सस्टनेबलिटी डे पर आईआईएम सिरमौर मे हुआ राष्ट्रीय वेबिनार
सस्टनेबलिटी डे पर आईआईएम सिरमौर मे हुआ राष्ट्रीय वेबिनार
"द पाथ टू ए सस्टेनेबल फ्यूचर" पर ऑनलाइन हुई मंत्रणा
Desh Dinesh News Portal
सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी एंड एनवायरनमेंटल मैनेजमेंट तथा उन्नत भारत अभियान सेल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट सिरमौर ने राष्ट्रीय यूबीए सेल आईआईटी दिल्ली के सहयोग से सस्टेनेबिलिटी डे के अवसर पर राष्ट्रीय वेबिनार' का आयोजन किया। सीएसईएम की स्थापना वर्ष 2019 में प्रोफेसर (डॉ) नीलू रोहमित्रा, निदेशक, आईआईएम सिरमौर की पहल के फलस्वरूप की गई थी। केंद्र की स्थापना के पीछे उद्देश्य पर्यावरण स्थिरता के क्षेत्र में काम को बढ़ावा देना, आजीविका को बढ़ावा देना, महिला रोजगार और समान दिशा में संस्थान के प्रयासों को बढ़ावा देना है। सस्टेनेबिलिटी डे हमारी आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन के महत्व को शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है, इस प्रकार वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि को सार्थक करता है। इस वेबिनार में पूरे भारत में यूबीए पंजीकृत संस्थानों के 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रोफेसर (डॉ) नीलू रोहमेत्रा, निदेशक, आईआईएम सिरमौर ने एक स्थायी भविष्य के लिए पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने के महत्व को बताया। प्रोफेसर रोहमित्रा ने छात्रों को सामुदायिक आउटरीच और कल्याण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। क्योंकि समाज को वापस देने और उनकी सेवा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। वह इस बात को लेकर सकारात्मक थी कि आईआईएम सिरमौर में यूबीए टीम छोटे लेकिन स्थिर कदम उठाने में सक्षम होगी और स्थानीय समुदाय में परिवर्तन को साकार करेगी। उन्होंने ज्ञानोदय के लिए विशेषज्ञ वक्ताओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन के लिए आयोजन टीम को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि इस तरह के वेबिनार जमीनी स्तर पर काम को स्वरुप देने और संस्थान के लिए समावेशी विकास के अवसर पैदा करने में मदद करते हैं। इससे पहले, स्वागत भाषण डॉ प्रदीप पात्रा, यूबीए समन्वयक तथा फैकल्टी आईआईएम सिरमौर के द्वारा दिया गया। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में सस्टेनेबिलिटी डे के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा की पर्यावरण प्रबंधन के बारे में दुनिया भर के लोगों को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। डॉ पात्रा ने सीएसईएम की मदद से वेबिनार के वक्ताओं और यूबीए द्वारा गोद लिए गए गांवों (अजौली, कुंजा, डांडा, डोबरी और जमनीवाला) में आईआईएम सिरमौर के काम का भी जिक्र किया। डॉ अर्पिता घोष, समन्वयक सीएसईएम और राष्ट्रीय वेबिनार के सह-आयोजक ने दौहराया कि ग्लोबल वार्मिंग को कम करने का मार्ग केवल हरी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और अपनाने से ही प्राप्त किया जा सकता है। कई वैज्ञानिक संस्थान इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। वीरेंद्र कुमार विजय, सीआरडीटी, आईआईटी दिल्ली और यूबीए के राष्ट्रीय समन्वयक वेबिनार के लिए मुख्य वक्ता थे। प्रो विजय ने अपने मुख्य उद्देश्यों सहित यूबीए की स्थापना के बारे में चर्चा की और समग्र ग्रामीण विकास के साथ एकीकृत समावेशी शैक्षणिक प्रणाली पर भी जोर दिया। उन्होंने हमारे समाज की विकासात्मक गतिविधियों में उच्च शैक्षणिक संस्थानों द्वारा निभाई गई भूमिका पर जोर दिया। प्रो विजय ने आगे उल्लेख किया कि ग्रामीणों और छात्रों के बीच बातचीत दो तरफा सीखने की प्रक्रिया होनी चाहिए, ताकि जमीनी स्तर की समस्याओं की पहचान और सुधार हो सके। उन्होंने यूबीए के काम को आत्मा निर्भर भारत से जोड़ने का आग्रह किया और सभी को "स्थानीय के लिए मुखर" के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
राष्ट्रीय वेबिनार में उद्योग के वक्ताओं ने भी उपस्थिति दर्ज की। यूपीएल लिमिटेड के वैश्विक उपाध्यक्ष डॉ मृत्युंजय चौबे ने सस्टेनेब्लिटी मेनेजमेंट और पर्यावरण फुटप्रिंट पर बात की। डॉ चौबे ने केस स्टडीज़ पर साझा किया कि कैसे उनके संगठन ने ट्रिपल कोर लाइन दृष्टिकोण (आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक) के रूप में अपने मुख्य संचालन में स्थिरता को एम्बेडेड किया है। उन्होंने यूपीएल लिमिटेड में विकसित की जाने वाली नई स्थायी तकनीकों जैसे स्केल बैन, विल्लेट, ओह रेडिकल और एफओ टेक्नोलॉजी के बारे में बताया। डॉ कृष्णा निर्मल्या सेन, हेड ईएचएस, एलएंडटी एमएमएच, कोलकाता ने निर्माण क्षेत्र में स्थिरता प्रथाओं के महत्व को रेखांकित किया। डॉ सेन ने निर्माण क्षेत्र से उदाहरण साझा किए, जहां उन्होंने एक सतत रेत (ई-7) प्लांट प्रक्रिया विकसित की है जो उत्पादन के लिए पर्यावरण के अनुकूल, किफायती और कुशल अपशिष्ट पदार्थ का उपयोग करता है। अंतिम वक्ता अरुण शर्मा, प्रबंधक सरकारी सुधार और इंफ्रा डेवलपमेंट, पीडब्ल्युसी थे। उन्होंने इस बारे में चर्चा की कि शहरी स्थानीय निकाय कैसे कार्य कर रहे हैं और एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए योजनाएं बना रहे हैं। उनकी बात ने पुनरुपयोग तथा पुनर्चक्रण की तकनीकों का उपयोग करके अपशिष्ट उत्पादन में कमी पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने विकास लक्ष्यों, स्थिरता, लचीलापन के बीच एक संतुलन बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और उल्लेख किया कि हमें पर्यावरण से जो लेना है उसे वापस देने की आवश्यकता है। डॉ अमरिंदर सिंह, चेयरपर्सन सीएसआर समिति, आईआईएम सिरमौर ने औपचारिक ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।