Sirmour: हाटी समुदाय जनजातीय में विशेष योगदान के लिए राजेंद्र तिवारी को किया सम्मानित ddnewsportal.com

Sirmour: हाटी समुदाय जनजातीय में विशेष योगदान के लिए राजेंद्र तिवारी को किया सम्मानित ddnewsportal.com

Sirmour: हाटी समुदाय जनजातीय में विशेष योगदान के लिए राजेंद्र तिवारी को किया सम्मानित

बीते दिनों गिरिपार क्षेत्र का दशकों पुराना शांतिपूर्ण संघर्ष उस समय पूरा हुआ जब हाटी समुदाय को जनजातीय घोषित करने के बिल पर देश की महामहिम राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगाई। उसके बाद क्षेत्र में जश्न का माहौल बना और लाखों लोंगों को मिली इस सौगात के दिए केंद्र सरकार का आभार प्रकट किया गया। इस लंबे संघर्ष में हाटी समिति के फाउंडर मैंबर से लेकर वर्तमान पदाधिकारियों सहित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक संगठनों राजनैतिक दलों और क्षेत्र के आम जनता का तो अहम योगदान रहा ही, लेकिन इस आंदोलन में ऐसी सामाजिक

शख्सियतें भी जुड़ी जिनका गिरिपार क्षेत्र की पारंपरिक समृद्ध लोक संस्कृति और पर्व व त्यौहारों को बचाने का बड़ा लक्ष्य रहा। ये शख्सियतें क्षेत्र से भले ही न हो लेकिन कर्मभूमि गिरिपार में होने के चलते अपना फर्ज निभाने से कभी पीछे नही हटी। उन्ही में से एक शख्सियत समाजसेवी राजेंद्र प्रसाद तिवारी का नाम सबसे उपर आता है। इनके परिवार का हाटी समुदाय जनजातीय मामले में बड़ा और अहम योगदान रहा, यही कारण है कि हाटी समिति के फाउंडर सदस्यों सहित वर्तमान पदाधिकारियों ने इन्हे विशेष तौर पर सम्मानित किया। पाँवटा साहिब के एवीएन रिजॉर्ट में एक कार्यक्रम के दौरान हाटियों ने तिवारी दम्पती यानि राजेंद्र प्रसाद तिवारी और उनकी धर्मपत्नी सावित्री तिवारी आज़मी को विशेष सम्मान देकर उनका आभार प्रकट किया। इस दौरान राजेंद्र तिवारी को गिरिपार की शान लोईया, टोपी और डांगरा भेंटकर सम्मानित किया गया, जबकि सावित्री तिवारी को ढांटू पहनाकर और शाॅल भेंटकर सम्मानित किया गया। 


हाटी केंद्रीय कार्यकारिणी के महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री ने तिवारी परिवार के योगदान का उल्लेख करते हुए बताया कि स्वयं राजेंद्र तिवारी ने पवन बख्शी द्वारा लिखित हाटी समुदाय पर लिखी किताब का प्रकाशन कर समिति को एक बड़ा डॉक्यूमेंट प्रूफ दिया, जो अन्य कागजों के साथ बड़ा काम आया। यह किताब प्रधानमंत्री से लेकर हर ऐसे स्थान पर भेंट की गई जहां पर हाटी जनजातीय की मांग उठाई जाती रही। हाटी समुदाय के बारे में साहित्य प्रकाशन में राजेंद्र तिवारी ने अहम भूमिका निभाई है जिसमें बहुत चर्चित पुस्तक "हिमाचल का हाटी समुदाय" (लेखक पवन बक्शी) "गिरीपार क्षेत्र की हाटी लोक संस्कृति और

लोकगीतों में प्रचलित वीर गाथाएं "हारूल" ( जिसके लेखक मशहूर लोक गायक स्वर्गीय मंगल सिंह हैं) इन पुस्तकों का प्रकाशन राजेंद्र तिवारी द्वारा करवाया गया। 'हिमाचल गिरिपार का हाटी समुदाय' पुस्तक को तो एथनोग्राफी सर्वे रिपोर्ट में भी साक्ष्य के रूप में दर्शाया गया है। इसमें हाटी लोक संस्कृति और परंपराओं का सचित्र विस्तृत वर्णन है। राजेंद्र तिवारी के पुत्र विवेक तिवारी द्वारा हाटी समुदाय पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म "Hattee we exist" जो देश-विदेश में प्रदर्शित की जा चुकी है और इस फिल्म को अभी तक 9 राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय अवार्ड भी मिल चुके हैं। तिवारी जी की धर्मपत्नी सावित्री तिवारी आजमी एक कवित्री हैं जो हाटी संस्कृति पर अनेक कविताएं लिख चुकी हैं। इस तरह से शांतिपूर्ण हाटी आंदोलन को गति व प्रोत्साहन देने में तिवारी परिवार का बड़ा योगदान माना जाता है जिसका एहसास सदैव हाटी  समुदाय को रहा है। इसीलिए 5 सितंबर को एक गरिमा पूर्ण सम्मान समारोह में पद्मश्री डॉक्टर जगत राम (सेवानिवृत्त पीजीआई निदेशक), एल आर बर्मा ए डी एम सिरमौर, प्रो० अमर सिंह चौहान, प्रो० जया चौहान, बहादुर सिंह ठाकुर

(तीनों हाटी समिति के फाउंडर सदस्य) तथा केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ० अमीचंद कमल द्वारा संयुक्त रूप से राजेंद्र तिवारी को सम्मान स्वरूप हाटी समुदाय के प्रतीक 'डांगरा' 'लोईया' टोपी तथा सावित्री तिवारी को ढांटू और शाॅल पहनाकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर हाटी समिति के अनेक वरिष्ठ सदस्य और हिमोत्कर्ष संस्था द्वारा सम्मानित किए गए शिक्षक और विभिन्न व्यक्तित्व तथा पाँवटा साहिब के वरिष्ठ नागरिक भी मौजूद रहे।