बेसहारा गौवंश गोधाम पंहुचायें तो आ धमके कथित मालिक ddnewsportal.com
बेसहारा गौवंश गोधाम पंहुचायें तो आ धमके कथित मालिक
दिन भर शहर मे छोड़ दो और शाम को दूध निकालने घर ले जाओ, कुल्हाल तक से पांवटा शहर मे छोड़े जा रहे गोवंश
नगर को बेसहारा गौवंश का धब्बा लगाने वालों पर होनी चाहिए कार्रवाई, जयराम सरकार पर भी उठ रहे सवाल
एक सेवक अपना सर्वस्व न्यौछावर कर बेसहारा गौवंश को आसरा और सहारा दे रहा हैं तो कुछ लोग अपने पशुओं को शहर मे खुला छोड़कर शहर का कचरा और लोगों की जूठन खाने को मजबूर कर रहे हैं। यह खुलासा तब हुआ जब बहराल स्थित श्री सत्यानंद गोधाम मे दो परिवार कथित अपनी गायों को लेने पंहुच गये। दरअसल, बहराल मे पांवटा साहिब के गौवंश प्रेमी सचिन ओबराॅय श्री सत्यानंद गोधाम का संचालन कर रहे हैं। वह शहर मे घूम रहे बेसहारा गौवंश को गोधाम मे पंहुचा रहे हैं ताकि गोवंश को रहने व खाने का सही ठिकाना मिल सके। यही नही संचालक शहर को दुर्घटनाओं से भी बचा रहे हैं और नगर परिषद को जो काम करना चाहिए, वो काम भी कर रहे
हैं। दिनभर शहर मे घूमने वाले गौवंश जहां सड़क हादसे को न्यौता देते हैं वहीं नगर मे बेसहारा घूम रहे गौवंश जयराम सरकार के उन दावों की पोल भी खोल रही हैं जिसके तहत सरकार का दावा है कि उनकी सरकार मे गौवंश सडकों पर नही घूमेंगे। और जिसके नाम पर शराब की बोतल से भी पैसे काटे जाते है। दो दिन पूर्व ही गोधाम संचालक ने कड़ी मशक्कत से कुछ बेसहारा गोवंश नगर पालिका मैदान से देर शाम को बहराल गौधाम पंहुचायें। और उनकी देखरेख करने लगे। लेकिन अगले ही दिन यानि गुरुवार को एक के बाद एक करके दो परिवार गौधाम पंहुच गये और अपनी गाय वापिस मांगने लगे। संचालक ने पूछा कि यदि ये आपके गोवंश है तो इन्हे बेसहारा शहर मे क्यों छोडा है। जिस पर वह अजीब अजीब जवाब देने लग गये। एक युवक तो यहां तक कह गया कि एक गाय अब बच्चे नही जन्मेगी तो वो आप यहीं रख लो, लेकिन दूसरी दूध देगी तो उसे हम ले जाते हैं और जब यह भी दूध देना बंद कर देगी तो इसे भी यहां छोड़ देंगे। कैसी मानसिकता हो गई है आज समाज की।
वहीं शाम को दूसरा परिवार भी पंहुच गया अपनी गाय लेने। हैरत की बात तो यह है कि यह परिवार पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के कुल्हाल मे रहता है और दिन मे अपनी गाय पांवटा साहिब मे छोड़ देता है। शाम को वापिस ले जाकर
दूध निकालकर सुबह वापिस पांवटा छोड़ देता है। इस तरह न जाने कितने लोग दिनभर अपने गोवंश को शहर मे छोड़ देते हैं। इन गोवंश की टैगिंग तक नही हुई है और ये पूरे शहर मे घूम रहे हैं तो सवाल तो नगर परिषद और पशुपालन विभाग पर उठेंगे ही। नगर परिषद को चाहिए कि ऐसे लोगों की पहचान कर उन पर कार्रवाई करें और नगर को बेसहारा गौवंश मुक्त करें। और जब सचिन ओबराॅय जैसे समाजसेवी उनके शहर के नजदीक बैठें है
जिन्होंने गोवंश सेवा के लिए अपनी जमा पूंजी तो लगा ही दी है बल्कि पुश्तैनी मकान तक गिरवी रख दिया है, तो यदि गोवंश सेवा के लिए उन्हे आर्थिक तौर पर मदद न कर सकें तो कम से कम उन्हे नेक काम करने मे अन्य प्रकार से तो सहयोग करें। उम्मीद करते हैं कि इस वाकये के बाद नगर परिषद सुध लेगी और शहर को बेसहारा गौवंश का धब्बा लगाने वालों को कड़ा सबक सिखायेगी।