सूरत-ए-हाल- शिलाई मे बद्तर होती जा रही व्यवस्था- ddnewsportal.com

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सूरत-ए-हाल- शिलाई मे बद्तर होती जा रही व्यवस्था

न तो कोरोना से बचने के प्रबंध न ही मूलभूत सुविधाएं दुरूस्त, 

क्षेत्र के जिम्मेदार नागरिक ने बयां किया इलाके की दुर्दशा का दर्द, मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर लगाई हालात सुधारने की गुहार, सहयोग के भी दिए सुझाव।

एक तो कोरोना काल और उपर से आईसीयू बेड तो दूर की बात एक कोविड केयर सेंटर तक नही। ऐसे मे क्षेत्र कोरोना रूपी महामारी से कैसे लड़ेगा। यही नही मूलभूत सुविधाओं के हालात भी बदतर होते जा रहे है। कोई सुनने वाला नही हैं। तो सरकार गांवों को कैसे इस महामारी से बचाएगी। यह दर्द शिलाई विधानसभा क्षेत्र के के जिम्मेदार नागरिक का छलका है। और उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से हालात सुधारने की गुहार लगाई है। 
गिरिपार क्षेत्र के कांटी मश्वा पंचायत के निवासी विजय कंवर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिलाई क्षेत्र के हालातों से अवगत करवाकर उचित व्यवस्था की मांग उठाई है। लिखे गये पत्र मे उन्होने कहा कि जिला सिरमौर के अति दुर्गम

एवम् विकट पहाड़ी परिस्थितियों वाले विधानसभा क्षेत्र शिलाई की आम जनता की ओर से विनम्र निवेदन है कि कोविड 19 रूपी महामारी के आपातकाल और दूसरी खतरनाक तरंग के समय क्षेत्र में गिरिपार के प्रवेशद्वार सतौन से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग 707 के साथ लगते कमरऊ, कफोटा, टिंबी, शिलाई, रोनहाट, किन्नू पनोग तक लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में कोई भी कोविड केयर केंद्र नहीं है। राष्ट्रीय राजमार्ग से अलग टूटी फूटी सड़कों से लगे दुर्गम गांवों में तो स्वास्थ्य सुविधाओं की कल्पना भी नहीं की जा सकती। 
चिंता का विषय तो यह है कि अब संक्रमण गांवों में भी बड़ी तेजी से फैलने लगा है जिससे लोगों में त्राहि त्राहि मच गई है। गांव में स्वास्थ्य सुविधा एवम् चिकित्सक मौजूद नहीं है और कोरोना कर्फ्यू के चलते परिवहन की सुविधा भी उपलब्ध नहीं। बड़ी मुश्किल से प्रबंध कर यदि कोई पीड़ित व संक्रमित शहर के चिकित्सालय में पहुंच भी जाता है तो वहां आसानी से प्रवेश नहीं मिल पाता।प्रवेश मिल भी जाता है तो गंभीरता की स्थिति में बेड उपलब्ध नहीं है।
यही नहीं स्थिति की भयावहता बिजली और पानी की आंख मिचौली से और भी बढ़ जाती है। तीन तीन दिनों तक बिजली गुल रहती है जिससे उठाऊ पेयजल योजनाएं भी ठप्प पड़ी रहती हैं और लोगों को चार चार पांच पांच दिनों तक पानी नहीं मिल पाता जिससे दूर दूर तक जल स्रोतों से पानी लाने हेतु लोगों को मजबूरी में घर से बाहर निकलना पड़ता है। ऐसे में ऊपर से कोरोना कर्फ्यू की पाबंदियां। हम करें तो क्या करें????
जल शक्ति विभाग, विद्युत शक्ति विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से निवेदन करें तो पहले तो निवेदन सुनते नहीं और किसी का फोन उठा भी लिया तो लोगों को उल्टा धमकाते हैं कि उनके पास मजदूरों और साधनों की नितांत कमी है। पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है। अगर ऐसा है तो क्या ग्रामीण क्षेत्रों में स्टाफ व साधन उपलब्ध करवाना सरकार का दायित्व नहीं???
सरकार व शासन क्या शहरी क्षेत्रों के प्रति ही उत्तरदायी है???
एक विडंबना यह भी है की इस क्षेत्र के विधायक, पूर्व विधायक,अधिकांश जिला परिषद सदस्य, पंचायत विकास समिति सदस्य, पंचायत प्रतिनिधि और संपन्न लोग पांवटा, नाहन, सोलन, शिमला तथा चंडीगढ़ आदि शहरों में रहते हैं जिससे उन्हें स्थानीय लोगों के दुःख दर्द का अहसास नहीं हो पाता। यही नहीं क्षेत्र के विभागीय कार्यालयों में कार्यरत अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी भी शहरों में ही अपने परिवार के साथ सुख सुविधाओं में जीते हैं। ऐसे में यदि कोई ग्रामीण उनसे अपनी समस्या के निदान के लिए आग्रह भी करता है तो उसे बदतमीजी व डांट का सामना करना पड़ता है और वह अधिकारी भी अधिकांश घरों से ही ऐसा करते हैं। इस भयावह संकट काल में अब आप से ही आशा है कि आप लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेंगे। साथ ही इस भयानक महामारी को रोकने के लिए हमारे कुछ विनम्र सुझावों पर अमल करेंगे:

