Cyber Security Alert: व्हाट्सएप चलाने वालों को CBI की बड़ी चेतावनी, पढ़ें फर्जी व्हाट्सएप –CBI गैंग...ddnewsportal.com
Cyber Security Alert: व्हाट्सएप चलाने वालों को CBI की बड़ी चेतावनी, पढ़ें फर्जी व्हाट्सएप –CBI” गैंग पर ASP राठौर ने क्यों किया आगाह...
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने देशभर में चेतावनी जारी की है कि साइबर अपराधी अब व्हाट्सएप मैसेज, वीडियो कॉल, ईमेल और स्पूफ्ड फोन नंबरों के माध्यम से खुद को CBI अधिकारी बनाकर लोगों को ठग रहे हैं। ये गिरोह लोगों को झूठे “CBI जांच” में फँसाने का डर दिखाकर पैसे की मांग कर रहे हैं।

जारी परामर्श के अनुसार, ये संगठित गैंग फर्जी समन, नकली गिरफ्तारी वारंट, बनावटी नोटिस और AI से तैयार किए गए दस्तावेज भेज रहे हैं। इन फर्जी कागजातों पर नकली CBI लोगो, जाली हस्ताक्षर और एडिट की गई डिजिटल पहचानें लगाई जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ठग अब डीपफेक ऑडियो और वीडियो का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे धोखा और भी असली लगता है।
■ धोखाधड़ी कैसे की जाती है?
पीड़ितों को अक्सर डराने वाले संदेश भेजे जाते हैं, जैसे—
“आप CBI जांच के तहत हैं।”
“आपका आधार/बैंक खाता अपराध में शामिल है।”
“सहयोग नहीं किया तो आज ही गिरफ्तारी होगी।”
■ दबाव बनाने के लिए ठग इस्तेमाल करते हैं—
● AI से बनाई गई नकली लेटरहेड
● एडिट किए गए पहचान पत्र
● फर्जी CBI मुहर
● “CBI ऑफिस” दिखाने वाले स्पूफ्ड कॉलर ID
● अधिकारियों की नकली डीपफेक आवाज
डरे-सहमे लोग अनजाने में पैसे भेज देते हैं या निजी जानकारी साझा कर देते हैं।
■ CBI की स्पष्ट चेतावनी:
CBI ने साफ कहा है— CBI कभी व्हाट्सएप पर समन या नोटिस नहीं भेजती। कोई भी अधिकारी फोन पर पैसे या बैंक डिटेल नहीं मांगता। CBI कभी कॉल करके गिरफ्तारी की धमकी नहीं देती।
ऐसे किसी भी संदेश को अनदेखा करें, कोई जानकारी साझा न करें, और तुरंत आधिकारिक CBI नंबर पर या नजदीकी थाने में सत्यापन करें।
■ विशेषज्ञ की राय – नरवीर सिंह राठौर, HPS
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, राज्य साइबर अपराध, शिमला एवं राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो एवं प्रसिद्ध साइबर अपराध अन्वेषक और केंद्रीय गृह मंत्री पदक से सम्मानित नरवीर सिंह राठौर, HPS ने इस बढ़ते खतरे पर गंभीर चेतावनी जारी की:
> “CBI बनकर की जाने वाली ये धोखाधड़ी सबसे मानसिक रूप से दबाव बनाने वाले साइबर अपराध हैं। ठग राष्ट्रीय एजेंसियों के नाम का दुरुपयोग कर जनता में भय पैदा करते हैं। कई बार लोग पहले ही संदेश में डरकर मिनटों में पैसा गंवा देते हैं।”
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश साइबर पुलिस VoIP फ्रॉड, डीपफेक तकनीक और AI-जनित दस्तावेज का उपयोग करने वाले गिरोहों पर कड़ी नजर रख रही है।
राठौर ने कहा कि “ज़्यादातर फर्जी नोटिस उन्नत AI टूल से बनाए जाते हैं। कॉलर ID पर ‘CBI Head Office’ दिखता है और आवाजें डीपफेक होती हैं। जनता समझे—कोई भी सरकारी एजेंसी इस तरह संपर्क नहीं करती। यह संगठित साइबर ठगी है।” उन्होंने यह भी बताया कि कई गिरोह अंतरराज्यीय व विदेशी नेटवर्क से संचालित होते हैं।
■ राठौर की जनता से अपील— “कोई भी CBI, पुलिस या सरकारी अधिकारी ऑनलाइन पैसे नहीं मांगता। ऐसी कोई कॉल आए तो तुरंत फोन काटें और 1930 पर शिकायत करें। जागरूकता ही सबसे मजबूत सुरक्षा है।” डर पर आधारित एक संगठित धोखा है।
■ साइबर विशेषज्ञों के अनुसार ठग खासतौर पर निशाना बनाते हैं—
बुजुर्ग, अकेली महिलाएं, छात्र और कामकाजी लोग, डिजिटल जानकारी की कमी वाले नागरिक। देशभर में करोड़ों रुपये की ठगी हो चुकी है।
■ जनता के लिए महत्वपूर्ण सलाह:
संदिग्ध कॉल या मैसेज की तुरंत रिपोर्ट करें
स्क्रीनशॉट या सबूत सुरक्षित रखें, 1930 (नेशनल साइबर हेल्पलाइन) पर कॉल करें, www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
जैसे-जैसे साइबर अपराध तकनीकी रूप से उन्नत हो रहे हैं, जागरूकता, सत्यापन और सावधानी ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है। इन गिरोहों को रोकने में जनता का सहयोग बेहद आवश्यक है।
