क्या सियासत से आगे बढ़ पायेगा पाँवटा साहिब का धार्मिक पर्यटन ddnewsportal.com

क्या सियासत से आगे बढ़ पायेगा पाँवटा साहिब का धार्मिक पर्यटन  ddnewsportal.com

मुद्दा: पाँवटा साहिब- नई सरकार से आस.......

क्या सियासत से आगे बढ़ पायेगा पाँवटा साहिब का धार्मिक पर्यटन

गुरु की नगरी को टुरिज्म के रुप मे विकसित करने के चुनावी घोषणा मुद्दे के अमलीजामा पहनने की जनता को उम्मीद, भाजपा-कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र में किया है शामिल

जिला सिरमौर मे यमुना नदी के किनारे स्थित प्रदेश की एकमात्र गुरु की नगरी पांवटा साहिब को धार्मिक पर्यटन के रुप मे उभारने का मुददा क्या सियासी घोषणाओं से आगे बढ़ पाएगा। मतगणना के बाद बनने वाली नई सरकार और उसके नुमाइंदे से पाँवटा साहिब की जनता यह उम्मीद कर रही है। करें भी क्यों न। हर बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव मे प्रमुख पार्टियों के घोषणापत्र मे जिला सिरमौर और पांवटा साहिब को र्प्यटन की दिशा मे उभारने की बात कही जाती है। इस बार भी भाजपा-कांग्रेस के चुनावी संकल्प पत्र में यह मामला प्रमुखता से रखा गया है। 
दरअसल, हर बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव मे प्रमुख पार्टियों के घोषणापत्र मे जिला सिरमौर और पांवटा साहिब को र्प्यटन की दिशा मे उभारने की बात कही जाती है। लेकिन धरातल पर जब काम करने की बात आती है तो सियासी घोषणाएं मात्र घोषणाएं बनकर रह जाती है। न तो केन्द्र और न ही प्रदेश सरकार इस और कोई खास ध्यान नही देती है। जिसका नतीजा यह है कि हर साल लाखों की तादात मे गुरु महाराज के दर्शनों को पंहुचने वाली संगतों के लिए आज भी पांवटा साहिब मे र्प्यटन की दिशा मे कोई खास सुविधाएं नही है। इससे प्रदेश को भी लाखों रुपए का राजस्व घाटा हो रहा है। लेकिन फिर भी इस दिशा मे कोई ठोस कार्य होता नही दिख रहा। हर बार चुनाव मे यह मुददा पार्टियों द्वारा अपने घोषणापत्र मे डाला जाता है लेकिन चुनाव होते ही यह चुनावी वायदे भी जैसे भुला दिए जाते हैं। नगर के वरिष्ठ नागरिकों समेत बुद्विजीवियों का मानना है कि मां यमुना की गोद मे बसी गुरु की नगरी पांवटा साहिब मे यदि सरकार और पर्यटन निगम की नजर-ए-इनायत हो तो इससे प्रदेश सरकार को तो फायदा होगी ही साथ साथ पांवटा के लोगों के लिए भी रोजगार के द्वार खुल जायेंगे। जानकारों का कहना है कि यदि सरकार पांवटा नगर को र्प्यटन की दृष्टि से विकसित करने का निर्णय लेती है तो पांवटा साहिब मे पर्यटक हर साल 300 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर सकतें है। इस राशि से जहां यहां के व्यापारियों की आर्थिक हालत सुधरेगी वहीं पांवटा के विकास को भी चार चांद लगेंगे। पांवटा गुरु की पावन नगरी है। और यहां से हर साल कम से कम 30 लाख श्रद्वालू और पर्यटक गुजरते हैं। लेकिन अभी तक भी इन पर्यटकों को पांवटा मे कुछ देर ही सही रोकने के लिए कोई खास प्रबंध नही है। लाखों श्रद्वालू यहां के एतिहासिक गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरुद्वारे मे मत्था टेकने आतें हैं। पर्यटकों के लिए पांवटा मे अभी तक ऐसा कोई उपयुक्त रमणीक स्थल नही उभरा है ताकि वह यहां पर घूम सकें और यहां की सुंदरता का आनन्द लें सकें। जानकारों

