कलश स्थापना के लिए सुबह यह रहेगा अतिशुभ मुहूर्त ddnewsportal.com
शारदीय नवरात्रि पर्व कल से आरंभ
कलश स्थापना के लिए सुबह यह रहेगा अतिशुभ मुहूर्त, ये हैं पूजा की विधि
प्रसिद्व ज्योतिषाचार्य प0 कमलकांत सेमवाल ने दी जानकारी, 14 अक्तूबर को होगी नवमी, 15 को दशहरा।
इस बार के शारदीय नवरात्रे गुरूवार 07 अक्तूबर से आरंभ हो रहे है। जिला सिरमौर के प्रसिद्व ज्योतिषाचार्य प0 कमलकांत सेमवाल ने यह जानकारी देते
हुए बताया कि पर्व के लिये 07 अक्तूबर को प्रातः 6 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 15 मिनट तक और प्रातः 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट के मध्य कलष स्थापित करना अति शुभ रहेगा। प0 सेमवाल ने बताया कि भारतीय संस्कृति मे शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व
है। नौ दिनो तक चलने वाली नवरात्रि पर्व मे मां दुर्गा के नौ रुपों शैलपुत्री, ब्रहमचारिणी, चंद्रघण्टा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्विदात्री की पूजा की जाती है। उन्होने बताया कि कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रधान रुप मां शैलपुत्री की पूजा होगी। इस बार चतुर्थी और पंचमी एक साथ पड़ रही है। इसलिए शारदीय नवरात्र इस बार आठ दिन के ही होंगे। 14 अक्तूबर को नवमी रहेगी। दशहरा का पर्व 15 अक्तूबर को मनाया जाएगा।
पूजा विधि-
स्नानादि के उपरान्त घट स्थापना करें। कलश स्थापना मे मिटटी, तांबे या स्टील का कलश पूजा मे रखें। घट मे गंगाजल, जल, सुपारी, चावल, रोली, हल्दी, कमल गटठे, जौ, सिक्का व शहद आदि डालकर आम के पांच पत्ते रखे तथा नारियल पर लाल रंग की चुन्नी लपैटकर कलश पर रखें। आसन बिछाकर अर्ध्य, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, ताम्बुल, नेवैद्य व फल आदि से कलश पूजा करें। मिटटी के पात्र मे रेत-मिटटी डालकर उसमे मिलाकर जौ बीज दे तथा नित्य उसमे जल डाले। मां दुर्गा के नौ रुपों का ध्यान करें, नित्य नौ दिनो तक पूजा पाठ करें। मां दुर्गा का ध्यान कर नौ दिनो तक दुर्गा सप्तषती का पाठ करें।
क्या करें-
दुर्गा पूजा के लिये लाल फूलों का ही प्रयोग करें। घी की अखण्ड ज्योति जलाएं। पूजन के समय ओंकार सहित श्री गणेश, ब्रह्मा, विष्णु, महेश व दुर्गा इन पंचदेवों व नवग्रहों का पूजन करें।
क्या न करें-
तुलसी, आक, आंवला एवं मदार के फूल न चढांए। दूर्वा न चढ़ाएं।
इस मंत्र का करें जाप-