खास खबर- संयोग: यहाँ एक ही दिन सेवानिवृत्त हुए पति-पत्नी ddnewsportal.com

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संयोग: यहाँ एक ही दिन सेवानिवृत्त हुए पति-पत्नी

रविन्द्र ठाकुर स्टेट सीआईडी से तो शीला ठाकुर शिक्षा विभाग से हुए रिटायर, पढें उपलब्धियाँ...

कर्मचारियों के लिए रिटायर्मेंट एक साधारण प्रक्रिया और बात है, क्योंकि एक निर्धारित उम्र पर सेवानिवृत्त होना तय है। लेकिन जब पति-पत्नी एक ही दिन रिटायर हो तो ये विशेष हो जाता है। ऐसा ही संयोग पाँवटा साहिब में भी इस बार देखने को मिला है। यहां एक दम्पती एक ही दिन यानि 31 मार्च 2023 को सेवानिवृत्त हुआ। इनमे पति यानि रविन्द्र कुमार ठाकुर जहाँ स्टेट सीआईडी से एसएसआई पद से रिटायर हुए वहीं इनकी पत्नी शीला ठाकुर शिक्षा विभाग से कला स्नातक पद से सेवानिवृत्त हुए। रविवार को दोनो की रिटायर्मेंट के अवसर पर एक पार्टी का आयोजन यहां के तारूवाला स्थित गोयल धर्मशाला में हुआ जिसमे इनके सगे संबंधी और शहर के गणमान्य लोग सम्मिलित हुए।

ये है प्रोफाइल-

शीला ठाकुर का जन्म 24 मार्च 1965 को पिता चन्दन सिंह तथा माता बन्नी देवी के घर गांव टिकरी डाकघर कोरग में हुआ। आपके माता-पिता ने आपको सुसंस्कार प्रदान कर शिक्षाविद् बनाने का भावी मार्ग प्रशस्त किया। 10वीं तक की स्कूली शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कोरग से प्राप्त की। उसके पश्चात् 1985 में कला स्नातक की शिक्षा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नाहन से तथा 1989 में आपने बी०एड की शिक्षा RCE कॉलेज अजमेर (राजस्थान) से प्राप्त की। 1990 में स्नातकोत्तर की शिक्षा हि०प्र० विश्वविद्यालय शिमला से प्राप्त की। आपने ज्ञान प्रसार के उद्देश्य से शिक्षा जगत को कर्मक्षेत्र के रूप में चयनित किया। 9 फरवरी 1996 में कला स्नातक के पद पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ददाहू में प्रथम नियुक्ति से विभूषित हुए। तथा नवम्बर, 2020 से 31 मार्च 2023 तक रा० वरि० मा० वि० शिवपुर में सेवाएं देकर सेवानिवृत्त हुए। इस अंतराल के दौरान विभिन्न स्कूलों में सेवाएं देकर हजारों बच्चों के भविष्य को नई राह दी।  इनका परिवार सुशिक्षित है। पति रविन्द्र ठाकुर CID पुलिस विभाग से बतौर एएसआई सेवानिवृत्त हुए। पुत्र ऋषभ ठाकुर MTMC (MASTER IN TRAVEL AND TOURISM MANAGEMENT) की उपाधि से विभूषित है। 

वहीं रविन्द्र ठाकुर की बात करें तो 31 जुलाई 1986 में आरक्षी पद पर पुलिस विभाग में भर्ती हुए तथा 31 मार्च 2023 को सहायक उप निरीक्षक की पद से 37 वर्ष का कार्यकाल पुलिस विभाग में पूरा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान प्रथम पुलिस वाहिनी जुंगा शिमला में करीब 3 साल सेवाएं दी। तत्पश्चात 1990 में विजिलेंस विभाग 2002 तक सेवाएं दी। तत्पश्चात जिला सिरमौर में पुलिस विभाग में सेवाएं दी। वर्ष 2012 में में राज्य गुप्तचर विभाग में कार्यरत रहे। 
अपने सेवाकाल के दौरान पाँवटा साहिब की जगतपुर फेक्ट्री में इंडियन टेक्नोमेक में करीब 64 सौ करोड़ के घोटाले को उजागर करना व इसी कंपनी की बिजली चोरी के 9 करोड़ के घोटाले को उजागर करना इनका श्रेष्ठ कार्य रहा।
विजिलेंस विभाग में रहते हुए वैसे तो इन्होंने कईं भ्रष्टाचारियों को हवालात में बंद करने में भूमिका निभाई है, परंतु संगड़ाह में कार्यरत अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग के भ्रष्टाचार मामले में कार्रवाई में अहम भूमिका निभाई है।