....लेकिन भाजपाई खरीदने के लिए नही बने थे ddnewsportal.com
....लेकिन भाजपाई खरीदने के लिए नही बने थे
भाजपा वरिष्ठ नेता शिव सिंह असवाल ने जिला परिषद मे कांग्रेस समर्थित सदस्य लेने के मामले पर सोशल मीडिया पर जाहिर किये अपने विचार
कांग्रेसी तो हर कोई बिकने के लिये ही बने है लेकिन भाजपाई खरीदने के लिये नही बने थे। परन्तु अब बन चले है। यह पीड़ा भाजपा को जिला मे सींचकर बड़ा करने मे शुमार वरिष्ठ नेता शिव सिंह असवाल ने सोशल प्लेटफार्म पर शैयर की है। जिला सिरमौर मे जिला परिषद भाजपा की बनी
है। तभी से सोशल मीडिया पर कांग्रेसी कार्यकर्ता जहां भंगानी वार्ड की जिप सदस्या को खूब ट्रोल कर रहे हैं वहीं भाजपा के पुराने लोग भी इस राजनीति से दुखी है। इसी बीच सोशल मीडिया पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व जिला प्रवक्ता शिव सिंह असवाल के कमेंट भी नजर आए।
उन्होनें लिखा है कि लगता है कि अब आधुनिक भाजपा है जो कांग्रेस के पदचिन्हों पर ही चल रही है!
फिर A party with a difference के नारे का क्या होगा भाई? वह क्या रद्दी की टोकरी मे चले जायेगा?
भाजपा की जय तब थी जब कांग्रेस की तरह सत्ता मे रहकर काग्रेस की तरह १२ सीटे जीतकर लाते? और काग्रेस को ४ पर सिमटा देते? जैसा काग्रेस ने २०१५ मे किया था। तब थी जीत और जश्न मनाने का दस्तूर ? यह न मौका है न दस्तूर? भाजपा को आत्मचिन्तन करने का मौका है कि फर्जी बोटो से हम कब तक जीत का जश्न मनायेंगे? रेत मे सिर देकर खतरे टला नही करते मित्र? हाॅ इससे भाजपा चारित्रिक पतन की ओर अवश्य बढती चली जा रही
है। जो देश के लोकतंत्र की सेहत के लिये अच्छा नही है। इससे भ्रष्टाचारी ही पैदा होंगे। जैसा पाँवटा नगर परिषद मे पीछे घटित हुआ था। बाकी भाजपा की जिला परिषद खरीद फरोख्त से बन गयी है तो जश्न मनाओ?
एक अन्य कमेन्ट मे उन्होंने लिखा है कि बिकाऊ माल से कब तक लोकतंत्र और बिचारधारा मजबूत होगी?
यक्षप्रश्न कि ऐसे लोग भाजपा के जीत के जश्न मे भंगडा तो डालते है। लेकिन भंगडा डालने के बाद मोदी को हजार किलो की गालियाँ भी तो देते है?
क्या यही है आधुनिक भाजपा बिचारधारा और उसका आधुनिक लोकतंत्र? जिसको खरीदा वह कांग्रेस की कट्ठर समर्थक थी है और रहेगी।
सब लोकतंत्र का नही ? पैसो का खेल होकर रह गया है। लोकतंत्र जाये भाड मे। जनादेश, लोकतंत्र और उसका सम्मान सब बेइमानी होकर रह गया है।
भाजपा से ऐसे व्यवहार की उम्मीद किसी ने नही की होगी। लेकिन सब सामने हो रहा है ? यही रह गया है कथित सच्चा लोकतंत्र ?
भाजपा को यह भी याद रखना चाहिये कि स्वर्गीय अटल जी की सरकार एक वोट से संसद मे बिश्वासमत हारी थी ?????
वह थी भाजपा। और यह सब ? इससे बढिया तो न बनती तो अच्छा था।