नियमों के तहत हुई डिवाईडर स्क्रेप की नीलामी ddnewsportal.com
नियमों के तहत हुई डिवाईडर स्क्रेप की नीलामी
नप कार्यकारी अधिकारी ने दी सफाई, 8205 किलोग्राम लोहे के 201023 रूपये की राशि नगर परिषद के खाते मे जमा, 56 लाख के डिवाईडर की बात झूठी
पांवटा साहिब मे तथाकथित डिवाईडर स्क्रेप घोटाले के मामले मे नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी एसएस नेगी ने स्थिति स्पष्ट की है। उन्होनें कहा है कि 56 लाख रूपये के डिवाईडर की बात झूठी है। एनएच से काटे गये डिवाईडर का कुल भार 8205 किलोग्राम था जिसे नियमो के तहत 24.50 रूपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा गया है। इसकी कुल राशि 201023 रूपये नगर परिषद के खाते मे जमा हो चुकी है। जारी प्रेस विज्ञप्ति
में ईओ एसएस नेगी ने कहा है कि डिवाईडर स्क्रेप मामले की पूरी छानबीन की गई है। राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर सीएसआर के तहत बद्रीपुर से वाई पॉइंट तक वर्ष 2016-17 मे फार्मा कंपनी सनफार्मा द्वारा कुल 165 नंबर डिवाइडर लगाए गए। कंपनी द्वारा प्रस्तुत किए गए बिलों के अवलोकन पर पाया गया कि इन डिवाइडर को लगाने का कुल खर्चा 11 लाख 98 हजार 750 रूपये आया। यह डिवाइडर एचएस फैब्रिकेटर कंपनी से खरीदे गए थे जिनके बिलों का ब्यौरा भी नगर परिषद के पास उपलब्ध है। ईओ एसएस नेगी ने बताया क्योंकि एनएच के चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है इसलिए यह डिवाइडर सड़क निर्माण के कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहे थे। नेशनल हाईवे ने 40% भाग
तक इन डिवाइडर को बेतरतीब ढंग से हटाया था। शेष भाग में बचे डिवाइडर को हटाने के लिए एनएच के सहायक अभियंता ने नगर परिषद को पत्र लिखा। जिसके बाद नगर परिषद में नियमों के साथ उक्त डिवाइडर को हटाने के लिए कोटेशन मांगी। जिस फर्म ने सबसे अधिक रेट दिया था कार्य उसे सौंपा गया। डिवाइडर को सड़क से हटाने के कार्य में तत्परता दिखाते हुए उनका मूल रूप से उत्खनन करना संभव नहीं था। क्योंकि डिवाइडर का एक चौथाई भाग भूमि में होने के कारण इन्हें सतह से ही काटा गया। जिससे डिवाइडर का काफी भाग भूमि के अंदर ही रह गया तथा नेशनल हाईवे द्वारा कुछ समय बाद उसके ऊपर जेसीबी मशीन से उसे भूमि में दबा दिया गया। इन तथ्यों के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि सनफार्मा द्वारा स्थापित डिवाइडर को स्क्रैप में नगर परिषद द्वारा न्याय संगत दर पर बेचा गया है। इसलिए 56 लाख के डिवाइडर की बातें निराधार है। जिसका नगर परिषद खंडन करती है।