Paonta Sahib: अखिरकार किसानों के सब्र का बांध टूटा ddnewsportal.com

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Paonta Sahib: अखिरकार किसानों के सब्र का बांध टूटा

एसडीएम कार्यालय पर दिया धरना, इन मसलों पर जल्द कार्रवाई की उठाई मांग...

पाँवटा साहिब में किसान एसडीएम कार्यालय पंहुचे और धरने पर बैठ गये। किसानों ने अपनी मांगे रखीजिस पर एसडीएम ने जल्द समाधान का आश्वासन दिया। जिसके बाद मांगपत्र देकर किसान लौटे। पांवटा साहिब में किसानों का गुस्सा आखिरकार फूट ही गया। पहले धान में वायरस के कारण धान की 80% फसल खराब हो चुकी थी और अब एक अन्य बीमारी और कीड़े ने मक्की और

गन्ने के किसानों को भी भारी नुकसान पहुंचा दिया है। इस मौके पर वरिष्ठ किसान नेता अनिंदर सिंह नॉटी, जसविंदर बिलिंग, गुरजीत नंबरदार, परमजीत बंगा, भूपिंदर सिंह, अर्जुन बनवैत,परदीप सिंह, गुरनाम गामा, गुरशरण फौजी, सरवर अली, महबूब अली, बक्शीराम, सतनाम सिंह, हरजीत सिंह, बलजीत सिंह, कमल चौधरी, दाताराम चौधरी, रविंद्र सिंह,देवेंद्र सिंह, जस्सू आदि ने कहा कि किसान सरकार, कृषि विभाग तथा विश्वविद्यालय की बेरुखी से परेशान थे क्योंकि ना तो किसी ने किसानों से मिलना ठीक समझा ना उनकी समस्या के निवारण के लिए कोई दवाई आदि का प्रबंध किया गया। आज के धरने में बड़ी संख्या में वो छात्र भी शामिल हुए जिनको किसी ना किसी कोर्स में दाखिला लेना है लेकिन लगातार फसलों के नुकसान के कारण

उनके परिजन महंगी फीस जमा करने में असमर्थ हो चुके हैं और खराब आर्थिक स्थिति के कारण उनका एक साल खराब होने जा रहा है। आखिरकार आज पांवटा साहब के अलग-अलग गांव से भारी संख्या में किसान भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले जुटे और एसडीएम कार्यालय का घेराव कर दिया। इस मौके पर भारी संख्या में नौजवान भी जुटे और सभी ने जोरदार नारेबाजी के साथ अपना विरोध दर्ज करवाया। किसानों की प्रदेश सरकार से मुख्य मांग धान मक्का तथा गन्ने में हुए नुकसान को आपदा घोषित करना और स्पेशल गिरदावरी की प्रक्रिया पूरा करते हुए जल्द से जल्द मुआवजे का भुगतान है। किसानों का यह भी आरोप है की सरकारी मीटिंग में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक दो किसानों को बुलाकर लीपापोती कर दी जाती है जबकि जो प्रगतिशील किसान जमीनी स्थिति से वाकिफ हैं उनको इस मीटिंग में बुलाया तक नहीं जाता।


किसानों ने तहसीलदार वेद अग्निहोत्री से मिलकर भी इस बारे में राजस्व विभाग से फील्ड स्तर के आंकड़े जुटाने को कहा ताकि सरकार को सही स्थिति पता चल सके। यही किसान दूध उत्पादन का काम भी करते हैं इसलिए उन्होंने अभी तक लंपी चर्म रोग को लेकर सरकार की गंभीरता पर भी सवाल उठाए कि कैसे एक महीना बीतने के बाद भी जब अकेले पांवटा साहब क्षेत्र में ही

सैकड़ों पशु इस वायरस से ग्रस्त होकर मर चुके हैं। तब भी ना तो किसी किसान को 30000 रुपये मुआवजा मिला है ना ही इसको भी आपदा घोषित किया गया है। सरकार केवल आंकड़ों के मायाजाल और बयानबाजी से किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।
आखिरकार एसडीएम द्वारा इस मामले जल्द कार्यवाही करने और हर गांव में स्थिति का आंकलन करने को सरकारी टीम भेजने की घोषणा के बाद धरना एक लिखित मांगपत्र सरकार के भेजने के बाद समाप्त किया गया।