अभिव्यक्ति: युवा पीढ़ी में बढ़ती नशावृत्ति पर चिंतन, मन्थन और एक्शन। कुछ इस तरह लगाई जा सकती है लगाम: शास्त्री ddnewsportal.com

अभिव्यक्ति: युवा पीढ़ी में बढ़ती नशावृत्ति पर चिंतन, मन्थन और एक्शन। कुछ इस तरह लगाई जा सकती है लगाम: शास्त्री
शान्त हिमाचल की युवा पीढ़ी का नशे की गिरफ्त में आने का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल से नशे की सप्लाई करने वाले जितने लोग पकड़े गए हैं उससे कहीं अधिक ऐसे लोगों की संख्या हो सकती है जो पकड़े नहीं जाते। स्मैक, चिट्टा, हेरोइन, सुल्फा शराब आदि नशे का कारोबार जितना खतरनाक रूप ले चुका है वह हमारे अनुमान से कहीं अधिक है। विशेषज्ञों से पता चलता है कि नशे की लेन-देन में जुडे़ लोगों की सप्लाई चेन इतनी चतुराई, ईमानदारी, प्रमाणिकता और गोपनीयता के साथ मजबूती से काम करती है कि पकड़ना कतई
आसान नहीं है, तब तो और भी कठिन हो जाता है जब अवैध कमाई के इस नशा कारोबार में पुलिस अधिकारी, डाक्टर, इंजीनियर और राजनेताओं तक की संलिप्तता उजागर हो रही है। पिछले एक साल से हिमाचल पुलिस ने नशे की सप्लाई करने वाले लोगों को पकड़ने में बहुत सराहनीय प्रयास किए हैं इसके लिए पुलिस प्रशासन की सराहना की जानी चाहिए। लेकिन अभी भी चुनौती बड़ी है। पुलिस प्रशासन, सामाजिक संगठनों और शिक्षण संस्थानों को मिलकर तीन स्तर पर काम करना होगा:-
■ पहला, स्कूल कालेज में सभी विद्यार्थियों के साथ प्रार्थना सभा में रोचक तरीके से संवाद किया जाए और जिन विद्यार्थियों को नशे की आदत लग चुकी है उनकी सूची बनाकर प्यार और विश्वास के साथ नशा छोड़ने के लिए उनको प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि नशे में संलिप्त बच्चों में हीन भावना की बजाय नशा छोड़ने के लिए आत्मबल पैदा हो और नए नशेबाज पैदा ही नहीं हो सके। इन खतरनाक नशे से होने वाले शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक नुक्सान से सम्बन्धित रोचक साहित्य तैयार करके विद्यार्थियों और आम जनता तक पहुंचाते हुए उस पर चर्चा करवाना भी आवश्यक है।
■ दूसरा, पुलिस प्रशासन को चाहिए कि ग्राम स्तर पर महिलाओं और युवाओं के साथ तालमेल बनाकर नशे का कारोबार करने वाले लोगों को चिन्हित करके एक बार प्यार से समझाया जाए जो नहीं मानते उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करवाने में भी संकोच नहीं करना चाहिए। क्योंकि अपने गांव को नशामुक्त करने के लिए कारगर उपाय उस गांव के लोगों को साथ लेकर नियमित प्रयास के द्वारा प्रभावशाली तरीके से सफल हो सकते हैं। अक्सर देखा गया है कि युवाओं में नशे की शुरुआत विवाह समारोह से होती है जहां बिन रोक-टोक से फ्री में शराब और दूसरे नशे भी मिल जाते हैं। यहीं से युवावर्ग दोस्तों के साथ दूसरे खतरनाक नशे की ओर भी आकर्षित होते हैं।
यदि कुछ महिला समूह साहसिक कदम उठाते हुए जिस विवाह समारोह में शराब परोसी जाएगी उसका बहिष्कार करने का निर्णय ले सकें तो देखा देखी में नशे के खिलाफ क्रांतिकारी माहौल बन सकता है। पुरुष वर्ग भी ऐसे समारोह के बहिष्कार का व्यक्तिगत संकल्प भी ले सकते हैं, समझदार और जिम्मेदार लोगों को लेना भी चाहिए।
■ तीसरा, पुलिस प्रशासन को नशा कारोबारियों की धड़पकड़ करते हुए सप्लाई चेन को ध्वस्त किया जाना बहुत आवश्यक है। इसके लिए जनता को भी गोपनीयता के साथ नशा कारोबारियों के बारे में सही सूचना देने में पुलिस प्रशासन की मदद करनी पड़ेगी।
यदि तीनों स्तरों पर तालमेल बनाकर प्रयास किए जाएंगे तो बहुत बेहतर परिणाम मिलेंगे। क्योंकि इस गम्भीर समस्या का समाधान केवल आलोचना या सलाह देने से नहीं हो सकता। प्रत्येक समझदार लोगों को अपने गांव या प्रभाव क्षेत्र में यह मानते हुए काम करना होगा कि ये प्रत्येक परिवार की समस्या है और जो परिवार अभी बचे हुए हैं कल को उन परिवारों के युवा भी नशे के आदी बनेंगे। इसलिए कल नहीं आज से ही नशामुक्ति अभियान में सहयोगी बनें।
जनहित में एक भावनात्मक अपील, कुन्दन सिंह शास्त्री, समाजसेवी, शिलाई क्षेत्र।