शिलाई: नाटी स्टार अजय चौहान ने नचाये छात्र, इसलिए पंहुचे शिलाई कॉलेज... ddnewsportal.com
शिलाई: नाटी स्टार अजय चौहान ने नचाये छात्र, इसलिए पंहुचे शिलाई कॉलेज...
नाटी स्टार सिरमौर की शान लोक गायक अजय चौहान ने छात्रों संग खूब नाटी डाली। मौका राजकीय महाविद्यालय शिलाई की राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के विशेष सात दिवसीय शिविर का
रहा। शिविर (Special Camp) के तीसरे दिन हिमाचल प्रदेश के सुप्रसिद्ध लोकगायक अजय चौहान बतौर 'Resource Person' के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष की व्यथा जाहिर करते हुए स्वयंसेवकों को बताया कि किस प्रकार हम
लगातार प्रयासों और मेहनत के बलबूते जीवन में न केवल सफल हो सकते हैं, बल्कि अपनी पहाड़ी संस्कृति को भी संरक्षित कर सकते हैं। अपने गीतों के सकारात्मक संदेश पर चर्चा करते हुए श्री चौहान ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी किस प्रकार से नशे के कारण बर्बाद हो रही है। अंत में अजय चौहान संग नाटी का लुत्फ उठाते हुए सभी स्वयंसेवकों सहित सहायक आचार्य नरेंद्र शर्मा, सहायक आचार्य अनिल कुमार, सहायक आचार्य संसारचंद्र, कार्यक्रम अधिकारी सहायक आचार्या सुजाता खमन तथा सहायक आचार्य यशपाल शर्मा ने श्री चौहान का कार्यक्रम में पधारने के लिए आभार व्यक्त किया।
दिन के दूसरे सत्र में कार्यक्रम अधिकारियों के साथ सभी स्वयंसेवक सफाई और सर्वेक्षण (Survey) करने के उद्देश्य से महाविद्यालय शिलाई की एनएसएस इकाई द्वारा गोद लिए गए गांव कैलात पहुंचे। जहां स्वयंसेवकों ने गांव की सफाई की और कार्यक्रम अधिकारी स. आ. यशपाल शर्मा और स. आ. सुजाता खमन ने गांव का सर्वेक्षण किया। इस दौरान कार्यक्रम अधिकारियों ने गांव के बुद्धिजीवी मोहन सिंह, गोपाल छिन्टा और कुछ महिलाओं से बातचीत की। कैलाथ गांव के लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक इस गांव में कुल 11 परिवार निवास करते हैं जिनकी जनसंख्या तकरीबन 140 के करीब है। गांव में कोई स्कूल नहीं है परिणाम स्वरूप गांव के लोग अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्ति के लिए पास के ही स्कूल में भेजते हैं, जो शिलाई गांव में स्थित है। मोहन सिंह ने बताया कि गांव के चार व्यक्ति सरकारी नौकरी करते हैं जबकि अधिकांश लोग पेशे से कृषक और
पशुपालक हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, पक्की सड़क ना होना, फसल उत्पादन की वर्षा पर अत्यधिक निर्भरता, रोजगार की तलाश में युवा वर्ग का शहरों की ओर पलायन करना आदि इस गांव की प्रमुख समस्याएं हैं। अक्सर कम उम्र में ही विवाह करने के कारण यहां अधिकांश लड़कियां औपचारिक शिक्षा को पूरा नहीं कर पाती हैं। गांव से महाविद्यालय को लौटते समय स्वयंसेवकों ने महाविद्यालय परिसर में पौधे लगाने और फूल उगाने के उद्देश्य से बनाई जाने वाली क्यारियों के लिए गोबर खाद लाई। कार्यक्रम अधिकारियों द्वारा गोबर खाद प्रदान करवाने पर गांव वासियों का आभार व्यक्त किया गया।