Achievement: हाटी के बेटी कृतिका की ऊंची उड़ान, 17 वर्ष की आयु में फतह की विश्व की सबसे ऊंची एवरेस्ट चोटी ddnewsportal.com

Achievement: हाटी के बेटी कृतिका की ऊंची उड़ान, 17 वर्ष की आयु में फतह की विश्व की सबसे ऊंची एवरेस्ट चोटी
जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की हाटी की बेटी ने क्षेत्र का बड़ा नाम कर दिया है। शिलाई क्षेत्र के छोटे से गांव गत्ताधार की बेटी कृतिका शर्मा ने सबसे उँची चोटी एवरेस्ट को फतह कर लिया है। बड़ी बात यह है कि यह उपलब्धि कृतिका ने मात्र 17 वर्ष की उम्र में हासिल कर ली है। कृतिका की इस उपलब्धि पर जहां परिजन खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हें वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी बेटी को बधाई दी है। कृतिका पाँवटा साहिब डिग्री कॉलेज की छात्रा है।
गिरिपार की इस बाला ने यह साबित कर दिखाया है कि सपनों की ऊंचाई गांव की सीमाओं से नहीं, हौसले से तय होती है। पढ़ाई के साथ-साथ एनसीसी में शानदार प्रदर्शन करने वाली कृतिका शर्मा के भीतर पहाड़ों की चढ़ाई चढ़ते-चढ़ते पर्वतारोहण का ऐसा जुनून जागा कि वह देश का तिरंगा दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर लहराने के बाद वापसी मिशन पर हैं।
बहादुर बेटी के पिता भरत शर्मा व माता विद्या शर्मा ने गर्व के साथ कहा कि हमें बेहद खुशी है कि हमारी बेटी उन 10 होनहारों में शामिल है जिन्होंने माउंट एवरेस्ट जैसी चुनौतीपूर्ण चोटी को फतह किया हैं। अब वापसी में दल माउंट लाबुचे पहुंच गया हैं, जिसकी समुद्र तल से उंचाई 6111 मीटर हैं।
कृतिका ने अपने माता- पिता को फोन करके भी यह जानकारी साझा की। माता विद्या शर्मा ने कहा कि कृतिका से कई दिनों तक संपर्क न होने पर मन बहुत घबराता था। साथ ही भारत-पाक युद्ध ने और बेचैनी बढ़ा दी थी। सभी भारतवासी का आशीर्वाद दल के सदस्यों के साथ था।
बता दें कि कृतिका ने मेहनत, अनुशासन और मजबूत इरादों के दम पर पूरे देश से चुने गए सिर्फ 10 एनसीसी कैडेट्स में अपनी जगह बनाई। खास बात यह है कि हिमाचल, हरियाणा और पंजाब से चयनित होने वाली वह इकलौती कैडेट हैं, जो इस ऐतिहासिक एवरेस्ट अभियान का हिस्सा बनी हैं। देशभर के 17 लाख एनसीसी कैडेट्स में से केवल 10 कैडेट्स का चयन माउंट एवरेस्ट एक्सपीडिशन के लिए हुआ, जिसमे कृतिका भी शामिल रही। कृतिका वर्तमान में श्री गुरु गोविंद सिंह पांवटा साहिब के सरकारी कॉलेज में एनसीसी कैडेट हैं और अब भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए एवरेस्ट की ऊंचाइयों को छूने निकली थी।
■ ऐसा रहा सफर:
करीब डेढ़ माह पूर्व 3 अप्रैल को रक्षा मंत्री द्वारा टीम को झंडा सौंपा गया, और 5 अप्रैल को सभी सदस्य काठमांडू, नेपाल के लिए रवाना हो गए थे। वहां से लुकला तक की उड़ान और फिर एवरेस्ट बेस कैंप तक की ट्रैकिंग शुरू की गई। दल 18 मई को एवरेस्ट कैंप पहुंच गया था। जहां दल ने भारत-माता का झंडा लहराया। टीम की 3 जून को भारत लौटने की उम्मीद है।