यमुना स्नानघाट पर नही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम- ddnewsportal.com

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कितना सुरक्षित है हमारा शहर- 04

यमुना स्नानघाट पर नही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम 

न तो नियमित गौताखोर और न ही लोहे की जंजीरों की व्यवस्था।

हर साल होते हैं हादसे पर प्रशासन नही ले रहा सीख।

यमुना नदी के किनारे बसे प्रदेश के एकमात्र नगर पांवटा साहिब मे यमुना नदी के पवित्र जल मे स्नान करने आने वालों की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं। क्योंकि यहां पर प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा के कोई खास इंतजाम नही है। यहां पर दूर दराज से भक्त पंहुचते हैं तथा गुरूद्वारा श्री पांवटा साहिब सहित श्री कृष्ण, हनुमान और मां यमुना मंदिर मे शीश नवाकर यमुना नदी मे स्नान करते हैं। लेकिन न तो स्नानघाट पर नियमित तौर पर गौताखोर की तैनाती

होती हैं और न ही लोहे की जंजीर की व्यवस्था है जिसे पकड़ कर भक्त सुरक्षित स्नान कर सकें। यही कारण है कि मात्र स्नान करते हुए ही पिछले कईं वर्ष से दर्जनो लोग अपनी जान गवां चुके हैं। जानकारी के अभाव मे भक्त स्नान करते नदी मे थोड़ा आगे निकल जाते हैं और गुमनाम भंवर मे फंसकर रह जाते है। जानकारों की माने तो यहां हर वर्ष यमुना नदी मे स्नान के दौरान

मौते होती है। पिछले दो वर्ष से कोरोना महामारी के चलते लोगों का यहां आगमन कम हुआ है जिससे हादसे भी नही हुए हैं। वरना अमूमन यहां पर बाहरी राज्यों से आने वाले लोग स्नान करते हुए दुर्घटना के शिकार होते हैं। स्थानीय लोग प्रशासन से गुहार लगाते रहे हैं कि यहां पर नियमित गौताखोर को तैनात किया जाएं और लोहे की संगल आदि की व्यवस्था हो ताकि लोग उसे पकड़कर स्नान कर सकें। 
यही नही, विश्व मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बना चुके पांवटा नगर मे महिलाओं के लिए भी यमुनाघाट पर स्नानगार नही बन पाया है। हालांकि उपर की तरफ चेंजिंग रूम बनाये गये हैं।  यहां पर सालभर लाखों पुरुष-महिला श्रद्वालु पंहुचते हैं और यमुना नदी के जल मे स्नान करते हैं। ज्यादातर महिलाएं स्नानगार न होने के कारण अपने शरीर पर जल के छींटे डालकर पंचस्नान ही कर पाती है।
पांवटा साहिब ही प्रदेश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां से होकर यमुना नदी बहती है। यमुना नदी उतराखंड से हिमाचल के इस शहर से होते हुए हरियाणा की तरफ निकलती है। जिस कारण पूरे हिमाचल प्रदेश व पड़ोसी राज्यों से यहां पर मंदिरो व गुरूद्वारों में श्रद्वालु आते है। लेकिन महिला स्नानागार मे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने के कारण हमेशा हादसे का भय लगा रहता है। यहां पर हर रोज सैंकड़ो श्रद्वालु आते है। जबकि सोमवती अमावस व अन्य धार्मिक पर्वो पर तो यहां श्रद्वालुओं का तांता लगता है। बावजूद इसके कोई पुख्ता प्रबंध अभी तक नही हुए हैं।