का मानना है कि पांवटा साहिब मे बहुत से ऐसे क्षेत्र है जिन्हे विकसित कर पर्यटक को बढावा मिल सकता है। यहां पर नगर के किनारे बहती यमुना नदी आर्कषण का केंन्द्र बन सकती है। सरकार और पर्यटन निगम यदि पहल करें तो इस नदी मे यमुना घाट के पास एक सुंदर कृत्रिम झील का निर्माण किया जा सकता है। जिसमे बोटिंग का पर्यटक आनन्द ले सकते है। गिरिपार क्षेत्र मे निगाली को एक हिल स्टेशन के रुप मे उभारा जा सकता है। यहां पर प्राकृतिक सुंदरता कूट कूटकर भरी है सिर्फ उसे तराशने की जरुरत है। खोदरी-टौंरु प्रस्तावित रोप-वे पर भी कार्य शुरु करके क्षेत्र मे र्प्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके अलावा पांवटा के साथ लगते कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क भी पर्यटकों के लिए एक रोमांचक पर्यटक स्थल के तौर पर उभर सकता है। यहां पर पर्यटक विभिन्न प्रजातियों के पशु-पक्षियों को देखने के लिए आ सकते है। बशर्तें उन्हे सुविधाएं मिले। हालांकि पांवटा मे यमुना पथ के नाम से नदी किनारे एक रास्ता बनाया गया है जो आने वाले समय मे पर्यटकों के लिए आर्कषक का केन्द्र बन सकता है लेकिन यदि सरकार चाहें हो तो पांवटा मे इससे अधिक पर्यटन स्थल विकसित किए जा सकते हैं। 
                                                                                             
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देहरादून-चंडीगढ़ एनएच से हर साल गुजरते है लाखों पर्यटक-

पांवटा साहिब मे हर साल देहरादून-चंडीगढ़ एनएच से लाखों की तादात मे पर्यटक गुजरतें है लेकिन यहां रुकने के लिए कोई खास कारण या पर्यटक स्थल नही है। इसलिए वह सीधे देहरादून या चंडीगढ़ चले जाते है। सिखों की पवित्र धार्मिक यात्रा हेमकुंड साहिब की संगतें भी हर साल लाखों की तादात मे पांवटा साहिब से गुजरती है। यदि इन पर्यटकों व यात्रियों को 10 मिनट के लिए पांवटा के रोकने के प्रबंध हो तो पांवटा की काया ही पलट जाएगी। गोर हो कि पांवटा साहिब प्रदेश का एकमात्र ऐसा नगर है जहां से यमुना नदी होकर गुजरती है। नदी किनारे यदि पर्यटकों को सुविधाएं जुटाई जाएं तो यह स्थान पर्यटन के तौर पर उभर सकता है।
                                                         
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कृत्रिम झील पर बोटिंग खींच सकती है पर्यटक-

पांवटा नगर को मां यमुना नदी के रुप मे एक बड़ी सौगात मिली हुई है। यदि हम इस नदी का उपयोग सही ढंग से कर पातें है तो यह पर्यटकों के लिए एक आर्कषक का केंद्र बन सकता है।

ब्राहमण सभा पांवटा साहिब के प्रधान अजय शर्मा बतातें हैं कि यमुना घाट पर एक कृत्रित झील बनाई जा सकती है। इस झील पर यदि बोटिंग शुरु होगी तो यहा पर पर्यटक खुद-ब-खुद रुकेंगे।

ब्लू प्रिंट विजन कमेटी के संयोजक अनिन्द्र सिंह नौटी की टीम ने भी कुछ वर्ष पूर्व पांवटा के विकास का एक खाका तैयार कर प्रशासन और सरकार तक विकास की बात पंहुचाई है। इनके मुताबिक भी पांवटा साहिब मे र्प्यटन की अपार संभावनाएं हैं। और यदि सरकार यहां से गुजरने वाले र्प्यटकों को सिर्फ 10 मिनट यहां रुकने का कोई कारण दे सकें तो पांवटा हर साल कम से कम 300 करोड़ का सालाना कारोबार करेगा। ऐसे में जनता को उम्मीद है कि आने वाली सरकार पाँवटा साहिब के धार्मिक पर्यटन को विकसित करने के लिए कार्य करेगी।