HP Anganwadi News: आंगनबाड़ी केंद्र से राशन लेने को अब बदली प्रक्रिया, कुछ इस तरह मिलेगा बच्चों का राशन... ddnewsportal.com

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HP Anganwadi News: आंगनबाड़ी केंद्र से राशन लेने को अब बदली प्रक्रिया, कुछ इस तरह मिलेगा बच्चों का राशन...

हिमाचल प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में अब राशन लेने के लिए प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। राशन लेने के लिए लाभार्थी को स्वयं आना पड़ेगा। पोषण ट्रैकर एप पर स्कैनिंग होने के बाद ही लाभार्थियों को राशन मिलेगा। विभाग ने यह नई व्यवस्था शुरू कर दी है और इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं। इसके तहत पहली अप्रैल से सभी केंद्रों में यह नई व्यवस्था लागू होगी। ऐसे में अब बिना फेस आईडी को ट्रैक किए और मोबाइल को रजिस्टर्ड किए बिना लाभार्थी को राशन नहीं मिलेगा। सभी जिलों को इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं।

विभाग की मानें तो इस व्यवस्था से राशन वितरण में गड़बड़झाले की संभावना कम होगी। केंद्रों में जितने बच्चों का फोटो अपलोड होगा, उतनी ही तय मात्रा में राशन मिलेगा। इसी तरह गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को भी राशन के लिए केंद्र में अपना फोन नंबर देना होगा, जो आधार से लिंक होगा। प्रदेश में वर्तमान में 18 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें हजारों बच्चे इनरोल हैं। इन बच्चों को सरकार की ओर से नि:शुल्क राशन मुहैया करवाया जाता है। राशन वितरण में किसी तरह की कोई गड़बड़ न हो, अब यह पोषण ट्रैकर एप से सुनिश्चित होगा। गौर हो कि 6 महीने से लेकर 3 वर्ष तक बच्चों को भी केंद्रों में राशन दिया जाता है। बताया जा रहा है कि इस व्यवस्था के माध्यम से सभी लाभार्थियों का पंजीकरण पोषण ट्रैकर एप पर कर लिया गया है, जिसमें मोबाइल नंबर और आधार लिंक किया गया है।

■ आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं की सरकार से यह मांग: 

उधर, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं का कहना है कि इस नई व्यवस्था के लिए स्मार्टफोन की जरूरत है। ऐसे में विभाग को इस कार्य के लिए कार्यकर्त्ता को नए फोन देने चाहिए, साथ ही इसके रिचार्ज के लिए भी जिलों को बजट जारी किया जाना चाहिए, ताकि इस नई व्यवस्था में कोई रुकावट न पैदा हो और यह सुचारू तौर पर चले।

आंगनबाड़ी वर्कर एंड हैल्पर यूनियन संबंधित सीटू की अध्यक्ष नीलम का कहना है कि कार्यकर्त्ताओं को इस कार्य के लिए नए स्मार्टफोन की जरूरत पड़ेगी और कार्यकर्त्ताओं के पास पुराने फोन हैं। हालांकि विभाग के अधिकारियों के समक्ष पहले भी यह मांग रखी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।