एबीआरएसएम ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को सौंपा सुझाव पत्र- ddnewsportal.com
विद्यार्थियों मे समरसता एवं राष्ट्रीय एकात्मता के भाव का विकास किया जाना चाहिए
एबीआरएसएम ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को सौंपा सुझाव पत्र।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने वर्तमान परिस्थिति में शिक्षा व्यवस्था के संबंध में आज एक सुझाव पत्र राष्ट्रीय शिक्षा परिषद के अध्यक्ष को भेजा है। महासंघ के महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा ने बताया कि देशभर में शैक्षिक सुधार एवं उन्नयन हेतु शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाला देश का सबसे बड़ा संगठन है। संगठन का मत है कि शिक्षण जैसे महत्वपूर्ण पेशे में शिक्षकों के लिए एक पेशेवर मानक संहिता होना परम आवश्यक है। शिक्षण कार्य में समग्र सुधार के लिए न केवल शिक्षक, बल्कि संपूर्ण तंत्र के प्रत्येक घटक जैसे ब्लॉक, जिला, राज्य स्तर के अधिकारियों के लिए भी व्यावसायिक मानक तय किए जाने चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लेखित नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स फॉर टीचर्स के संबंध में संगठन ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। शिक्षक का व्यक्तित्व विद्यार्थी पर सर्वाधिक असर करता है। इसलिए शिक्षक का आचरण और व्यवहार एक रूप होना चाहिए। शिक्षक में धैर्यशीलता, शालीनता, ईमानदारी, नियमितता, समयबद्धता, चारित्रिक शुचिता और निष्पक्षता जैसे गुण होना परम आवश्यक है। शिक्षक को अपने विषय के ज्ञान
और पेशेवर कौशल को निरंतर स्वाध्याय एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा अद्यतन करते रहना चाहिए। शिक्षक ने सैद्धांतिक स्पष्टता और प्रभावी संवाद कौशल की योग्यता होनी चाहिए। शिक्षकों को शोध एवं नवाचार द्वारा अपने विषय में गहनता लानी चाहिए। शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों अथवा प्रौद्योगिकी, संदर्भ पुस्तकों का उपयोग किया जाना चाहिए। अपने विषय की पेशेवर संगठनों की सदस्यता लेकर भी ज्ञान में वृद्धि की जानी चाहिए। शिक्षण के केंद्र में विद्यार्थी होता है। विद्यार्थी के साथ निष्पक्ष व्यवहार करते हुए उसकी विशिष्ट क्षमताओं की खोज शिक्षक का उद्देश्य होना चाहिए। विद्यार्थियों के प्रति सहृदय व्यवहार अपनाते हुए उनके लिए हर समय उपलब्ध होना चाहिए। अपनी नेतृत्व क्षमता का उपयोग करते हुए शिक्षक को विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और व्यवहार पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। संगठन के मतानुसार शिक्षक को विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, देशभक्ति, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण एवं संविधान के प्रति सम्मान की भावना जैसे मूल्यों का विकास करना चाहिए। शिक्षक को सीखने के लिए एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण करना चाहिए। इसके लिए विद्यार्थियों में स्वअनुशासन, समय पालन, प्रत्यक्ष भागीदारी एवं सहयोग जैसे गुणों का विकास करना चाहिए। विद्यार्थियों को शारीरिक अथवा मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए। विद्यार्थियों में सामुदायिक जुड़ाव उत्पन्न करने का दायित्व भी शिक्षक का ही है। संगठन का मत है कि सामुदायिक कार्यकलापों में भागीदारी सुनिश्चित कर विद्यार्थियों को सामाजिक कुरीतियों के दुष्प्रभाव समझाते हुए उनमें समरसता एवं राष्ट्रीय एकात्मता के भाव का विकास किया जाना चाहिए। संगठन का सुविचारित मत है कि इन सभी जिम्मेदारियों के समुचित निर्वाह के लिए शिक्षक को ब्लॉक, जिला एवं राज्य स्तरीय जिम्मेदार संस्थानों एवं अधिकारियों का स्वस्थ सहयोग अति आवश्यक है। शिक्षकों को उनकी कमजोरियों के विषय में हतोत्साहित न कर स्वस्थ प्रशिक्षण द्वारा उनका मनोबल बढ़ाया जाना चाहिए। अशैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की ऊर्जा को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। शिक्षक की उपस्थिति, उसके विद्यार्थियों का परीक्षा में प्रदर्शन, विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में उसकी सहभागिता, राज्य व राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार, मानक शैक्षिक सामग्री विकसित करने में योगदान, शिक्षक का विभिन्न कार्यक्रमों में संदर्भ व्यक्ति के रूप में सहभाग, शिक्षक के विद्यार्थियों का उसके विषय से संबंधित राष्ट्रीय/ राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में सहभाग और प्रदर्शन, अपने शिक्षण संस्थान को स्वस्थ एवं हरा भरा रखने में योगदान, शिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित विभिन्न खेलकूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सहभाग, विभिन्न जनरल, मैगजीन में लेख या शोध पत्र का प्रकाशन आदि मानकों के आधार पर शिक्षकों को समय पूर्व प्रमोशन, सेवा विस्तार या अतिरिक्त वेतन वृद्धि देकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जे.पी सिंघल, महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा, संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर, सह संगठन मंत्री ओमपाल सिंह,उच्च शिक्षा संवर्ग प्रभारी महेन्द्र कुमार, अतिरिक्त महामंत्री डॉ निर्मला यादव, कोषाध्यक्ष संजय राउत, उपाध्यक्ष पी वेंकट राव, सचिव मोहन पुरोहित,संयुक्त सचिव पवन मिश्रा,उच्च शिक्षा संवर्ग के संयुक्त सचिव डॉ.नारायण लाल गुप्ता के नेतृत्व में ये सुझाव तैयार कर भेजे गए हैं।