राजा वीरभद्र सिंह की मौत से भी शिक्षा लें राजनेता- ddnewsportal.com
राजा वीरभद्र सिंह की मौत से भी शिक्षा लें राजनेता
शिलाई क्षेत्र के समाजसेवी कुंदन सिंह शास्त्री बोले; जननायक बनने के लिए तपना पड़ता है समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी की भट्टी में।
पक्ष विपक्ष द्वारा समान रूप से राजा वीरभद्र सिंह की मृत्यु पर श्रद्धा और सम्मान के साथ अंतिम विदाई देना दर्शाता है कि राजनीति में जन नायक बनने के लिए जीवन भर समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी की
भट्टी में तपना पड़ता है। अपने और पराए में भी अच्छे लोगों की पहचान, विपरीत परिस्थितियों में धैर्य, तीव्र स्मरण शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता जैसे अद्भुत गुणों के मालिक थे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह। यह कहना है शिलाई क्षेत्र के समाजसेवी कुंदन सिंह शास्त्री का। शास्त्री ने कहा कि राजा वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश का सही दिशा में विकास करने के साथ-साथ वे जिनको बनाना चाहते थे उन्हें बना कर दिखाया और जिन्होंने दुर्भावना से बाधाएं और षड्यंत्र खड़े कि उन्हें ठिकाने भी लगाया। इसीलिए राजनेताओं और उच्च अधिकारियों में उनके प्रति सम्मान भी था और भय भी। ऐसा आज की भ्रष्ट एवं षड्यंत्रकारी राजनीति में होना भी चाहिए अन्यथा बेईमानी करने वाले अपने साथ औरौं को भी डुबोने में देर नहीं करते। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी जरूर एहसास हो रहा होगा कि वीरभद्र सिंह अपने आप में ही पूर्ण संगठन थे और जननायक थे। मुख्यमंत्री के रूप में इनका अंतिम कार्यकाल वृद्धावस्था के कारण जरूर कुछ आलोचना का विषय रहा था लेकिन जैसे बड़े वृक्ष के नीचे छोटे वृक्ष पनप नहीं पाते वही स्थिति इनके रहते
हिमाचल में कांग्रेस पार्टी की रही है। वीरभद्र सिंह अपने व्यक्तित्व और कार्यशैली से राजनीति में इतनी बड़ी लकीर खींच कर गए हैं कि उनका विकल्प किसी को बनना या बनाना कतई भी आसान नहीं है। डॉक्टर परमार ने हिमाचल को बनाने में और राजा वीरभद्र सिंह ने हिमाचल को सजाने में बहुत बड़ी और निर्णायक भूमिका निभाई है, इसमें कोई दो राय नहीं है। 4-5 बार उनसे क्षेत्रीय मुद्दे को लेकर हमें भी मिलने का अवसर मिला तो लगता था कि हम किसी महान नेता से मिल रहे हैं। उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान के साथ भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी आत्मा को शत-शत नमन करते हैं।