हिमाचल चुनाव: बगावत की चिंगारी पड़ेगी किस पर भारी ddnewsportal.com

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हिमाचल चुनाव: बगावत की चिंगारी पड़ेगी किस पर भारी

कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के बागी उम्मीदवार है मैदान में, तीसरे विकल्प का क्या रहेगा रोल...

हिमाचल प्रदेश के 68 सीटों के लिए नाम वापसी का आखिरी दिन खत्म हो गया। कुल 786 नामांकन पत्र दाखिल हुए थे, जिनमें 632 स्वीकार हुए। 82 नामांकन पत्रों को चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया और 85 नामांकन पत्र वापस ले लिए गए। इस बार चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों से टिकट के उम्मीदवारों की संख्या भी कहीं अधिक थी। खासतौर से मौजूदा समय सत्ता में मौजूद भाजपा से। कई-कई विधानसभा से पांच से 10 नेताओं ने अपनी दावेदारी ठोक दी थी। जिन्हें टिकट नहीं मिला अब वो नाराज बताए जा रहे हैं। भाजपा में ऐसे करीब 20 और कांग्रेस में 11 नेताओं ने बागी रूख अख्तियार कर लिया है। कई नेता निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं। इससे किस पार्टी को कितना नुकसान हो सकता है। जानते हैं कि किन-किन नेताओं ने बागी रूख अपना लिया है जो आने वाले समय में दोनों दलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस से बागी होकर इंदौरा से कमल किशोर, आनी से परसराम, नाचन से लाल सिंह कौशल, जोगिंद्रनगर से संजीव भंडारी, झंडूता से डॉ. बीरू राम, बिलासपुर से तिलकराज, जयसिंहपुर से सुशील कौल, अर्की से राजेंद्र ठाकुर, सुलह से जगजीवन पाल, पच्छाद से गंगूराम मुसाफिर, चौपाल से डॉ. सुभाष मंगलेट, ठियोग से विजय पाल खाची, इंदु वर्मा और रामपुर में विशेषवर ने बतौर निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल किए थे। इनमें से इंदौरा के कमल किशोर और नाचन से लाल सिंह ने अपना नामांकन आखिरी दिन वापस ले लिया। इस तरह से कांग्रेस के अभी भी 11 बागी नेता हैं। 
 
भाजपा के बगावत कुछ ज्यादा ही नजर आ रही है। हालांकि काफी हद तक भाजपा ने डैमेज कंट्रोल कर लिया है। फिर भी भाजपा से बागी होकर किन्नौर से तेजवंत नेगी, कुल्लू से राम सिंह, मंडी से प्रवीण शर्मा, फतेहपुर से कृपाल परमार, आनी से किशोरी लाल, रोहड़ू से राजेंद्र धीरटा, सुंदरनगर से पूर्व मंत्री रूप सिंह ठाकुर के पुत्र अभिषेक ठाकुर, करसोग से युवराज कपूर, बल्ह से संजय, नाचन में ज्ञान चौहान, बंजार से हितेश्वर सिंह, बिलासपुर सदर से सुभाष शर्मा, झंडूता से राजकुमार कौंडल, मनाली से महेंद्र ठाकुर, नालागढ़ केएल ठाकुर, देहरा से होशियार सिंह, बड़सर से संदीप शर्मा, ज्वालामुखी से अतुल कौशल, शाहपुर से जोगिंद्र पंकू, इंदौरा से मनोहर धीमान, कांगड़ा से कुलभाष चौधरी, धर्मशाला से अनिल चौधरी और विपिन नैहरिया ने बतौर निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है।
हालांकि, करसोग से युवराज कपूर, बल्ह से संजय, धर्मशाला से अनिल चौधरी को पार्टी मनाने में कामयाब रही। वहीं, बाकी बागी नेताओं ने मैदान में ताल ठोक दी है। हालाँकि तीसरे वविकल्प का रोल फलहाल नजर नहीं आ रहा हैं

वहीं यदि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हर चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर उठापठक जरूर होती है। खासतौर पर उन पार्टियों के अंदर, जो सत्ता में आने का दम रखती हैं। हिमाचल प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ। यहां हमेशा कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई रही है। ऐसे में इन्हीं दोनों पार्टियों में ज्यादा बगावत भी दिखी। भाजपा अभी राज्य और केंद्र दोनों जगह सत्ता में है। ऐसे में इस पार्टी से टिकट पाने के लिए उम्मीदवारों की लंबी लाइन थी।
बागी नेताओं को पार्टी से मनाने की काफी कोशिश की, लेकिन नहीं मानें। ऐसे में इसका असर तो जरूर पड़ेगा। अगर ये 1000 या 500 वोट भी काट लेते हैं तो भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कई बार तो बागी प्रत्याशी ही चुनाव भी जीत जाता है। ऐसे में पार्टियों को अभी भी इन्हें मनाने की कोशिश जारी रखनी चाहिए।