आखिर क्यों संघर्ष रहा कफोटा का इतिहास...- ddnewsportal.com

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आखिर क्यों संघर्ष रहा कफोटा का इतिहास... 

जायज हक नही मिला या विरोध करना बन गई है आदत।

बात तब की है जब शिलाई विधानसभा क्षेत्र की अंतिम सीमा शिलाई कस्बे से कुछ ही किलोमीटर दूर धारवा होती थी। उस समय कफोटा कस्बा विधानसभा का केंद्र हुआ करता था। क्योंकि जितनी दूरी धारवा से कफोटा के लिए होती थी उतना ही फासला सतौन, बनौर और कठवाड़ आदि दूर की पंचायतों को भी पड़ता था। शायद यही कारण रहा कि विधानसभा

क्षेत्र का पहला बड़ा कार्यालय नब्बे के दशक मे लोक निर्माण विभाग मंडल कार्यालय कफोटा मे खुला। हालांकि कुछ समय बाद कांग्रेस की सरकार बदलते ही यह कार्यालय शिलाई शिफ्ट कर दिया गया। अपना हक खोने पर कफोटा ने उस समय भी संघर्ष की राह अपनाई और कफोटा मे एक कार्यक्रम के दौरान एक वाहन भी फूंका गया था। 
उसके बाद फिर कांग्रेस की सरकार आई तो जनता को फिर कफोटा के विकास की उम्मीद बंधी। परंतु शायद राजनीति के साथ साथ भौगोलिक परिस्थिति को भी कफोटा का विकास मंजूर नही था। पुनर्सीमांकन हुआ और श्री रेणुका जी की पंचायतें शिलाई विधानसभा क्षेत्र मे मिली और आंजभोज की कुछ पंचायतों का पांवटा साहिब विधानसभा मे विलय हुआ। अब धारवा की बजाय शिलाई विधानसभा क्षेत्र की अंतिम सीमा पनौग बन गई और कफोटा के हाथ से केंद्र भी निकल गया। अब केंद्र बिंदु शिलाई बन गया और कफोटा दूसरे केंद्र बिंदु के रूप मे जाना जाने लगा। 2000 के दशक मे कफोटा ने फिर डिग्री काॅलेज की मांग उठाई लेकिन सतासीन कांग्रेस सरकार ने शिलाई मे डिग्री काॅलेज की घोषणा कर दी। उसके बाद कफोटा मे विधायक का पुतला भी फूंका गया और आजाद युवा मोर्चा ने जन्म लिया। जिसने हर मंच पर कांग्रेस सरकार का विरोध किया। धीरे धीरे वह जख्म भी भर गये और फिर कफोटा ने चुनावों मे दिल खोलकर कांग्रेस की झोली भर दी। लेकिन क्षेत्र के विकास की अहम मांगो को पूरा न होता देख वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव मे जनता ने भाजपा के उम्मीदवार को यह सोंच मौका दिया कि वह कफोटा का विकास करेंगे। समय निकलता गया और कफोटा विकास मे पिछड़ता गया। कफोटा से हर छोटे बड़े कार्यालय की मांग उठती रही और सरकारें अनदेखी करती रही। इसलिए कफोटा से हर बार विरोध के स्वर मुखर होते गये। वर्ष 2017 मे भाजपा की सरकार बनी। हालांकि क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी हार गये लेकिन सरकार ने उन्हें सम्मान देते हुए बड़े ओहदे पर बैठाया। इसी बीच कफोटा से फिर एक बार जलशक्ति विभाग के डिविजन और ब्लाॅक की मांग की मुहिम शुरू हुई। वर्ष 2018 मे क्षेत्र मे मुख्यमंत्री का दौरा हुआ और जलशक्ति विभाग के डिविजन की भी शिलाई मे घोषणा हुई। फिर कफोटा क्षेत्र के लोगों की निगाहें एकमात्र मांग ब्लाॅक पर टिक गई और सभी एकजुट होकर इस मांग को उठाने लगे। क्षेत्र के भाजयुमो

के पूर्व पदाधिकारी धनवीर ठाकुर बताते हैं कि वर्ष 2012 से 2017 तक जब प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय शिलाई विधानसभा क्षेत्र के विधायक भाजपा के थे। वर्ष 2015 मे उन्होंने कफोटा के लोगों को कफोटा मे ब्लाॅक कार्यालय की मांग उठाने को कहा और युवा मोर्चा ने अनशन भी किया। जिसे तत्कालीन भाजपा विधायक ने यह आश्वासन देकर तुड़वाया कि प्रदेश मे जब भाजपा की सरकार बनेगी तो वह उनकी इस मांग को पूरा करवायेंगे। वर्ष 2017 मे प्रदेश मे भाजपा की सरकार बनी तो लोगों की उम्मीदें फिर परवान चढ़ गई। उन्होंने पूर्व विधायक को अपना वायदा याद दिलाते हुए कफोटा मे ब्लाॅक की मांग को पूरा करने को कहा लेकिन कफोटा की बदकिस्मती कि उन्हे ब्लाॅक भी नसीब नही हुआ। तो ऐसे मे कफोटा क्षेत्र के लोग संघर्ष या आंदोलन का रास्ता अपनाया और रोश रैलियाँ निकाली। क्षेत्र के दूसरे केंद्र बिंदु को बचाने के लिए ब्लाॅक एक तरह से अमृत का काम कर सकता था लेकिन वह भी न हुआ। व्यापार मंडल कफोटा के प्रधान वीर विक्रम सिंह बतातें हैं कि सरकार और उनके नुमाईंदो को क्षेत्र के एकसमान विकास की बात करनी और सोंचनी चाहिए। वैसे भी भाजपा सबका साथ सबका विकास के नारे पर चलती है तो शिलाई विधानसभा क्षेत्र मे विकास की असमानता को दूर करना चाहिए। हालांकि इतिहास गवाह रहा है कि भले

ही कफोटा विकास के मामले मे पिछड़ता रहा है लेकिन जिसने भी इस क्षेत्र की अनदेखी की है उसे चुनाव मे मुंह की खानी पड़ी है। यही कारण है कि कफोटा क्षेत्र की करीब दो दर्जन पंचायतों को मनाने के लिए भाजपा सरकार अब पुरज़ोर कोशिशें कर रही है और मुख्यमंत्री के शिलाई विधानसभा क्षेत्र के दौरे के दौरान घोषणा जरूर करना चाहेगी। बहरहाल, मुख्यमंत्री कल क्षेत्र के दौरे पर आ रहे हैं तो ऐसे मे कयास लगाये जा रहे हैं कि कफोटा क्षेत्र के लिए भी कोई बड़ी घोषणा हो सकती है। वैसे भी भाजपा सदैव ही सबका साथ सबका विकास के नारे पर चलती है तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से क्षेत्र के एकसमान विकास की उम्मीद क्षेत्र के लोग लगाए हुए हैं। जिसमे कफोटा के साथ साथ सतौन, टिंबी, रोनहाट और मस्तभोज क्षेत्र को सौगाते देने की मांगे शामिल है।