क्या चुनाव के दौरान लाॅलीपाॅप बांटती है भाजपा ddnewsportal.com
क्या चुनाव के दौरान लाॅलीपाॅप बांटती है भाजपा
2017 मे पार्टी ने पांवटा के विजन डक्यूमेंट मे दी थी इस मांग को प्राथमिकता, चार साल मे भी नही ली कोई सुध, युवा वर्ग हताश।
हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर का सीमान्त नगर पांवटा साहिब औद्योगिक और एजुकेशन हब के कारण तो पहचाना जाने लगा ही है। साथ ही यह नगर गुरु गोबिंद सिंह की नगरी के नाम से भी विश्व प्रख्यात है। हालांकि पांवटा मे विकास के कई काम हुए है लेकिन किसी भी सरकार ने यहां के एथलीटों और खिलाडियों की प्रतिभा को बुलंदियों पर ले जाने की सोंच नही दिखाई। पांवटा मे आज तक भी खेल अकादमी नही बनी है। जबकि पांवटा इस अकादमी का पूरी तरह हकदार है। भाजपा के पांवटा साहिब के वर्ष 2017 के विजन डक्यूमेंट मे इस मांग को प्राथमिकता के तौर पर रखा था और प्रत्याशी ने आश्वासन भी दिया था कि वह चुनाव जीतते और सरकार बनते ही इस अहम कार्य को प्राथमिकता पर करवायेंगे। युवा वर्ग ने भाजपा का साथ भी दिया। यही कारण रहा कि यहां से भाजपा के प्रत्याशी ने बड़े मार्जिन से जीत भी दर्ज की। लेकिन चार साल बीतने के बाद भी इस दिशा मे कोई काम नही हुआ है। जिससे लोग व युवा अब कहने लगे हैं कि भाजपा चुनावों के दौरान लाॅलीपाॅप बांटती है। यानि चुनावी वायदे हवा हवाई होते हैं। धरातल पर कुछ होता नही है।
यदि आंकड़ो पर नजर डालें तो हर साल जिला सिरमौर और जिले के शिलाई और पांवटा से विभिन्न खेलों मे बच्चे अंर्तराष्टीय स्तर तक जाकर अपनी खेल प्रतिभा का प्रर्दशन कर प्रदेश और जिले को गौरवान्वित करते है। क्रिकेट खिलाडि़यों से लेकर कब्बडी, बास्केटबाल, हॉकी और फुटबाल आदि सहित सांस्कृतिक कार्यक्रमों मे भी पांवटा उपमंडल के बच्चों ने देश विदेश मे अपनी
प्रतिभा दिखाई है। यहां से तीन से चार खिलाड़ी क्रिकेट मे रणजी खेल चुके है। बास्केटबाल और हॉकी मे तो हर साल यहां से एक दर्जन से अधिक बच्चे नेशनल खेलकर आते है। इनमे ज्यादातर बच्चे गिरिपार के ग्रामीण क्षेत्र के रावमा नघेता स्कूल के होतें है। यहां के नीजि प्रतिष्ठित स्कूलों से भी बच्चे बास्केटबाल, खो-खो, बेडमिंटन और एथलेटिक्स मे उत्तर भारत स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। शिलाई क्षेत्र की बात करें तो यहां से कब्बडी मे हर साल कई बच्चे साई होस्टल मे प्रवेश ले रहे हैं जिनमे अधिकतर लड़कियां है। लेकिन ज्यादातर खिलाडियों की प्रतिभा सुविधाओं के अभाव मे दम तोड़ देती है। जानकार मानते है कि यदि पांवटा मे खेल अकादमी बने तो जिला सिरमौर से कई खेलों मे बच्चे अंर्तराष्टीय स्तर पर धूम मचा सकते है। उनका कहना है कि पांवटा एक दून व समतल क्षेत्र है। यहां पर सरकार की भी काफी भूमि बेकार पड़ी हुई है। यदि सरकार चाहें तो यहां पर खेल अकादमी बनाकर युवा खिलाडियों के भविष्य को संवार सकती है। यही युवा आगे चलकर देश-विदेश मे हिमाचल का नाम रोशन करेंगे। लेकिन इस दिशा मे कोई काम न होने पर लगता है कि स्थानीय जन प्रतिनिधि को न तो खेलों से कोई लगाव है और न ही युवाओं के भविष्य की कोई चिंता है। क्योंकि यदि ऐसा होता तो चार साल के अंतराल मे पांवटा विधानसभा मे खेल और खिलाडियों के काम धरातल पर नजर आते। अब तो स्थानीय विधायक सरकार मे मंत्री भी है और उनका रूतबा भी है। वह चाहें तो युवाओं को खेलकूद की दिशा मे सरकार से बड़ा तोहफा दिला सकते हैं। उधर, पूर्व
विधायक चौधरी किरनेश जंग का कहना है कि वर्तमान विधायक ने युवाओं के बारे मे कभी नही सोंचा। तभी तो पिछले चार साल मे अपनी विधानसभा मे खेल और खिलाडियों से संबंधित एक भी काम नही किया। किरनेश जंग ने कहा कि उन्होंने अपने विधायक के कार्यकाल मे नगर परिषद के खेल मैदान की काया पलट दी थी। लेकिन अब उसकी हालत भी दयनीय हो चुकी है।