किसी भी संगठन के कार्यों को जन-जन तक पंहुचाने मे बड़ा माध्यम है मीडिया- ddnewsportal.com
किसी भी संगठन के कार्यों को जन-जन तक पंहुचाने मे बड़ा माध्यम है मीडिया
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की राष्ट्रीय मीडिया कार्यशाला मे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका पर हुई चर्चा।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की राष्ट्रीय मीडिया कार्यशाला के प्रथम सत्र में 'प्रिंट मीडिया और शिक्षक संगठन' विषय पर अंग्रेजी साप्ताहिक ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि मीडिया किसी भी संगठन के कार्यों को जन जन तक पंहुचाने का एक बड़ा माध्यम है। प्रिंट मीडिया की खासियत कहरे बारे मे उन्होंने कहा कि हर अखबार अपनी एक्सक्लूसिव स्टोरी चाहता है। आजकल सफलता की कहानियां अधिक पढ़ी जाती हैं। शिक्षक संगठन होने के नाते शिक्षकों की सफलता की कहानी संगठन के विभिन्न स्तरों से मीडिया में जाएं तो एक अच्छा समाचार बन सकता है। पत्रकारों से संपर्क साधना, विषयवस्तु की विस्तार से जानकारी देना, गतिविधियों की वार्षिक कार्य योजना तैयार करना और संगठन से जुड़े विषयों पर समय-समय पर विभिन्न माध्यमों द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराना प्रमुख है। समाज आधारित शिक्षा जैसे प्रमुख विषय हमारी प्राथमिकता है। इसी उद्देश्य अनुसार प्रत्येक इकाई को कार्यक्रम आयोजित कर समाचार विभिन्न माध्यमों में भेजने चाहिए, जिससे संगठन को मजबूती मिलेगी और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के धेय को आगे बढ़ा पाएंगे। समय-समय पर कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण भी होना चाहिए। सत्र का संचालन मीडिया टोली सदस्य प्रो. सुभाष अठावले ने किया।
टेलीविजन मीडिया सुर्खियों पर चलता है- प्रो. केजी सुरेश
द्वितीय सत्र में 'इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रभावी उपयोग' विषय पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने बताया कि टेलीविजन मीडिया का प्रभाव व्यापक है। कोरोना काल में इस मीडिया ने लोगों को बहुत अधिक आकर्षित किया है। घर में रहकर देश व समाज में क्या हो रहा है इसकी जानकारी इस माध्यम से प्राप्त की। टेलीविजन में एजेंडा आधारित पत्रकारिता है। इसमें खबरों को तोड़ मरोड़ कर भी पेश किया जाता है। फेक नरेटिव को प्रस्तुत करना जैसी बातों
पर गहराई से प्रकाश डाला और अनेक उदाहरणों से स्पष्ट किया। महासंघ से संबद्ध कार्यकर्ताओं को विभिन्न मुद्दों को राष्ट्रीय परिपेक्ष में रखने की आवश्यकता है। कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा जगत से जुड़े विषयों की सूची बनाना, टेलीविजन मीडिया तक अपनी पहुंच बनाकर अपनी राय प्रकट करना एवं नकली मुद्दों पर काउंटर कर सत्य को समाज तक ले जाना और कम से कम शब्दों में अपनी बात रखना है। इस हेतु विषयों की गहराई से समझ रखना बहुत जरूरी है। विभिन्न विषयों पर अपनी राय रखने हेतु कार्यकर्ताओं को अच्छी तरह से विषय का प्रस्तुतीकरण करना, विषय पर गहराई से अनुसंधान एवं उन पर लिखने की क्षमता होनी चाहिए। शिक्षक कार्यकर्ताओं को टीवी पर अपनी बात को तथ्यों के साथ मजबूती से रखना चाहिए, जिससे प्रभाव स्पष्ट झलके। टेलीविजन में शॉट की महत्ता है। कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात को रखना ही टेलीविजन मीडिया की समझ है। सत्र का संचालन अखिल भारतीय सह-मीडिया प्रमुख बसंत जिंदल ने किया। अखिल भारतीय मीडिया प्रकोष्ठ प्रमुख विजय कुमार सिंह ने प्रस्तावना रखते हुए कहा कि समाचार माध्यमों की महत्ता एवं संगठन हित हेतु समाचार माध्यमों का सदुपयोग विषय पर गहराई से प्रकाश डालते हुए बताया कि महासंघ के अनेक माध्यम कार्यरत हैं, जिनके प्रसार की आवश्यकता है। सभी शिक्षक साथियों को इस दिशा में कार्य करना होगा।
संगठनात्मक चर्चा करते हुए अखिल भारतीय महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा ने बताया कि शिक्षकों द्वारा संगठन के कार्यों को जन-जन तक मीडिया के माध्यम से ले जाया जा सकता हैं। शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन का वाहक है। शिक्षकों में सीखने की सतत लालसा होनी चाहिए और बदलाव के साथ समयानुसार तैयार रहना होगा। निजी स्वार्थों को त्याग कर संगठन, समाज एवं शिक्षा हित हेतु कार्य करना चाहिए। हमारी छोटी से छोटी इकाई सक्षम बने इस हेतु हम सबको प्रयास करना होगा। कार्यक्रम में सरस्वती वंदना बसंत जिंदल द्वारा एवं संगठन गीत देवकृष्ण व्यास द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में 220 कार्यकर्ता उपस्थित रहे।