Paonta Sahib: भूगोल विभाग द्वारा GIS पर सात दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन ddnewsportal.com

Paonta Sahib: भूगोल विभाग द्वारा GIS पर सात दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन  ddnewsportal.com

Paonta Sahib: भूगोल विभाग द्वारा GIS पर सात दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

राजकीय श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाविद्यालय, पांवटा साहिब के भूगोल विभाग द्वारा आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के सहयोग से “एप्लीकेशन्स ऑफ जी.आई.एस.” विषय पर सात दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का सफल आयोजन 1 नवम्बर से 7 नवम्बर 2025 तक किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographical Information System – GIS) के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराना तथा उन्हें आधुनिक तकनीकी

उपकरणों के प्रयोग द्वारा अनुसंधान और क्षेत्रीय विकास में सक्षम बनाना था। कार्यशाला का उद्घाटन सत्र महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जगदीश चौहान की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने जी.आई.एस. तकनीक की बढ़ती प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आधुनिक भौगोलिक अध्ययन, नीति निर्माण और संसाधन प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने छात्रों और शोधार्थियों से आह्वान किया कि वे इस तकनीक को सीखकर अपने शोध कार्यों में नवाचार लाएँ। कार्यशाला का संचालन और संयोजन भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. विम्मी रानी के नेतृत्व में तथा प्रो. संदीप शर्मा और प्रो. कमलेश शर्मा के कुशल संयोजन में किया गया। सात दिवसीय इस कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों से आए 100 से अधिक छात्र-छात्राओं एवं अध्यापकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रत्येक दिन विशेषज्ञों द्वारा जी.आई.एस. के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान एवं प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए। पहले दिन डॉ. अजय चांजटा (हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला) ने जी.आई.एस. की मूल अवधारणाओं और उसके उपयोग पर विस्तृत जानकारी दी। दूसरे दिन डॉ. जगदीश चंद (राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नाहन) ने रिमोट सेंसिंग और जी.आई.एस. के एकीकृत प्रयोग पर व्याख्यान दिया। तीसरे दिन डॉ. पंकज आशीष (सेंट बीड्स कॉलेज, शिमला) ने ओपन-सोर्स जी.आई.एस. सॉफ्टवेयर और डिजिटल मैपिंग तकनीकों पर प्रशिक्षण सत्र लिया। चौथे दिन डॉ. सीमा चौधरी (एच.पी.यू. शिमला) ने स्थानिक आंकड़ा विश्लेषण और क्षेत्रीय योजना के व्यावहारिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। पाँचवें दिन डॉ. खयाल चंद (एम.एस.एच.आई.पी.ए., शिमला) ने शासन, नीति निर्माण और आपदा प्रबंधन में जी.आई.एस. की भूमिका पर सत्र लिया। छठे दिन डॉ. विजय ठाकुर, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय भोरंज ने जी.आई.एस. की भावी संभावनाओं और अनुसंधान में इसके योगदान पर अपने विचार साझा किए। सातवें दिन का समापन सत्र महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जगदीश चौहान की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।

उन्होंने कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में तकनीकी कौशल के विकास के साथ-साथ विषय की व्यावहारिक समझ को भी सशक्त बनाते हैं। उन्होंने भूगोल विभाग को इस अकादमिक पहल के लिए बधाई दी और सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए। प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक बताया। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. विम्मी रानी, संयोजक सचिव प्रो. संदीप शर्मा एवं प्रो. कमलेश शर्मा ने सभी संसाधन व्यक्तियों, प्रतिभागियों, आईक्यूएसी टीम और महाविद्यालय प्रशासन का आभार व्यक्त किया। इस प्रकार यह सात दिवसीय कार्यशाला उत्साह, ज्ञानवृद्धि और प्रेरणा के वातावरण में सफलतापूर्वक संपन्न हुई, जिसने प्रतिभागियों को जी.आई.एस. तकनीक के माध्यम से अनुसंधान और क्षेत्रीय विकास में नई दिशा प्रदान की।