Himachal Disaster News: नितिन गड़करी को लिखा पत्र: पूरे देश में दवाओं व अन्य स्वास्थ्य उपकरणों की आ सकती है कमी ddnewsportal.com

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Himachal Disaster News: नितिन गड़करी को लिखा पत्र: पूरे देश में दवाओं व अन्य स्वास्थ्य उपकरणों की आ सकती है कमी, आखिरकार ऐसा क्यों कहा BBNIA ने...

यदि हिमाचल प्रदेश के हालात जल्द न सुधरे तो जल्द ही ऐसा समय भी आ सकता है जब पूरे देश में दवाओं व अन्य स्वास्थ्य उपकरणों की कमी आ सकती है। जी हां, ऐसा हो सकता है यदि NHAI ने आधारभूत अधोसंरचना ढांचे को जल्द दुरुस्त नही किया। 


दरअसल, एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) में चरमराते औद्योगिक आधारभूत अधोसंरचना ढांचे को लेकर बीबीएनआईए (BBNIA) ने चिंता जताई है। बीबीएनआईए ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा है और इसमें त्वरित संज्ञान लेने का आग्रह किया है। यही हाल रहा तो पूरे देश में दवाओं व अन्य स्वास्थ्य उपकरणों की कमी आ जाएगी। उद्योग संघ के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, महासचिव वाईएस गुलेरिया ने कहा है कि प्राकृतिक आपदा के कारण फार्मा और टैक्सटाइल हब में औद्योगिक ढांचा ध्वस्त हो गया है। बीबीएन एक टापू बनकर रह गया है।
उन्होंने लिखा है कि हालांकि एनएचएआई (NHAI) ने कुछ वैकल्पिक पुल बनाए थे, लेकिन वह भी ध्वस्त हो गए हैं। साथ में बद्दी-पिंजौर को जोड़ने वाला मुख्य पुल भी बह गया है। इस कारण से बीबीएन का उत्तर भारत व हरियाणा सहित दिल्ली से संपर्क टूट गया है। 10,000 ट्रकों का आवागमन पूरी तरह से थम गया है। इसी तरह बददी-नालागढ़ संपर्क मार्ग भी नदी का रूप धारण कर चुका है और इस पर चलना दुश्वार हो चुका है। उन्होंने गडकरी से आग्रह किया कि वह एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को निर्देश दे कि ध्वस्त मार्गों की तुरंत मरम्मत करवाए अन्यथा यहां पर रहना व उद्योग चलाना मुश्किल हो जाएगा।


नालागढ़ उद्योग संघ की अध्यक्ष अर्चना त्यागी व उपाध्यक्ष आरआर मुसाफरू ने कहा कि सड़कें व पुल टूटने से वाहनों की रफ्तार थम गई है। ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ रहा है। कंपनियों के कर्मचारी न तो समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। कच्चा माल भी नहीं पहुंच पा रहा है, जिसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है। तैयार माल समय पर न जाने से आर्डर टूट रहे हैं। पूरे देश की 40 फीसदी दवाएं नालागढ़ उपमंडल में बनती हैं। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते केंद्र सरकार ने स्थिति न संभाली तो बीबीएन के कारखानों के पास दूसरे राज्यों में पलायन करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाएगा।