सामाजिक कार्यकर्ता समीर शर्मा हमारे बीच नही रही- ddnewsportal.com

सामाजिक कार्यकर्ता समीर शर्मा हमारे बीच नही रही- ddnewsportal.com

दु:खद- अब नही दिखेगा ये हंसता हुआ चेहरा 

सामाजिक कार्यकर्ता समीर शर्मा हमारे बीच नही रही, लंबे अरसे से जूझ रहे थी बीमारी से

समाज मे नही देख सकती थी गलत, जरुरतमंदो के हक के लिए उठाती रहती थी आवाज, प्रशासन, पुलिस और मीडिया के समक्ष रखती थी नगर की समस्याएं।

अब वो हंसता हुआ चेहरा हमेशा के लिए हमे छोड़कर चला गया। वो वीरांगना थी जिन्होंने मौत से करीब दो साल तक लंबी लड़ाई लड़ी। हालाँकि आखिरकार मौत जीत गई और उन्हे अपने साथ ले गई। बात पांवटा साहिब की प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता समीर शर्मा की हो रही है जिन्होंने सोमवार सुबह देहरादून के अस्पताल मे अंतिम सांस ली। अब वह हमारे बीच नही है लेकिन उनके किये कार्य हमेशा उनकी याद दिलाते रहेंगे। उनके बेटे ने बताया कि हार्ट अटेक से उनकी मौत हुईं है।
पांवटा साहिब की सामाजिक कार्यकर्ता समीर शर्मा का स्वभाव ही उन्हे सामाजिक बनाता था। वह कहीं पर भी किसी इंसान के साथ गलत होते हुुए नही देख सकती थी। और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने मे पीछे नही हटती। आज नगर के वार्ड़ नंबर-9 के मद्रासी काॅलोनी के लोगों के लिए काॅलोनी मे सार्वजनिक शोचालय बने हैं उसमे उनका बड़ा योगदान है। उन्होने मीडिया के माध्यम से काॅलोनी के महिलाओं की समस्याओं को उजागर कर प्रशासन के समक्ष लाया। उसके बाद से ही काॅलोनी मे शौचालय तो बने ही हाथ ही काॅलोनी के बच्चों के भविष्य को लेकर भी एक संस्था ने बच्चे पढ़ाने का निर्णय लिया। आज काॅलोनी के वो बच्चे अच्छी निशुल्क शिक्षा ले रहे है जो कुछ समय पूर्व तक यूं ही घूमते रहते थे। अस्पताल मे भले ही अपना उपचार करवाने जाती लेकिन यदि वहां किसी को परेशान देखती तो उसकी परेशानी दूर करने के लिए स्टाॅफ से उलझने से भी नही कतराती। वह नगर के हर सामाजिक कार्यो में बढ़ चढ़कर भाग लेती रही। उनका कहना था कि महिलाओं को अपने चूल्हे चोके के साथ साथ समाज के लिए अपना योगदान देना चाहिए। 58 वर्ष की आयु तक भी समीर शर्मा धार्मिक व सामाजिक कार्यो के लिए पूरा समय देती रही। वह समाज में महिला उत्पीड़न, भ्रण हत्या व बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ व स्वच्छता के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही। नगर की कई सामाजिक संस्थाओं की बैठकों मे भी वह अकैली महिला नजर आती रही। लेकिन उनका लोगों की सेवा का जज्बा इसका उन पर कोई प्रभाव नही डाल सकी। उनका मानना था

कि महिलाओं को समाज के विभिन्न क्षेत्रो में फैली समाजिक बुराईयो को दूर करने के लिए आगे आना होगा। उनका मानना था कि महिलाओं को पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना सामाजिक कर्तव्य निभाना चाहिए। वह गरीब कन्याओं को धार्मिक व समाजिक संस्थाओं द्वारा विवाह के लिए दिए जाने वाले सामान मे भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करती रही। उल्लैखनीय है कि पति को खोने के बाद भी समीर शर्मा ने हिम्मत नही हारी थी और कठिन परिस्थितियों मे अपने बच्चों का पालन पोषण कर आज उन्हे काबिल बनाया। हालांकि पिछले करीब डेढ़ वर्ष से समीर शर्मा गंभीर बीमारी के चलते समाज मे पहले की तरह सेवाएं नही दे पा रही थी जिसका उन्हे मलाल भी था। लेकिन फोन पर अंतिम समय तक भी लोगों की दिक्कत दूर करने का भरसक प्रयास करती रही। ऐसी महिलाएं समाज को एक प्रेरणा देती हैं। उनके निधन पर देश दिनेश न्यूज़ पोर्टल उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। और ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उन्हे अपने चरणों में स्थान दें।