आओ कुछ अच्छा काम करते हैं..... डाॅ. गोपाल- ddnewsportal.com
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं.....
प्रोफेसर (डाॅ.) एनआर गोपाल ने अपनी व्यंग्यात्मक रचना के माध्यम से बताई आज के समाज की हकीकत
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।
अपने स्वार्थ के लिए दिलों को तोड़ा करते हैं
चेहरे पे मुस्कान और दिल में ग़रल भरते हैं,
दोस्ती के नाम पर दोस्त का चरित्र हनन करते हैं।
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।
सौदेबाजी धोखेबाजी और विश्वासघात करते हैं
किसी का बनता काम दोजख़ में करते हैं,
मतलब साधने के लिए सिद्धांतों से समझौता करते हैं।
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।
प्रमाणिकता के बदले चाटुकारिता को परश्रय देते हैं
बेईमानी के काम को ईमानदारी से करते हैं,
बात फंस जाए तो गधे को बाप करते हैं।
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।
किसी परदारा से नैन- मटक्का करते हैं
दुसरो का लिखा अपने नाम करते हैं
औरों की ज़मीन-जायदाद चायनीज़ करते हैं।
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।
उलटे को उल्टा और सीधे को भी उलटा करते हैं,
मातहतों को लात मार घुटनों के बल करते हैं,
अपने आप में आदमी वाला कुत्तापन और गधापन भरते हैं
दुम हिला अग्र-पृष्ठ चाट, अपना उल्लू सीधा करते हैं।
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।
ग़रीब और किसानी संवेदना की बातें करते हैं,
पंचतारा विलासिता में हाले रुदन करते हैं,
संगत में इकठ्ठो से वाहवाही लूटते हैं
गाहे-बगाहे मसीहा बनते हैं।
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।
चोरी-चकारी से घर खलिहान भरते हैं
अपने पद-प्रतिष्ठा का कुछ दंभ भी भरते हैं,
स्वेच्छाचारण से अंड-बंड सब करते हैं
लुटे, ज़रूरतमंदों को पूरी तरह बरबाद करते हैं।
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।
आश्रित माता-पिता को वृद्धाश्रम करते हैं
रिश्ते-नाते छोड़ ज़मीन को तवज्जो देते हैं,
और तो और नैतिक मूल्यों से हाथ धोते हैं।
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।
अपनी इच्छा महत्त्वाकांक्षाओं को हवा लगातें हैं
इसी बहाने सहारो को फांसी पर लटकाते हैं,
झूठ फरेब वंचिका को चुपड़ी बातों का आधार बनाते हैं।
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं
आओ कुछ अच्छा काम करते हैं।।