1. कोरोना से लड़ने और कर्फ्यू की अनुपालना को सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में बिजली, पानी व स्वास्थ्य की सुविधाओं को दुरस्त करवाने का अनुग्रह करें। इसके लिए विद्युत विभाग को नए ट्रांसफार्मर, उचित वोल्टेज हेतु अत्याधुनिक कंडक्टर, स्टाफ व लेबर की समुचित व्यवस्था की जाए ताकि 24 घंटे हर दिन बिजली उपलब्ध हो सके।

2.जल शक्ति विभाग की ओर से आए सुझावों के अनुसार उठाऊ पेयजल योजनाओं के लिए नए और अधिक क्षमता वाले पंप, मशीनें, पर्याप्त स्टाफ व लेबर उपलब्ध करवाएं। यदि पानी की आपूर्ति हर दिन पर्याप्त होगी तो लोगों को अपने घरों से बाहर नहीं निकलना पड़ेगा और कोरोना से आधी लड़ाई हम सब स्वत: ही जीत जाएंगे।

3.स्वास्थ्य विभाग और कोरोना यौद्धाओं को इस समय सबसे अधिक प्रोत्साहन की आवश्यकता है।आप कर भी रहे हो। ऐसे में त्वरित कार्रवाई करते हुए क्षेत्र के कुछ सामूहिक केंद्रों व कस्बों जैसे सतौन, चांदनी, कमरऊ, कफोटा, टिंबी, शिलाई, रोनहाट व किन्नू पनोग में आपातकालीन कोविड केयर केंद्र खोले जाएं। इसके लिए आयुर्वेदिक केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, संकुल स्वास्थ्य केंद्र, राजकीय चिकित्सालयों, सामुदायिक भवनों का प्रयोग किया जा सकता है। यदि आप आह्वान करें तो लोग अपने निजी भवनों को भी इस पुनीत सेवा कार्य के लिए उपलब्ध करवा सकते हैं। यह व्यवस्था कम से कम पांच पांच बेड, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर आदि की उपलब्धता के साथ शुरू की जा सकती है।

4.क्षेत्र व प्रांत में कार्यरत सेवा संगठन जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सेवा भारती,कांग्रेस सेवा दल, एकल अभियान, रेड क्रॉस,राष्ट्रीय सेवा योजना, आपदा प्रबंधन समितियां, चूड़ेश्वर सेवा समिति, हितैषी सेवा समिति, हिमोत्कर्ष सेवा समिति, हाटी समिति, संधान सेवा समिति, श्रद्धा संस्था,सामाजिक व राजनीतिक सेवा संगठनों का सहयोग लिया जा सकता है। ये सभी समितियां, संगठन व संस्थाएं यदि अलग अलग सेवा कार्य करने की बजाय एक साथ शासन प्रशासन के साथ समन्वय बिठाकर और अधिक प्रभावशाली ढंग से सेवा करने के लिए सहमत हैं।
अतः महोदय से निवेदन है कि आप उपर्युक्त सुझावों पर अमल करते हुए शीघ्र अति शीघ्र इस संकटकाल में उपर्युक्त सुविधाएं उपलब्ध करवाकर शासकीय दायित्व के साथ साथ मानवीय दायित्व का भी निर्वहन करें। धन्यवाद। जय हिन्द। जय हिमाचल।

उन्होंने इसकी प्रतिलिपियां जल शक्ति मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, ऊर्जा मंत्री, सांसद शिमला संसदीय क्षेत्र, विधायक शिलाई विधानसभा, उपाध्यक्ष नागरिक आपूर्ति निगम हिमाचल प्रदेश, जिलाधीश सिरमौर, सीएमओ सिरमौर, अधिशासी अभियन्ता विद्युत विभाग सिरमौर, अधिशासी अभियंता जल शक्ति विभाग सिरमौर, अध्यक्ष, महासचिव समस्त सहयोगी संगठन, सेवा समितियां, गैर सरकारी संस्थाओं को आग्रह एवम् सूचनार्थ के लिए भेजी गई। 
बहरहाल, उम्मीद जताई जा रही है कि जिम्मेदार नागरिक के इस आह्वान से सरकार और क्षेत्र मे सरकार के नुमाईंदो की नींद भी टूटेगी और वह क्षेत्र की जनता की सुरक्षा के लिए आगे आएंगे।