अभिव्यक्ति- विजन वाले राजनेता थे नरेन्द्र बरागटा- डाॅ पुंडीर- ddnewsportal.com

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अभिव्यक्ति- विजन वाले राजनेता थे नरेन्द्र बरागटा- डाॅ पुंडीर

सिरमौर वालो का खून बहुत गाड़ा और शुद्ध होता है सच्चे लोग होते है सिरमौरी........

एक नेता से इतना प्यार, राजनीति को बहुत करीब से देखा और समझता भी हूँ। परन्तु क्या नरेंद्र बरागटा जी नेता थे, राजनेता थे या कुछ और। हमने किसे खोया। समझ नही पा रहा हूँ। सुना सुना से जग हो गया। इतना प्यार , शुभकामनाएं और लोगो का उनके लिए रोना, यह नेता के लिये होता है क्या।


बात 1998 की है जब हम सरकारी सेवा में आये। हमने दूर दराज क्षेत्र में सेवाएं दी। उन दौरान बरागटा जी शिमला के विधायक और मंत्री थे। एक संगठन के कार्यक्रम में उनसे परिचय हुआ। लगा जैसे नेताओं का परिचय होता है वैसा हॉगा। हम भी भूल गए और उम्मीद थी कि वह भी भूल गए होंगे। शिमला रिज मैदान पर एक रक्तदान शिविर लगा था। हम भी भाग ले रहे थे। बरागटा जी उस शिविर का उदघाटन करने आये। मैं एक कोने में खड़ा था। बरागटा जी उदघाटन करने के बाद जब बाहर आये तो मीडिया से बात करने लगे। मैं अंदर रक्तदान देने लगा। पता नही वह अंदर क्यो आये और उनकी नजर हम पर पडी। एक आवाज लगाई पुंडीर जी कैसे हो आप। मजाक के लहजे में कहा कि सिरमौर वालो का खून बहुत गाड़ा और शुद्ध होता है सच्चे लोग होते है सिरमौरी, इसलिए इनके खून की खास अहमियत होती है। उदाहरण के लिए कहा तभी परमार जी वहां पैदा हुए, तभी वीरभद्र जी का बहुत प्यार था सिरमौर से और तभी धूमल जी सिरमौर वालो को मानते हैं। इसलिए पुंडीर का खास ध्यान रखना। यह सब कुछ मिनटों में हुआ। मैं सच मे परेशान था कि क्या यह नेता है या राजनेता। समय बिता, एक दिन उनसे संजौली में मुलाकात हुई। मैं विश्विद्यालय की बस में जाने के लिए खड़ा था। उनकी गाड़ी आई कही से, उन्होंने गाड़ी रोक कर कहा। आप कहाँ जा रहे हो। मेने विश्वविद्यालय की बात करते हुए कहा। आइए हम विधानसभा जा रहे है। हम उनके साथ बैठे ही थे तो उन्होंने कहा कि आज कल कहाँ हो। हम उस समय रामपुर बुशहर के 15/20 में सेवाएं दे रहे थे। अपने तीन वर्ष से ज्यादा का समय हो चुका था। शिमला आना चाहते थे परन्तु हम सिरमौरी है इसलिए नही बोल पाया। उन्होंने कुछ पूछा और निदेशक महोदय को फोन करके बोला , इनके आदेश मेरे ऑफिस भेज देना। मेरा पीएचडी का काम चला था। मैं वापिस चला गया। उन दौरान मोबाइल नही होते थे। अगले दिन जिस बस में मैं विश्वविद्यालय जाता था बस चालक ने मुझे एक कागज पकड़ाया जिसमे आदेश थे।
वह एक विज़न वाले राजनेता थे। एक योजना उनके पास होती थी। जिसका उदाहरण शिमला और जुब्बल कोटखाई विधानसभा क्षेत्र है। हमारे संगठन का एक कार्यक्रम था। उनका उस कार्यक्रम में आना था और मुझे उन्हें लाने की जिम्मेदारी दी थी। उनके पास स्वास्थ्य विभाग भी था। अधिकारी पकड़ इतनी थी कि कोई भी अधिकारी उनकी कही बातों को अनसुना नही कर सकते थे। मेरी धर्मपत्नी शिमला के आईजीएमसी में कार्यरत थी। मेने एक छोटे कागज पर उनका नाम बरागटा जी को दिया। मेने विनती भरे स्वर में जब वह वापिस गाड़ी में बैठे तो कहा अगर हो सके तो विनती है। हम कार्यक्रम में चले गए। आधे घण्टे बाद मुझे धर्मपत्नी का फोन आया और कहा कि  उनको ब्लड बैंक में जॉइन करने को बोला है। आखिर क्या खोया शिमला जिला और प्रदेश ने। अभी अंतिम मुलाकात विधानसभा में उनसे हुई और फिर उनके घर राम मंदिर को धन संग्रह के लिए। नाश्ते ओर चर्चा हुई। उनके स्वास्थ को लेकर। हम सिरमौर के और वह कोटखाई के। फिर कैसा आत्मीयता का रिश्ता था हमारा। लोगों ने हमारे सम्बन्धो को राजनीतिक फायदे के लिए खूब मिर्ची मसाला लगा कर व्यं किया। आज नही बोलूंगा। बस इतना बोलूंगा आप ने लाखों लोगों के दिलो पर राज किया है। जब से आप बीमार थे आपको मिलने वाली शुभकामनाएं, यह क्या दर्शाता है। आपके जाने के बाद लाखो लोगों की आंखे नम है।मेने आज तक किसी नेता के जाने पर इस प्रकार लोगो को रोते नही देखा। आप एक राजनेता के साथ साथ युग पुरुष थे जिन्होंने इतिहास बना दिया कि कैसे बिना पक्षपात के लोगो के दिलों पर राज किया जाता है।
मन में बहुत कुछ है परन्तु-------------
मेरे एक दोस्त ने लिखा है
कोई नहीं कर सकता आपकी बराबरी,जो आप थे वो आप है और आपका नारा हमेशा हमारे लिए गूँजता रहेगा।हमारे लिए आप हमेशा जिन्दा है और जिन्दा रहेंगे.....जिन्दा है टाइगर, कभी भुला नहीं पाएंगे।

                                                 डाॅ मामराज पुंडीर, प्रवक्ता, 
                                                        राजनीति शास्त्र