Diwali Special: पंच पर्व पर इस दिन रहेगा सूर्य ग्रहण का साया... ddnewsportal.com
Diwali Special: पंच पर्व पर इस दिन रहेगा सूर्य ग्रहण का साया...
कल धनतेरस और सोमवार को दीवाली पर क्या रहेगा विशेष पूजा का मुहूर्त, बता रहे हैं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं कमलकांत सेमवाल...
जिला सिरमौर के प्रसिद्व ज्योतिषाचार्य पं कमलकांत सेमवाल ने बताया कि इस बार दीवाली पंच पर्व कल रविवार को धनतेरस से शुरू है रहा है। लेकिन इस बार पंच पर्व पर सूर्य ग्रहण का साया भी है इसीलिए दीवाली 24 अक्तूबर सोमवार को है। तथा मंगलवार 25 अक्तूबर को सूर्य ग्रहण के चलते कोई पर्व नही होगा। उन्होंने पंच पर्व की जानकारी देते हुए बताया कि रविवार को धनतेरस है। क्योंकि आज सूर्यास्त के बाद रात दो बजे त्रयोदशी लग रही है इसलिए धनतेरस कल रविवार को ही होगा। इस के साथ साथ हनुमान जयंती भी रविवार को ही है। धनतेरस पर सोना
चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ रहता है। खरीददारी पूरा दिन कभी भी कर सकते है। उन्होंने बताया कि धनतेरस की पूजा का विशेष शुभ मुहूर्त शाम 5:39 बजे से रात 08:14 बजे तक है।
इस बार सोमवार 24 अक्तूबर को दीवाली का पर्व पूरे देश मे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। उन्होने बताया कि पर्व पर लक्ष्मी पूजन के वैसे तो दिनभर लग्न के हिसाब से कईं मुर्हुत है लेकिन मुख्य रुप से गृहस्थ लोगों के लिए प्रदोष काल का पूजा के लिए विशिष्ट मुर्हुत है। पं कमलकांत का कहना है कि दीपावली
हिन्दु धर्म का मुख्य पर्व है। रोशनी का पर्व दीवाली कार्तिक अमावस्या के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि दीपों से सजी इस रात में मां लक्ष्मी जी भ्रमण के लिए निकलती है और अपने भक्तों को खुशियां बांटती है। दीपावली का पावन पर्व इस बार 24 अक्तूबर को मनाया जा रहा है। दीवाली भगवान श्रीराम के लंका पर विजयी के पश्चात अयोध्या लौटने की खुशी मे मनाई जाती है। इस मौके पर लोग घर मे घी के दिए जलाते है और इस त्यौहार का खूब आनद लेते है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। दीपावली के दिन दीपदान का विषेष महत्व है। नारद पुराण के अनुसार इस दिन मन्दिर, घर, नदी, बगीचे, वृक्ष, गौशाला और बाजार में दीपदान देना शुभ माना जाता है। इस दिन जो कोई श्रद्वापूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा करता है। उसके घर कभी दरिद्रता का वास नही होता। दीपावली के दिन घर में चौमुखा दीपक रात को प्रदीप्त होना चाहिए।
पूजा विधि-
मां लक्ष्मी से पूर्व गणेश जी की पूजा करें उसके बाद मां लक्ष्मी, सरस्वती, कुबेर, कमल, दवात की पूजा करें। बही खातों की भी पूजा करें। मां लक्ष्मी की मूर्ति गणेश जी के दाईं और रखें। एक कलश स्थापित करें। कलश को चावलों की ढेरी पर स्थापित करें। दो बड़े दीपक रखें। एक दीपक तेल का और एक दीपक घी का प्रज्वलित करें। कलश की तरफ चावलों से नौ ढेरियां नवग्रह के रूप में बनाएं। गणेश जी के सामने चावलों से 6 ढेरियां षोडष मातिृका के रूप में बनाए एवं स्वास्तिक का चिन्ह भी बनाएं। चौकी के सामने तीन थाली जिसमें खील, पताशे, मेवे इत्यादि रखे। जलभर कर कलश रखें। धनतेरस पर जो पात्र खरीदा हैं उसमें अन्न भर कर रखें।
मां लक्ष्मी के प्रिय-
मां लक्ष्मी को पूजा में कमल के फूल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बैर, अनार, सिंघाडे प्रिय है। सुगंध में केवडा, गुलाब, जल, चन्दन व पित्र प्रिय है। अनाज में चावल, मिठाई में केसर की मिठाई हलवा। दीपक प्रकाश के लिए गाय का घी, मुंगफली या तिल का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है। गन्ना, रबडी, हल्दी, कमल गठ्ठा बिलपन्न आदि भी इन्हे प्रिय है। स्कन्द पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या को प्रातः स्नान कर सभी देवताओं की पूजा करनी चााहिए।
ये है पूजन का शुभ समय-
दीपावली का पर्व शुभ पर्व है। इस दिन लक्ष्मी, गणेश, कुबेर व इंद्र देव की पूजा करनी चाहिये। प्रदोष काल मे पूजा का शुभ विधान है, अतः इस समय की गयी पूजा सभी मनोरथो को पूरा करती है। गृहस्थ के लिए पूजा का शुभ समय सायं 5ः40 बजे से रात्रि 8 बजकर 20 मिनट तक है। सभी गृहस्थ इस शुभ मुहूर्त मे पूजा करें। प0 सेमवाल ने बताया कि गृहस्थ लोगों को प्रदोष काल मे ही पूजा करनी चाहिए जो सूर्यास्त के बाद 2 घण्टे 24 मिनट तक रहता है। हालांकि दिवाली के दिन पूजा के अन्य मुर्हुत भी हैं लेकिन गृहस्थ लोगों के लिए पूजा का अति विशिष्ट समय सांय 8 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। व्यापरियों के लिए पूजा का विशेष मुहूर्त रात 10:30 बजे से 12:20 बजे तक रहेगा।
इसी तरह 25 अक्तूबर को सूर्य ग्रहण के चलते कोई पर्व नही है। 26 अक्तूबर को गोवर्द्धन और अन्नकूट पूजा होगी। उसके अगले दिन यानि 27 अक्तूबर को भैयादूज का पर्व मनाया जाएगा।