’ से नवाज़ा गया है। यह सम्मान उन्हें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सरकाघाट में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रदान किया गया। चार दशक से अधिक समय तक संगीत, शिक्षा और समाज सेवा में उनके असाधारण योगदान को देखते हुए उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया जा रहा है।

23 नवम्बर 1956 को सोलन ज़िला में चायल के समीप छोटे से गाँव तेहतू में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे डॉ. रामस्वरूप शांडिल्य का जीवन संघर्ष, समर्पण और सफलता की प्रेरक गाथा है। बचपन से ही संगीत के प्रति गहरे लगाव और अदम्य इच्छाशक्ति ने उन्हें कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनों की ओर बढ़ने का साहस दिया। महज सोलह वर्ष की उम्र में गाँव छोड़कर वे सोलन पहुँचे, जहाँ उन्होंने दृष्टिहीन किंतु विलक्षण प्रतिभा के धनी गुरु पं. अनंत राम चौधरी से संगीत शिक्षा प्राप्त की। गुरु से उन्होंने न केवल शास्त्रीय संगीत की बारीकियाँ सीखीं, बल्कि सेवा, त्याग और अनुशासन का अमूल्य संस्कार भी पाया।

डॉ. शांडिल्य की पेशेवर यात्रा 1976 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के कलाकार के रूप में शुरू हुई, जहाँ उन्होंने लोकगीत, शास्त्रीय गायन, ग़ज़ल, भजन और समूह गीत जैसी विधाओं में अपनी पहचान बनाई।वर्तमान समय में ये आकाशवाणी शिमला से ए श्रेणी में अनुमोदित  कलाकार हैं। सांगीतिक यात्रा के प्रारंभिक दौर में कुछ वर्षों तक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में कार्य करते हुए उन्होंने देश-प्रदेश में सांस्कृतिक अभियानों को संगीत के माध्यम से जीवंत किया। इसके बाद वे नवोदय विद्यालय संगठन में संगीत शिक्षक बने, जहाँ उन्होंने न केवल संगीत, बल्कि खेलकूद और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में भी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। इसी दौरान उन्होंने एम.फिल और पीएचडी की उपाधि हासिल की।

वर्ष 1993 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में संगीत गायन के आचार्य नियुक्त होने के बाद उन्होंने शिक्षा और शोध के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी। डॉ. शांडिल्य ने 24 वर्षों तक अनगिनत छात्रों को संगीत शिक्षा दी। उनके मार्गदर्शन में 40 शोधार्थियों ने पीएचडी और 64 ने एम.फिल की उपाधि प्राप्त की। विश्वविद्यालय का कुलगीत रचने के अलावा उन्होंने 110 से अधिक रचनाएँ तैयार कीं, जो आज भी मंचों और आयोजनों में गूँजती हैं।
संगीत के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने विभिन्न संस्थाओं में कार्य किया और कई संस्थाओं की स्थापना और संचालन किया जिनमें संगीत संकल्प (शिमला शाखा), राष्ट्रीय स्तरीय की संचेतना संस्था, गुरु-शिष्य परंपरा और संगीत कल्याण संगठन शामिल हैं। वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित महोत्सवों—जैसे शिमला समर फेस्टिवल, शूलिनी महोत्सव और हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन—में निर्णायक की भूमिका निभा चुके हैं। हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब और राजस्थान के विश्वविद्यालयों तथा लोक सेवा आयोगों में विषय विशेषज्ञ के रूप में भी उनकी विशेषज्ञता का लाभ लिया गया है।


संगीत के साथ-साथ वे समाज सेवा में भी सक्रिय हैं और वर्षों से कई जरूरतमंद विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा और आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं। एक कलाकार, शिक्षक, शोधकर्ता और समाजसेवी के रूप में उनका योगदान न केवल हिमाचल, बल्कि पूरे देश की सांस्कृतिक धरोहर के लिए अनमोल है। ‘प्रेरणा स्रोत सम्मान–2025’ उनके जीवनभर की साधना, उत्कृष्टता और समाजहित में किए गए कार्यों की सार्वजनिक स्वीकृति है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।