इस अस्पताल मे न के बराबर रही कोरोना के गंभीर मरीजों की डेथ रेट- ddnewsportal.com
ऐलोपैथी और होम्योपैथी की जुगलबंदी का कमाल
इस अस्पताल मे न के बराबर रही कोरोना के गंभीर मरीजों की डेथ रेट, अस्पताल मे भर्ती 60 मरीजों मे से मात्र दो ने तौड़ा दम।
देश-प्रदेश मे कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हुई। इस लहर मे मामलें तो बढें ही साथ ही डेथ रेट भी उम्मीद से अधिक रहा। प्रदेश के सरकारी और निजी कोविड केयर अस्पतालों मे कोई दिन ऐसा नही रहा जब हर अस्पताल मे औसतन एक-दो मौते न हुई हो। लेकिन इस बीच जिला सिरमौर का एक निजी कोविड केयर अस्पताल ऐसा भी रहा जहां करीब 40 दिन के अंतराल मे 60 से अधिक गंभीर मरीज भर्ती हुए और मौत सिर्फ दो लोगों की हुई। शायद ही प्रदेश के किसी कोविड केयर सेंटर मे इतने अच्छे आंकड़े रहे हो। ये
अस्पताल पांवटा साहिब के सूरजपूर स्थित जे सी जुनेजा चैरिटेबल अस्पताल है। ऐसे मे सौंचने की बात ये है कि इस अस्पताल मे ऐसा किस प्रकार का उपचार हो रहा था जो कोरोना के गंभीर मरीज भी पांच से सात दिन मे सामान्य हो रहे थे। हालांकि इस दौर मे प्रदेश मे निजी और सरकारी अस्पतालों मे सभी चिकित्सक और पैरा मैडिकल स्टाफ ने रात दिन खूब मेहनत की है। और मरीजों को बचाने का पूरा प्रयास किया जिसके लिए सभी
प्रशंसा के पात्र है। सभी अस्पतालों मे ICMR के प्रोटोकॉल के तहत मरीजों का उपचार होता रहा। लेकिन यदि उक्त चैरिटेबल अस्पताल के प्रबंधन की माने तो उन्होंने आईसीएमआर की गाइडलाइन का तो पूरा पालन किया ही साथ ही पांवटा साहिब के होम्योपैथी चिकित्सक डाॅ रोहताश नांगिया की सेवाएं भी ली। उनकी वार्ड मे विजिट रखी और उनके शोध की दवा भी मरीजों की स्वीकृति के बाद उन्हे दी गई। शायद ये ऐलोपैथी और होम्योपैथी की जुगलबंदी ही रही जो कमाल के परिणाम दे गई। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उनके स्टाफ़ ने भी सराहनीय कार्य किया है। वहीं, इस बारे होम्योपैथी चिकित्सक डाॅ रोहताश नांगिया का कहना है कि जे सी जुनैजा चैरिटेबल अस्पताल ने उन्हे प्लेटफार्म दिया जिसके लिए वह उनके आभारी है। उन्होंने जो शोध किया है वह पहली बार ऑन रिकार्ड किसी प्लेटफार्म पर अप्लाई हुआ है और परिमाण सभी के सामने हैं। सरकार को इस दिशा मे कदम बढ़ाने चाहिए ताकि यदि तीसरी लहर की प्रदेश मे दस्तक होती है तो हम पहले से ही उसका सामना करने को तैयार रह सके।