खेल अकादमी से अभी तक अछूता है पांवटा दून।
खेल अकादमी से अभी तक अछूता है पांवटा दून।
हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर का सीमान्त नगर पांवटा साहिब औद्योगिक और एजुकेशन हब के कारण तो पहचाना जाने लगा ही है। साथ ही यह नगर गुरु गोबिंद सिंह की नगरी के नाम से भी विश्व प्रख्यात है। हालांकि पांवटा मे विकास के कई काम हुए है लेकिन किसी भी सरकार ने यहां के खिलाडि़यों की प्रतिभा को बुलंदियों पर ले जाने की सौंच नही दिखाई। पांवटा मे आज तक भी खेल अकादमी नही बनी है। जबकि पांवटा इस अकादमी का पूरी तरह हकदार है। यह हम नही आंकड़े बतातें है। हर साल जिला सिरमौर और जिले के शिलाई और पांवटा से विभिन्न खेलों मे बच्चे अंर्तराष्टीय स्तर तक जाकर अपनी खेल प्रतिभा का प्रर्दशन कर प्रदेश और जिले को गोरवान्वित करते है। क्रिकेट खिलाडि़यों से लेकर कब्बडी, बास्केटबाल, हॉकी और फुटबाल आदि सहित सांस्कृतिक कार्यक्रमों मे भी पांवटा उपमंडल के बच्चों ने देश विदेश मे अपनी प्रतिभा दिखाई है। यहां से तीन से चार खिलाड़ी क्रिकेट मे रणजी खेल चुके है। बास्केटबाल और हॉकी मे तो हर साल यहां से एक दर्जन से अधिक बच्चे नेशनल खेलकर आते है। इनमे ज्यादातर बच्चे गिरिपार के ग्रामीण क्षेत्र के रावमा नघेता
स्कूल के होतें है। यहां के नीजि प्रतिष्ठित स्कूलों से भी बच्चे बास्केटबाल, खो-खो, बेडमिंटन और एथलेटिक्स मे उत्तर भारत स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। शिलाई क्षेत्र की बात करें तो यहां से कब्बडी मे हर साल कई बच्चे साई होस्टल मे प्रवेश ले रहे हैं जिनमे अधिकतर लड़कियां है। ज्यादातर खिलाडियों की प्रतिभा सुविधाओं के अभाव मे दम तोड़ देती है। जानकार मानते है कि यदि पांवटा मे खेल अकादमी बने तो जिला सिरमौर से कई खेलों मे बच्चे अंर्तराष्टीय स्तर पर धूम मचा सकते है। उनका कहना है कि पांवटा एक दून व समतल क्षेत्र है। यहां पर सरकार की भी काफी भूमि बेकार पड़ी हुई है। यदि सरकार चाहें तो यहां पर खेल अकादमी बनाकर युवा खिलाडि़यों के भविष्य को संवार सकती है। यही युवा आगे चलकर देश-विदेश मे हिमाचल का नाम रोशन करेंगे। हालांकि भाजपा पांवटा ने अपने इस बार के विजन डक्यूमेंट मे पांवटा मे खेल अकादमी खोलने की बात को प्राथमिकता दी है। और जनता उम्मीद भी कर रही है कि सरकार इस काम को अमलीजामा पहनाएगी। लेकिन 7 माह बीत जाने के बाद भी इस दिशा मे कोई सुगबुगाहट नही सुनाई दे रही है।