नशा करने वाले का पूरा परिवार होता है परेशान ddnewsportal.com
नशा करने वाले का पूरा परिवार होता है परेशान
विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर बोले समाजसेवी और शिक्षाविद्, स्कूली बच्चों की जन-जागरण में बड़ी भूमिका।
आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस है। आज के दिन पूरे विश्व में तंबाकू और नशे के दुष्प्रभावों के बारें में कईं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में भी जागरूकता रैलियों और पोस्टर मेकिंग के माध्यम से नशे पर चोट की जाती है और लोगों को इससे दूर रहने की सलाह
दी जाती है। नशे के दुष्प्रभाव पर स्कूली बच्चों को जागरुक करने के प्रयासों मे अभिभावक व समाजसेवी भी लगातार ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेकर इस बीमारी से दूर रहने का संदेश देते हैं। आज डिजिटल प्लेटफार्म पर भी सिरमौर के समाजसेवी और शिक्षाविद् अपने संदेशों से बच्चों और आज जनता को नशे के खिलाफ जनमुहिम चलाकर इसका खात्मे का आह्वान कर रहे हैं।
1- अलका गोयल-
पांवटा साहिब की समाजसेवी व उद्योगपति अलका गोयल का कहना है कि स्कूली बच्चे किसी भी जागरूकता अभियान को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। हम सभी को भी बच्चों के साथ मिलकर सामाजिक बुराईयों के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए। इससे बच्चों के माध्यम से समाज मे एक संदेश जाएगा कि नशे के खिलाफ इस मुहिम से जुड़कर वह इस समाज मे रहने वालों को जागरुक कर इस बुराई को खत्म कर सकते हैं। उन्होने कहा कि महिलाओं को प्रोत्साहित करती रहती है कि अपने बच्चों पर नजर रखें और उनसे बातचीत करते रहें। बच्चों को कमरे मे अकैले ज्यादा देर तक न छोड़ें। साथ ही उन्होंने समाज से भी नशे से दूर रहने का आह्वान किया।
2- आशा तोमर-
पांवटा साहिब की सामाजिक कार्यकर्ता महिला जागृति मंच की अध्यक्षा आशा तोमर का कहना है कि नशा एक व्यक्ति को ही नही बल्कि उसके पूरे परिवार को प्रभावित करता है। जिस घर में कोई नशे का आदी होता है उससे पूरा परिवार परेशान रहता है। इसलिए हमे हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि नशा आज युवा पीढ़ी को खोखला कर रहा है। इसलिए स्कूल टाईम से ही बच्चों को इस विषय और नशे के दुष्परिणामों की जानकारी होनी चाहिए।
3- अजय शर्मा-
हिमाचल प्रदेश विज्ञानाध्यापक संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व प्रधानाचार्य अजय शर्मा का कहना है कि निश्चित तौर पर नशे के विषय पर जागरुकता कार्यक्रम होते रहने चाहिए। ये टीनएज मे बच्चे के दिमाग पर एक अटूट छाप छोड़ते हैं। यदि स्कूल टाईम से ही बच्चा नशे के दुष्परिणाम के बारे मे जानकारी हासिल कर लेगा तो यह संभव है कि वह इस राह पर कभी नही चलेगा। दूसरे स्कूली बच्चों से हर बात समाज तक पंहुचाना एक बड़ा माध्यम है। इसलिए कोई भी जागरूकता की मुहिम बच्चों के बिना संभव नही है। हमें आज की भावी पीढ़ी को यह समझाना होगा कि नशा उनका भविष्य चोपट कर देता है इसलिए हमे इससे दूर रहना चाहिए।
4- जगदीश तोमर-
सामाजिक सरोकार से जुड़े और युवा उद्यमी जगदीश तोमर का कहना है कि किसी भी प्रकार का नशा घातक है। हमे बच्चों को इसकी घातकता और दुष्प्रभाव के बारे में बताना चाहिए। साथ ही अपने आसपास ऐसे स्थानों पर भी नजर रखनी चाहिए जहां नशा बिकता हो। ताकि युवा पीढ़ी को इससे बचाया जा सके। उन्होने कहा कि अब नशा शहरों से निकलकर गांव तक पंहुच गया है। ऐसे मे बच्चों को अपने आसपास और घर पर भी इस बीमारी के बारे मे चर्चा कर सभी को जागरुक करना चाहिए।
5- मामराज शर्मा मामू-
द सिरमौर निजी बस आॅपरेटर सोसाईटी के प्रधान एवं जिला परिषद शिल्ला वार्ड सदस्य मामराज शर्मा मामू ने बताया कि स्कूली उम्र मे ही बच्चे नशे के हानिकारक परिणाम जानेंगे तो इस दिशा मे कभी नही जायेंगे। वह अपने सहपाठियों और आसपास के लोगों को भी इस बारे मे बतायेंगे जिससे समाज मे कोढ़ की तरह फैल रही इस बीमारी का अंत होगा। उन्होंने कहा कि हमें भी यह दम रखना होगा कि यदि कहीं हमारे क्षेत्र मे नशा बिकता है तो हम उसका खुलकर विरोध करें न कि ऐसे लोगों को बचाने में आखे आएं। हमे याद रखना होगा कि जो बचाने वाले होंगे कल तक उनके घर पर भी यह बीमारी पंहुच सकती है। इसलिए सभी मिलकर नशे के खिलाफ एकजुट होकर अपनी भावी पीढ़ी को बचायें