हिमाचल- तो ऐसे उद्योगों को बंद कर देगी सरकार ddnewsportal.com
हिमाचल- तो ऐसे उद्योगों को बंद कर देगी सरकार
प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण को उद्योग नीति लागू, इन तीन श्रेणियों में किये विभाजित...
हिमाचल प्रदेश में उद्योगपतियों को अब संभल कर काम करना होगा वरना उद्योग बंद भी किये जा सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए ईंधन नीति लागू कर दी है। यह नीति प्रदेश में उद्योगों से वायु
मंडल में फैल रहे प्रदूषण को कम करने के लिए लागू की गई है। प्रदेश में लगे उद्योगों में पैट कोक का इस्तेमाल ही किया जा सकेगा। इस ईंधन से प्रदूषण कम फैलता है। अभी तक उद्योगों में तेल और कोयले का इस्तेमाल होता रहा है और प्रदेश के अधिकांश औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण की समस्या रहती थी। राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग आरडी धीमान ने ईंधन नीति के संबंध
में अधिसूचना जारी कर दी है। इस नीति के तहत प्रदेश के उद्योगों को तीन श्रेणियों लाल, नारंगी और हरे रंग में विभाजित किया गया है। जिन उद्योगों से सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलता है, उसे लाल रंग की श्रेणी में रखा गया है। उससे कम वालों को नारंगी और सबसे कम प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को हरे रंग की श्रेणी में रखा है। अधिसूचना जारी होने के बाद लाल श्रेणी के उद्योगों में पैट कोक एक साल के भीतर उपयोग में लाना होगा, जबकि नारंगी श्रेणी के उद्योगों के लिए दो साल और अन्य को तीन साल की मोहलत दी गई है। यह
नीति लागू होने के बाद इसका उल्लंघन करने वाले उद्योगों पर कार्रवाई करने का प्रावधान है। ऐसे उद्योगों को बंद भी कराया जा सकता है। गोर हो कि प्रदेश में कुल 44 औद्योगिक क्षेत्र हैं। इनमें से बद्दी, नालागढ़, परवाणू, कालाअंब, पांवटा साहिब, सुंदरनगर और डमटाल प्रमुख हैं। यहां के उद्योगों से बहुत ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है। प्रदेश में सीमेंट उद्योगों से भी प्रदूषण फैलता रहा है। इन सब उद्योगों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पैट कोक ईंधन का इस्तेमाल किया जाना है। उद्योगों में उपयोग होने वाले पैट कोक में 85 फीसदी कार्बन की मात्रा होती है। उद्योगों में इसका इस्तेमाल होने से कम ईंधन लगता है, जिससे प्रदूषण भी कम फैलता है।