शादी और बच्चों के बाद जीवन ठहर नही जाता- शमा चौधरी
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष- 04
शादी और बच्चों के बाद जीवन ठहर नही जाता
भारतीय मूल की अमेरिकन महिला शमा चौधरी ने उम्र की दीवार तौड़ पूरे किए सपने, महिलाओं को आगे बढ़ने की देती है प्रेरणा
आज समाज मे महिलाएं किसी दर्जे मे पुरुष से कम नही है। अनैकों फील्ड मे महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का डंका बजाया हैं। आज देश के हर कौने मे छोटे से छोटे शहर मे भी महिलाओं ने अपनी जिम्मैदारियों को बखूबी निभाकर देश के विकास मे अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम ऐसी महिलाओं की उपलब्धियां आप सभी के समक्ष ला रहे हैं जो समाज को एक बड़ी प्रेरणा दे रही है। समाजसेवा हो या देश सेवा हर क्षेत्र मे अब महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास मे अपना अहम योगदान दे रही हैं। ऐसी प्रेरणास्रोत्र शख्सियतों को देश दिनेश न्यूज पोर्टल का सैल्यूट..........
शादी हो गई और फिर बच्चे हो गये तो मानो भारतीय महिला के अपने सपने तो जैसे खत्म ही हो गये। लेकिन ऐसा नही होता। यदि आपके भीतर कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो आप उम्र के बंधन व दीवार तौड़ अपने सपनों को, अपनी मंजिल को हासिल कर सकते हैं। यह संदेश अमेरिका के नवादा स्टेट के रेनो शहर मे रहने वाली भारतीय मूल की शमा चौधरी देती है। अंतर्राष्ट्रीय
महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को प्रेरित करने के लिए हम आपको एक ऐसी प्रेरणादायक शख्सियत के जीवन के बारे मे बता रहे हैं जिन्होंने अपने सपने पूरे करने के लिए शादी और बच्चे होने के बाद समय निकाला और मंजिल हासिल की। सोमवार सुबह शमा चौधरी से देश दिनेश न्यूज़ पोर्टल ने बातचीत की और उनके बारे मे जानकारी हासिल की। इस दौरान शमा चौधरी ने बताया कि वह लगभग 19 वर्ष की रही होगी जब उनकी शादी अमेरिका में रहने वाले व्यक्ति के साथ हुई और वह जिला सिरमौर के नाहन से अमेरिका के नवादा शिफ्ट हो गई। उनके पास तीन लडकियां हैं। जो अच्छी शिक्षा ले रही है। बड़ी बेटी 22 वर्ष की है तथा लाॅ सेकेंड ईयर मे हैं। मंझली बेटी 20 वर्ष की है तथा मेडिकल मे सेकेंड ईयर मे हैं। सबसे छोटी बेटी पुलिस अधिकारी बनना चाहती है। शमा ने बताया कि उनके पति पुलिस डिपार्टमेंट से चीफ के पद से हाल ही मे रिटायर्ड हुए हैं। उन्होंने बताया कि उनका बचपन से ही खेलों मे शौंक रहा। सिरमौर मे भी वह बास्केटबॉल की अच्छी प्लेयर रही और नेशनल तक खेली। कम उम्र मे शादी और फिर बच्चों की जिम्मेदारी। लेकिन उन्होंने अपने सपनों को मरने नही दिया। जब लगा कि अब बेटियाँ बड़ी हो गई है और खुद को संभाल सकती है तो करीब 8 साल
पहले उन्होंने जिम जाना शुरू किया और बाॅडी बिल्डिंग में भाग लेने का मन बनाया। क्योंकि इस फील्ड मे उम्र खास मायने नही रखती इसलिए इस खेल को चुना। कड़ी मेहनत की और लोकल इवेंट्स मे भाग लेती रही। फिर यूएस टीम बनाई, मेहनत कामयाब हुई और वर्ष 2017-18 मे इटली मे ओलंपिक मे भाग लेकर बाॅडी बिल्डिंग मे अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। आज
वह खुद तो इस फील्ड मे खेलती ही हैं साथ ही और को ट्रेनिंग भी देती है। शमा कम्युनिटी सर्विस का काम करती है जो एक सरकारी जाॅब है। इसके तहत पब्लिक डिलिंग का कार्य होता है और यह शहर मे किसी भी प्रकार के आयोजन की परमिशन आदि से जुड़ा और लोगों के बीच समन्वय का कार्य है। नौकरी से समय निकालकर वह आज भी खेलकूद के लिए समय निकाल लेती हैं। तो इस प्रकार भारतीय मूल को अमेरिकन महिला शमा चौधरी आज अपने सपनों को पूरा कर संदेश देती है कि महिलाओं को भी अपने सपने पूरा करने का अधिकार है। चाहे उनकी शादी हो जाएं या बच्चे हो जाएं लेकिन उसके बाद भी वह अपने शौंक या सपने पूरा कर सकती है। इसलिए यह कभी नही सोंचना चाहिए कि शादी और बच्चों के बाद जीवन थम गया है।