HP Samej Cloudburst: समेज में कैसे आया तबाही का सैलाब, सामने आए इसरो से प्रमाण... ddnewsportal.com
HP Samej Cloudburst: समेज में कैसे आया तबाही का सैलाब, सामने आए इसरो से प्रमाण...
हिमाचल प्रदेश में इस मानसून की बरसात में गत 31 जुलाई की रात को रामपुर के समेज में कैसे सैलाब आया इसके प्रमाण मिल गए हैं। हिमाचल सरकार को इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर से सारा सेटेलाइट डाटा आ गया है। इस डाटा से पता चलता है कि श्रीखंड कैलाश के रास्ते में फटे बदल के कारण तीन खड्डों में एक साथ सैलाब आया था। इस बाढ़ में पानी की स्पीड इतनी तेज थी कि इसे रोकना किसी भी तरह के स्ट्रक्चर के लिए असंभव था। सेटेलाइट की तस्वीर बताती है कि कई जगह जहां समेज खड्ड का दायरा 35 मीटर तक ही था, वहां बाढ़ के बाद कई जगह चौड़ाई 115 मीटर हो गई थी। यह डाटा सेटेलाइट से मिलने के बाद राज्य सरकार इस प्राकृतिक आपदा को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती है। हिमाचल का आपदा प्राधिकरण इस सेटेलाइट डाटा को भी जनरल पब्लिक से शेयर करेगा। 31 जुलाई, 2024 की रात को एक साथ समेज खड्ड, कुरपन और गानवी खड्ड में बाढ़ आई थी। गानवी में इतना नुकसान किसी जान का नहीं हुआ, लेकिन समेज में पूरा गांव ही बह गया था और 36 लोग या तो लापता हैं या जान गवा चुके हैं।
इसी तरह कुरपन खड्ड में बागी पुल से आठ लोग लापता हो गए थे। बाद में कुछ के शव मिल गए। सेटेलाइट डाटा मिलने के बाद आपदा प्राधिकरण अब रिवेन्यू रिकार्ड से इसका मिलान कर रहा है। हालांकि इसरो के इस केंद्र से उसी रात मलाणा में हुए नुकसान की रिपोर्ट भी अभी अपेक्षित है। यह सारी रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार प्राकृतिक आपदाओं और नदी-नालों के किनारे बसे गांवों को लेकर कोई निर्णय ले सकती है। ऐसे गावों को नई जगह बसाने के लिए निजी भूमि यानी मिलकियत का फोरेस्ट लैंड से ट्रांसफर एक विकल्प हो सकता है। इस हादसे के बाद हिमालय नीति अभियान ने भी घटनास्थल का दौरा कर एक रिपोर्ट राज्य सरकार को दी है। इस रिपोर्ट में कुछ सिफारिश भी की गई है, लेकिन कोई भी फैसला लेने से पहले राज्य आपदा प्राधिकरण को सेटेलाइट डाटा का इंतजार था।