समाज मे गलत होते हुए नही देख सकती समीर शर्मा ddnewsportal.com

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फोटो: समीर शर्मा, समाजसेवी।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष- 03

समाज मे गलत होते हुए नही देख सकती समीर शर्मा

जरुरतमंदो के हक के लिए उठाती है आवाज, प्रशासन, पुलिस और मीडिया के समक्ष रखती हैं नगर की समस्याएं।

आज समाज मे महिलाएं किसी दर्जे मे पुरुष से कम नही है। अनैकों फील्ड मे महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का डंका बजाया हैं। आज देश के हर कौने मे छोटे से छोटे शहर मे भी महिलाओं ने अपनी जिम्मैदारियों को बखूबी निभाकर देश के विकास मे अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम ऐसी महिलाओं की उपलब्धियां आप सभी के समक्ष ला रहे हैं जो समाज को एक बड़ी प्रेरणा दे रही है। समाजसेवा हो या देश सेवा हर क्षेत्र मे अब महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास मे अपना अहम योगदान दे रही हैं। ऐसी प्रेरणास्रोत्र शख्सियतों को देश दिनेश न्यूज पोर्टल का सैल्यूट..........

पांवटा साहिब की सामाजिक कार्यकर्ता समीर शर्मा का स्वभाव ही उन्हे सामाजिक बनाता है। वह कहीं पर भी किसी इंसान के साथ गलत होते हुुए नही देख सकती। और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने मे पीछे नही हटती। आज नगर के वार्ड़ नंबर-9 के मद्रासी काॅलोनी के लोगों के लिए काॅलोनी मे सार्वजनिक शोचालय बने हैं उसमे उनका बड़ा योगदान है। उन्होने

मीडिया के माध्यम से काॅलोनी के महिलाओं की समस्याओं को उजागर कर प्रशासन के समक्ष लाया। उसके बाद से ही काॅलोनी मे शौचालय तो बने ही हाथ ही काॅलोनी के बच्चों के भविष्य को लेकर भी एक संस्था ने बच्चे पढ़ाने का निर्णय लिया। आज काॅलोनी के वो बच्चे अच्छी निशुल्क शिक्षा ले रहे है जो कुछ समय पूर्व तक यूं ही घूमते रहते थे। अस्पताल मे भले ही अपना उपचार करवाने जाती लेकिन यदि वहां किसी को परेशान देखती तो उसकी परेशानी दूर करने के लिए स्टाॅफ से उलझने से भी नही कतराती। वह नगर के हर सामाजिक कार्यो में बढ़ चढ़कर भाग लेती रही। उनका कहना है कि महिलाओं को अपने चूल्हे चोके के साथ साथ समाज के लिए अपना योगदान देना चाहिए। 58 वर्ष की आयु मे भी समीर शर्मा धार्मिक व सामाजिक कार्यो के लिए पूरा समय देती रही। वह समाज में महिला उत्पीड़न, भ्रण हत्या व बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ व स्वच्छता के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। नगर की कई सामाजिक संस्थाओं की बैठकों मे भी वह अकैली महिला नजर आती रही। लेकिन उनका लोगों की सेवा का जज्बा इसका उन पर कोई प्रभाव नही डाल सकी। उनका मानना

है कि महिलाओं को समाज के विभिन्न क्षेत्रो में फैली समाजिक बुराईयो को दूर करने के लिए आगे आना होगा। उनका कहना है कि महिलाओं को पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना सामाजिक कर्तव्य निभाना चाहिए। वह गरीब कन्याओं को धार्मिक व समाजिक संस्थाओं द्वारा विवाह के लिए दिए जाने वाले सामान मे भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करती है। उल्लैखनीय है कि पति को खोने के बाद भी समीर शर्मा ने हिम्मत नही हारी और कठिन परिस्थितियों मे अपने बच्चों का पालन पोषण कर आज उन्हे काबिल बनाया है। हालांकि पिछले एक वर्ष से समीर शर्मा गंभीर बीमारी के चलते समाज मे पहले की तरह सेवाएं नही दे पा रही हैं जिसका उन्हे मलाल भी है। लेकिन फोन पर आज भी लोगों की दिक्कत दूर करने का भरसक प्रयास करती है। ऐसी महिलाएं समाज को एक प्रेरणा देती हैं।