खराब एयर क्वालिटी मे पांवटा प्रदेश का रहा तीसरा शहर ddnewsportal.com

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दिवाली पर पांवटा साहिब की आबोहवा कैसी रही 

खराब एयर क्वालिटी मे प्रदेश का रहा तीसरा शहर, सबसे ज्यादा प्रदूषण इस औद्योगिक नगर का...

ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के बावजूद हिमाचल के कुछ शहरों मे खूब पटाखे फोड़े गये। यही कारण है कि कुछ शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स सीमा से पार हो गया। जिससे लोगों को सांस लेने मे भी दिक्कत आई। इन प्रदूषित शहरों मे पांवटा साहिब का नाम भी शुमार हो गया। पांवटा प्रदेश मे प्रदूषण के मामले मे तीसरे स्थान पर रहा। हालांकि आंकड़ो के मुताबिक पांवटा का वायु गुणवत्ता इंडेक्स संतोषजनक है। पहले दो स्थानों पर बद्दी और नालागढ़ रहे। दरअसल दिवाली पर भले ही बीबीएन समेत पूरे हिमाचल प्रदेश में उद्योग बंद रहे। लेकिन लोगों के जमकर पटाखे फोड़ने से हवा दूषित हो गई। सबसे बुरी हालत बद्दी, नालागढ़, पांवटा साहिब, कालाअंब, डमटाल, सुंदरनगर, मनाली और अन्य शहरों की है। शिमला की आबोहवा संतोषजनक रही। हालांकि, प्रदेश भर में प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर रोक थी। लेकिन, बहुत कम लोगों ने ग्रीन पटाखे चलाए। रोक के बावजूद रात आठ बजे से पहले और 10 बजे के बाद भी पटाखों का शोर सुनाई दिया। दरअसल, औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) माह में 15 दिन मॉडरेट जोन

में रहता है। दिवाली पर हालांकि उद्योग बंद रहे लेकिन आतिशबाजी के प्रदूषण से हवा की गुणवत्ता मॉडरेट जोन में रही। जिससे लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत रही। बद्दी का एयर क्वालिटी एंडेक्स सबसे ज्यादा 165, पीएम-10 197 और पीएम 2.5 -29.11 रहा जो बहुत चिंताजनक है। बीबीएन में करीब तीन हजार छोटे बड़े उद्योग हैं। इन उद्योगों से निकलने वाले पार्टिकल हवा में मिल जाते हैं, जो हवा की गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव डालते हैं। इससे लगातार हवा दूषित होती रही है। बता दें कि एयर क्वालिटी एंडेक्स में जीरो से 50 तक गुड, 51-100 तक संतोषजनक, 101-200 तक मॉडरेट, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब माना जाता है। बद्दी का सबसे ज्यादा 165, नालागढ़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स 110 और पांवटा साहिब का 96 रहा। नालागढ़ विकास मंच के अध्यक्ष नरेश घई ने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने लोगों को ग्रीन पटाखे चलाने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने पटाखे फोड़ने के लिए समय निर्धारित किया था लेकिन समयसीमा समाप्त होने के बाद भी लोग पटाखे फोड़ते रहे। पुलिस व स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।