भारतीय नारी में हैं सृजन और संरक्षण की अपार शक्ति- शान्तक्का- ddnewsportal.com

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भारतीय नारी में हैं सृजन और संरक्षण की अपार शक्ति

आभासी पटल पर 'नारी: भारतीय दृष्टि और भविष्य' विषय पर आयोजित पुस्तक विमोचन के अवसर पर बोली राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शान्तक्का।

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आभासी पटल पर 'नारी: भारतीय दृष्टि और भविष्य' विषय पर आयोजित पुस्तक विमोचन के अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शान्तक्का ने कहा कि समाज में राष्ट्रीय भाव जागृति एवं सक्रियता हेतु महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। नारी में सृजन शक्ति है और उस सृजन से वह परिवार समाज व देश का निर्माण करने में सक्षम है। सृजनात्मकता के साथ संरक्षण का अनूठा गुण उसमें विद्यमान है। मातृत्व भाव होने के कारण वह  संस्कार एकात्मता के साथ बच्चों में संप्रेषित करती है। इसीलिए भारतीय परिवारों में मां की बहुत महत्ता है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद और मां अमृतामयी के अनेक उदाहरणों

से नारी की महत्ता को सभी के समक्ष रखा और कहा कि मां में सहजता का गुण है और दुर्गा रूप धारण कर दुराचार व दुरवृत्तियों का विनाश कर अधर्म व अन्याय के विरुद्ध खड़ा होने का रास्ता दिखाती है। इस तरह की संदर्भ पुस्तकों को पाठ्यक्रम में जोड़कर नारी विमर्श को समाज के सामने लाना चाहिए। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं चाहे वह खेल, अनुसंधान, रक्षा कोई भी हो। नारी स्वयं में शक्ति है, केवल उसे प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। भारत में नारियों द्वारा किए गए अनेक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़े रहना एवं विचारों को आगे आने वाली पीढ़ियों में समावेशित करना प्रमुख कर्तव्य है। नारी की इच्छा शक्ति, संकल्प शक्ति और यथाशक्ति समाज व राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देती है और सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनती है।
महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जे.पी. सिंघल ने कहा कि नारी की महिमा विलक्षण है। नारी का मातृत्व स्वरूप ही है जो अध्यापक से हजार गुना महत्व रखता है। हमारे भारतीय दर्शन और संस्कृति में नारी की अपार महिमा है। लेकिन वर्तमान में स्त्री शिक्षा का केंद्र पश्चिम है, जिसके प्रभाव के कारण उसमें दोष आ गया है।भारत की दृष्टि बदलती नजर आ रही है। जब भारतीय

सोच होगी तो पश्चात संस्कृति का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो जाएगा और पुरुष व महिला का एकात्म भाव होगा। भारत की दृष्टि नारी शक्ति व सम्मान से जुड़ी हुई है और उसे जगाने की आवश्यकता है, जिससे सामाजिक परिवर्तन संभव है।इसीलिए भारत की अपनी विशिष्टता है और उसे बनाए रखने की अत्यंत आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. गीता भट्ट ने, आभार प्रदर्शन उपाध्यक्ष  डाॅ. निर्मला यादव ने व कल्याण मंत्र ममता डी.के ने किया। इस अवसर पर महासंघ के महामंत्री शिवानंद शिंदनकेरा, संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, हिमाचल प्रदेश के प्रांत अध्यक्ष पवन कुमार, संगठन मंत्री पवन मिश्रा, प्रान्त उपाध्यक्ष डॉ मामराज पुंडीर सहित प्रदेश के कई कार्यकर्ताओं के साथ देश के कोने कोने से  शिक्षक, पदाधिकारी एवं महिला कार्यकर्ता वह गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का जीवंत प्रसारण अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के फेसबुक पेज पर भी किया गया। यह जानकारी प्रान्त उपाध्यक्ष डॉ मामराज पुंडीर ने दी।