HP High Court News: हाइकोर्ट ने सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और क्रशरों को जारी किए नोटिस, लगे है गंभीर आरोप... ddnewsportal.com

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HP High Court News: हाइकोर्ट ने सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और क्रशरों को जारी किए नोटिस, लगे है गंभीर आरोप...

हिमाचल प्रदेश माननीय उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार और क्रशरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। राज्य के सोलन जिले के नालागढ़ में कथित कायदे कानून को ताक पर रख कर स्टोन क्रशर चलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हंदूर पर्यावरण मित्र संस्था द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित 13 स्टोन क्रशरों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों से मामले की अगली सुनवाई तक जवाब दायर करने के आदेश दिए। कोर्ट ने जिला विधिक सेवाएं अथॉरिटी सोलन के सचिव को उक्त क्षेत्र का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपने के आदेश भी दिए। मामले पर सुनवाई 14 दिसम्बर को होगी। 


जानकारी के मुताबिक प्रार्थी संस्था ने नालागढ़ क्षेत्र में अवैध तरीके से खनन और नियमों की उल्लंघना कर रहे क्रशरों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने नालागढ़ एरिया में क्रशर मालिकों द्वारा माइनिंग लीज की आड़ में अवैध माइनिंग को रोकने और हवा, पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए मुख्यमंत्री सहित संबंधित अधिकारियों को शिकायत पत्र सौंपे गए परंतु किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि जिन टिप्परों में 15 टन माइनिंग माल दर्शाया जाता है उनमें अक्सर 30 से 35 टन माल ढुलाई होती है। इससे सरकार को प्रति टिप्पर हजारों रुपए का नुक्सान होता है। जब अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो वे स्टोन क्रशर मालिकों की पैरवी करने लगते हैं जिससे प्रतीत होता है कि वे सरकार के लिए नहीं बल्कि स्टोन क्रशर मालिकों के लिए काम कर रहे हों। नियमों को दरकिनार कर नदियों में बड़े-बड़े गड्ढे डाले जा रहे हैं। 6 महीने तक अवैध तरीके से एक स्टोन क्रशर ने बिना अनुमति करोड़ों कमाए और खनन विभाग ने इस पर मात्र 50 हजार रुपए का जुर्माना किया। 

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आरोप है कि इन स्टोन क्रशर मालिकों के खिलाफ केवल दिखावे की कार्रवाई होती है। शिकायत में कहा गया है कि पंजेहरा के साथ लगते गांव नवग्राम में बहुत से स्टोन क्रशर अवैध रूप से चल रहे हैं। ये स्टोन क्रशर अपना वेस्ट मैटीरियल साथ लगती नदी में फैंकते हैं और कुछ सड़क पर ही फैंक देते हैं। डस्ट कंप्रैशर का प्रयोग भी नहीं किया जाता। गांव जोगों जगतपुर, नंगल, कुंडलु, मलैहनी और बनियाला निवासियों ने भी कई बार काला कुंड नदी की माइनिंग लीज रद्द करने की गुहार लगाई क्योंकि लीज धारक नदी का अवैध दोहन कर रहे हैं।
आरोप है कि ग्राम पंचायत जगतपुर, जोघों रिया व व गांव ढला-थां के लोगों की जमीनें नदी के दोनों किनारे पर हैं और खेती करने के लिए नदी से होकर आना-जाना पड़ता है लेकिन नदी में 20/20 फुट गहरे सैंकड़ों गड्ढे खनन करके खोद दिए गए हैं, जिससे किसानों व दोनों तरफ रहने वाले लोगों, स्कूली बच्चों को आने जाने के लिए बहुत समस्या हो गई है। स्कूली बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं व स्कूल छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। नदी की लीज खनन हेतु जिन नियमों-शर्तों पर दी गई है उन नियमों-शर्तों के विपरीत खनन हो रहा है। 1-1/2 साल में ही नदी 15 फुट गहरी हो गई है जिससे नदी के साथ लगती निजी/सरकारी भूमि व जगंलात भूमि के हजारों पेड़ पौधे सूख गए। नदी में 20/20 फुट गहरे गड्ढों से भूमिगत पानी का स्तर नीचे जा रहा है। नदी में 8 सरकारी ट्यूवैल, 2 सिंचाई कूहले, 4 पुराने कुएं व 4 निजी ट्यूवबैल हैं। यहां से करीब 50000 आबादी को पीने व सिंचाई का पानी मिलता है। परन्तु अन्धाधुन्ध व अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे खनन के कारण भूमिगत पानी का स्तर नीचे जाने के कारण 2 कूहले 3 कुएं व एक बोरवेल सूख चुका है। लोगों को अब पानी की समस्या आनी शुरू हो गई है।